Jaipur latest News: राजस्थान के जयपुर जिले में नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हेरिटेज की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के 22 माह का समय बीत चुका है. इसके बाद भी इस प्रतिबंध का कोई विशेष असर बाजारों में नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसा तब है जब नगर निगम की ओर से लगातार सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर कार्रवाई की जा रही है. सिंगल यूज प्लास्टिक पर सख्ती सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है. शहर में जहां पॉलीथिन का उपयोग आम बात है. फुटकर व्यापारियों के यहां छापे मारकर निगम के जिम्म्मेदार अफसर जुर्माने के आंकडों को बढाने में लगे हैं.


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जयपुर नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हेरिटेज की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन स्थिति वहीं ढाक के तीन पात जैसी है. सब्जी मंडी से लेकर किराने का आइटम हो या फिर मिठाई की दुकान सब जगह सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. सवाल ये भी है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध है, तो इसका उत्पादन क्यों हो रहा है. बाजार में पालीथिन की उपलब्धता है तो लोग इसका उपयोग भी करेंगे. आखिर क्यों उत्पादनकर्ताओं पर एक्शन नहीं लिया जाता है. 


सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की औपचारिकता निभाने से कुछ नहीं होने वाला है. उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए. पर्यावरणविदों का कहना है कि यह प्रतिबंध तभी सफल होगा. जब लोग स्वयं जागरूक होंगे. बाजार में खरीदारी करने वाले घरों से कपड़े या जूट का थैला लेकर घरों से निकलेंगे. 50 प्रतिशत से अधिक लोग बिना थैला लिए घर से खरीदारी करने बाजारों में जाते हैं. बाजारों में सिंगल यूज प्लास्टिक से संबंधित वह सब कुछ मिल रहा है. जिनपर एक जुलाई को प्रतिबंध लगाया गया था.


सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण शहर की नालियां जाम रहती हैं. शहर में कोई भी नाली नहीं मिलेगी जिसमें यह भरा पड़ा न हो. पर्यावरण प्रदूषण के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक घातक है. कूड़े कचरे के ढेर में सबसे ज्यादा प्लास्टिक सामान ही मिलेंगे. प्लास्टिक पिघलता नहीं हैं. आग लगाने से जलता है, लेकिन इससे निकलने वाला धुआं पर्यावरण के साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक है. अमूमन घरों और दुकानों के सामने कचरे के ढेर को आग लगा देते हैं. इससे हवा में जहरीली गैस फैलती है, जो नुकसानदायक है. 


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सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है, जिसे एक बार ही उपयोग किया जा सकता है. इन्हें आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता. इससे प्रदूषण बढ़ता है, क्योंकि इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. इससे पर्यावरण में जहरीले रसायन शामिल होते हैं. जो इंसान और पशु दोनों के लिए हानिकारक साबित होते हैं.


बहरहाल यदि किसी वस्तु पर लगाए जा रहे प्रतिबंध को कारगर बनाना है तो उसके उत्पादन पर ही रोक लगनी चाहिए. लेकिन क्या अभी तक एक भी संबंधित फैक्ट्री पर ताला लगाया गया है. यदि इस प्रतिबंध के पीछे सच में इच्छाशक्ति होती तो बाजार में इन उत्पादों के विकल्प प्रतिबंध से पहले आ गए होते. इसके प्रति गंभीरता का स्वर इस बात से ही समझा जा सकता है कि जिन एजेंसियों को इसके लिए कार्रवाई का जिम्मा दिया गया. वे स्वयं कुछ दिन बाद इस ओर से बेपरवाह हो गईं.