Jaipur : अशोक गहलोत की ओर से न्यायपालिका पर बयानबाजी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट में वकालत करने वाले पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर इस याचिका पर हाईकोर्ट की खंडपीठ अगले सप्ताह सुनवाई करेगी. जनहित याचिका में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ स्वप्रेरणा से आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने की गुहार की गई है.


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न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी का आरोप


जनहित याचिका में एक समाचार पत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी की है. सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले तक वकील लिखते हैं और वे जो लिखकर लाते हैं, वहीं फैसला आता है. चाहे निचली न्यायपालिका हो या उच्च, हालात गंभीर हैं. देषवासियों को इस संबंध में सोचना चाहिए. इसके अलावा गहलोत ने कहा कि हमने कई हाईकोर्ट जज बनवाने में मदद की होगी, 25 साल पहले सीएम हाईकोर्ट जज बनाने की सिफारिश भेजते थे, लेकिन जज बनने के बाद मैंने जिंदगीभर उन लोगों से बात नहीं की. जनहित याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री का यह बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला और प्रतिष्ठा को गिराने वाला है. 


प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने वाला बयान बताया



याचिका में कहा गया की गहलोत ने न सिर्फ न्यायिक अधिकारियों बल्कि वकीलों की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने वाला बयान दिया है. याचिका में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पक्षकार बनाते हुए अदालत से गुहार की गई है कि वह जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से अदालती अवमानना को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाए. 


गौरतलब है कि बुधवार को सीएम गहलोत ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी की थी. इसके बाद बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष और दी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र सिंह तंवर ने सीजे को ईमेल के जरिए पत्र लिखकर सीएम गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने की गुहार की थी. वहीं, अब गहलोत के खिलाफ जनहित याचिका पेश की गई है.


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