Jaipur News: प्रदेश में किसानों की जमीन नीलामी का मामला एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. हनुमानगढ़ सहकारी बैंक के किसानों की जमीन नीलामी के नोटिस पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार को निशाने पर लिया तो इसके बचाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ उतर आए. राठौड़ ने गहलोत के आरोपों पर कहा कि नोटिस को लेकर मुख्यमंत्री और सरकार के पास कोई जानकारी नहीं थी. जैसे ही जानकारी में आया उसके तुरंत बाद नीलामी को रद्द करवा दिया गया है. अशोक गहलोत तथ्यहीन और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, किसानों को नोटिस मिलना पिछली कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की देन है.


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हनुमानगढ़ में किसानों की जमीन नीलामी का नोटिस क्या निकला, सियासी भूचाल आ गया. किसानों के इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल फिर आमने सामने हो गए. नोटिस प्रकाशित हुआ तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया X पर इस मामले को हवा दी और कहा कि भाजपा ने घोषणा पत्र में किसानों की जमीन नीलामी रोकने की बात कही थी, लेकिन हुआ उल्टा. नवम्बर 2020 में हमारी सरकार ने विधानसभा में बिल पास करवाया था कि किसानों की पांच एकड़ कृषि भूमि नीलाम नहीं होग, केंद्र सरकार ने बिल का अनुमोदन नहीं किया. हमारी सरकार ने प्रशासनिक आदेश से कृषि भूमि नीलामी पर रोक लगाई थी.



पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने किया पलटवार
यह मामला सुर्खियों में आया तो सरकार ने इसके पलटवार के लिए पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को आगे किया. राठौड़ ने बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि गहलोत सरकार ने किसानों की 5 एकड़ कृषि भूमि नीलाम नहीं होने के संबंध में नवंबर 2020 में विधानसभा में बिल पारित करवाया था, अब वे कह रहे हैं कि राजस्थान में किसानों की जमीन नीलाम की जा रही है और सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं है, लेकिन वो हकीकत छिपा रहे हैं. कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 विधानसभा में पारित करवाया था, किसानों की 5 एकड़ तक की कृषि भूमि को नीलाम नहीं करने का प्रावधान किया था. लेकिन एक्ट प्रदेश के किसानों के लिए उपयोगी नहीं हो सकता है, क्योंकि सरकार ने राजस्थान कृषि ऋण संक्रिया (कठिनाई व निराकरण) अधिनियम 1974 में संशोधन नहीं किया जबकि रोडा एक्ट की धारा 13 में स्पष्ट प्रावधान है कि बैंक ऋणी किसानों से ऋण की वसूली कर सकता है, अगर कांग्रेस सरकार की मंशा किसानों की भलाई की होती तो सरकार उस समय रोडा एक्ट 1974 में संशोधन लाती.



मई-जून बिजली की खपत ज्यादा होती -
पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मई-जून माह में बिजली की खपत ज्यादा होती है इस लिए मांग और आपूर्ति में एक गैप होता है. प्रदेश की भजनलाल सरकार ने विद्युत के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र की ऊर्जा कंपनियों के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ के एमओयू साइन किए है. इससे प्रदेश में 31 हजार 825 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. राठौड़ ने कहा कि भाजपा सपने बुनने का काम नहीं करती, धरातल पर काम करती है. पूर्व सीएम गहलोत ने कहा था कि 23809 मेगावाट बिजली उत्पादन के साथ सर प्लस हो गए है, जबकि गहलोत सरकार के समय प्रदेश में जो बिजली संकट गहराया उससे सब वाकिफ है.