Jaipur News: राजस्थान की पंचायतों का बजट का संकट गहरा गया है. बजट ना होने से गांवों में विकास की रफ्तार कमजोर पड गई है. सरपंचों ने दावा किया है कि बजट अटकने से पंचायतों का कामकाज ठप होने लगा है. आखिरकार गांवों की सरकार में कितना बजट अटका आइए जानते हैं इसके बारे में. 


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राजस्थान में थमी गांवों में विकास की रफ्तार!
राजस्थान की पंचायतों में बजट के महा संकट के कारण काम अटकने लगे हैं. गांवों में विकास की रफ्तार थम सी गई है, क्योंकि गांव की सरकार में 8200 करोड़ का बजट अटका हुआ है. जिसमें राज्य वित्त आयोग, केंद्रीय वित्त आयोग और मनरेगा की राशि जारी नहीं हो पाई है. ये राशि 2022 से अब तक जारी नहीं हो पाया है. सरपंचों का कहना है कि बजट अटकने से गांव की विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है. इसके साथ-साथ मनरेगा सामग्री का पैसा भी अटका हुआ है. जिससे गांवों में 100 दिन के रोजगार भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. 


जानें कहां-कहां कितना बजट अटका?
राज्य वित्त आयोग से राज्य की सभी पंचायतों को सालाना दो किस्तों में करीब 2800 करोड़ का बजट राज्य वित्त आयोग से जारी किया जाता है. लेकिन 2022-23 का राज्य वित्त आयोग का 300 करोड़, 2023-24 का 1800 करोड़ और मौजूदा वित्तीय वर्ष यानी 2024-25 में 1400 करोड़  का बजट जारी नहीं किया गया है. कुल राज्य वित्त आयोग का 3500 करोड़  अटका हुआ है. वहीं, केंद्रीय वित्त आयोग की इस साल की आधी किस्त के रूप में 700 करोड़ ही जारी हो पाया है. मनरेगा में 2022 से अब तक बजट सामग्री के 4 हजार करोड़ जारी नहीं हुए हैं. पंचायतों का करीब 8200 करोड़ का कुल बजट अटका हुआ है.


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