Jaipur news: राजस्थान के जयपुर में कोटपुतली की राजकीय सरदार सीनियर स्कूल का एक बार फिर मामला गर्मा गया है. जैसे ही स्कूलों के एडमिशन खुले वैसे ही अभिभावक अपने बच्चों के एडमिशन करवाने सरदार स्कूल पहुंचे जहां परिजनों का आरोप है. 11 वीं क्लाश में बच्चों का एडमिशन नहीं लिया जा रहा. बराबर अभिभावक व छात्र छात्राएं स्कूल के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन एडमिशन नहीं होने पर आज आखिर अभिभावकों व बच्चों का गुस्सा फुट पड़ा और स्थानीय जनप्रतिनधियों के साथ स्कूल प्रिंसिपल कार्यलाय पहुंचे.


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जहां प्रिंसिपल से एडमिशन नहीं होने का कारण जानना चाहा, तो प्रिंसिपल मैडम ने सभी को पहले तो कार्यालय से बाहर जाने के लिये कहा और कहा मैं कुछ नहीं कर सकती जैसे राज्य सरकार के आदेश होंगे उसी प्रकार काम किया जायेगा. वहीं एक अभिभावक के द्वारा वीडियो बनाने पर प्रिंसिपल मैडम ने अभिभावक को धमकाते हुए वीडयो बंद करवाया. जिसके बाद सभी अभिभावक व छात्रों ने स्कूल गेट के बाहर जमकर स्कूल प्रसाशन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. 


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स्कूली बच्चों का कहना है हम गरीब परिवार से हैं निजी स्कूलों में पढ़ाई करने में सक्षम नही हैं. अब हम आखिर कहां जायें. सरकार एक तरफ तो कहती है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ लेकिन कोटपुतली की सरकारी स्कूलों में उल्टा काम हो रहा है. वहीं अभिभावकों ने कहा हिंदी मीडियम चालू करने के लिए राजकीय सरदार स्कूल में पिछले दो साल से मांग चली आ रही है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधी व स्कूल प्रसाशन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. 


बहुत पहले से राजकीय सरदार सीनियर स्कूल में दो पारिया चली आ रही थी लेकिन पिछले समय से बंद कर दी गई. अगर दोनों पारियों में अलग-अलग मीडियम की स्कूल चालू कर दी जाए तो गरीब बच्चों के लिये अच्छी व्यवस्था हो सकती है. वहीं जब इस बारे में स्कूल प्रिंसिपल मनोरमा यादव से जानकारी ली तो उनका कहना है कि हमारे स्कूल में इंग्लिश मीडियम के एडमिशन चालू हैं. जिसका हम बराबर एडमिशन ले रहे हैं. लेकिन हिंदी मीडियम यहां सरदार स्कूल में बंद कर दी गई है. 


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कोटपुतली में अन्य और हिंदी मीडियम के विद्यालय हैं वहां बच्चों के एडमिशन करवाए जा सकते हैं. सरदार स्कूल में हिंदी मीडियम के लिए हमारे पास किसी प्रकार के आदेश नहीं है. लेकिन बात की जाए कोटपुतली की अन्य हिंदी मीडियम स्कूलों की तो हालात बहुत ही दनीय है और उन स्कूलों में सुविधाएं भी नहीं हैं. अब आखिर ये गरीब बच्चे पढ़ने जाएं तो कहां जाएं इस ओर जिमेवार स्कूल प्रसाशन व स्थानीय जनप्रतिनधियो को सोचने की जरूरत है. अगर क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढे़गा तो उस क्षेत्र का विकास अपने आप होगा.