madhya pradesh news-मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी की सोलर शाखा के डीजीएम हिमांशु अग्रवाल को लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई नागपुर की रोशनी सोलर कंपनी के मैनेजर की शिकायत पर की. टीम ने हिमांशु अग्रवाल के साथ उनके एक सहयोगी को भी गिरफ्तार किया है. जिसे उन्होंने रिश्वत लेने के लिए रखा हुआ था.
सहयोगी ठेकेदार हिमांशु यादव उनका असिस्टेंट था. वह क्यूआर कोड के जरिए रिश्वत का लेन-देन करता था.
जन्मदिन पर मांगी रिश्वत
रोशनी सोलर कंपनी का लाइसेंस करीब 12 दिन पहले खत्म हो गया था. इसका नवीनीकरण डीजीएम को करना था, 18 दिसंबर को उनका जन्मदिन था. कंपनी के मैनेजर डीजीएम के लिए मिठाई और बुके लेकर पहुंचे और शुभकामनाएं दी. इसके बाद डीजीएम ने 40 हजार की रिश्वत मांगी. विष्णु ने राशि ज्यादा बताई तो डीजीएम ने कहा कि 'ठीक है, रियायत दे रहे हैं, 30 हजार रुपए दे दो'.
लोकायुक्त से की शिकायत
इस बीच विष्णु लोकायुक्त से शिकायत कर दी, परीक्षण में शिकायत सही निकली. 20 दिसंबर को रिश्वत की रकम लेकर विष्णु डीजीएम के पास पहुंचे. उन्होंने एक मोबाइल नंबर देकर उसपर बात करने को कहा. यह नंबर उनके सहयोगी हिमांशु यादव का था. ऑपरेशन असफल होता देख टीम ने वापस विष्णु को केबिन में भेजा. डीजीएम ने दोबारा भी वही नंबर दिया. विष्णु ने नंबर पर संपर्क किया और केबिन से बाहर आ गए. हिमांशु अग्रवाल ने तुरंत हिमांशु यादव को फोन कर बताया कि बंदा आ रहा है.
दो बार बदली जगह
विष्णु ने हिमांशु यादव को कॉल किया, तो उसने कहा कि वह बेटे को स्कूल लेने गया है. थोड़ी देर बाद हिमांशु यादव ने विष्णु को शक्ति भवन के गेट के पास बुलाया. बाद में शक होने पर जगह बदल दी, इसके बाद उसने रामपुरा गेट के पास बुलाया. विष्णु वहां पहुंच थोड़ी देर बाद हिमांशु भी वहां पहुंच गया और कार में आने को कहा. जैसे ही हिमांशु यादव ने रिश्वत ली, लोकायुक्त पुलिस ने उसे मौके पर ही पकड़ लिया. पकड़ाने पर वह कहने लगा कि 'मैं इसे नहीं जानता.'
रिश्वत के लिए किया नियुक्त
लोकायुक्त ने जिस हिमांशु यादव को पकड़ा, उसे डीजीएम हिमांशु अग्रवाल ने रिश्वत के लेन-देने के लिए नियुक्त किया था. वह ठेकेदारों से पैसे लेने का काम किया करता था. कार्रवाई के दौरान बाहर खड़े कुछ लोग खड़े थे, उन्हीं में एक ने बताया कि डीजीएम ने उन्हें हिमांशु यादव का नंबर दिया था और काम होने की बात कही थी.