Jaipur: Corona Vaccination के Bio Medical Waste पर खड़े हुए सवाल, जानें जमीनी हकीकत
परियोजना निदेशक टीकाकरण ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में किसी भी जिले में वैक्सीन का वेस्टेज नहीं हो रहा है.
Jaipur: कोविड टीकाकरण अभियान (Covid Vaccination Campaign) के तहत राजस्थान में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पूर्णतः पालना की जा रही है. ऐसा दावा किया है स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने, जो कहते हैं यूज्ड वॉयल्स और बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जा रहा है.
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वैक्सीन का वेस्टेज न्यूनतम करने के प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश में केंद्र द्वारा अनुमत 10 प्रतिशत एवं राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत की तुलना में वैक्सीन का वेस्टेज 18-44 आयु वर्ग में शून्य व 45 से अधिक आयु वर्ग में मात्र 2 प्रतिशत है.
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परियोजना निदेशक टीकाकरण डॉ. रघुराज सिंह (Raghuraj Singh) ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के सभी टीकाकरण सत्रों पर यूज्ड और डिस्कार्डेड वॉयल्स का निस्तारण भी पूर्णतया निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही किया जा रहा है. कोविड-19 वैक्सीन की वॉयल का उपयोग खोले जाने के मात्र चार घंटे की अवधि में ही किया जा सकता है. प्रत्येक वॉयल में 10 डोज होती है एवं खोलने से निर्धारित 4 घंटे की अवधि समाप्त होने के बाद शेष डोजेज को डिस्कार्डेड माना जाता है.
जानें कैसे होता है वॉयल्स का निस्तारण
डॉ. रघुराज सिंह ने बताया कि दिशा-निर्देशों के अनुरूप यूज्ड, डिस्कार्डेड और एक्सपायर्ड वॉयल्स को पीले बैग में संग्रहित किया जाता है. यूज्ड, डिस्कार्डेड और एक्सपायर्ड वॉयल्स के निस्तारण के संबंध में भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
इन दिशा-निर्देशों के अनुसार पीले बैग में जमा वॉयल्स को ऑटोक्लेव या 10 मिनट गर्म पानी में उबालकर अथवा एक प्रतिशत सोडियम होइपोक्लाराइट सॉल्यूशन में 30 मिनट तक डालकर रासायनिक उपचार किया जाता है. इसके पश्चात इसे कॉमन ट्रीटमेंट फैसिलिटी को सुपुर्द किया जाता है. कॉमन ट्रीटमेंट फैसिलिटी उपलब्ध नहीं होने पर सेफ्टी पिट् यानी गहरा गड्ढा खोदकर उसमें इन वॉयल्स का निस्तारण किया जाता है.
नहीं हो रहा वैक्सीन का वेस्टेज
परियोजना निदेशक टीकाकरण ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में किसी भी जिले में वैक्सीन का वेस्टेज नहीं हो रहा है. उपयोग में ली जा सकने वाली वैक्सीन की प्रत्येक डोज का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है और यह कहना नितांत तथ्यहीन है कि उपयोग की जा सकने वाली वैक्सीन वॉयल्स को डस्टबिन मे फेंका जा रहा है अथवा गड्ढे में दबाया जा रहा है.