Jaipur News: राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में मरीजों की सुविधा को लेकर बदला गया 13 साल पुराना सॉफ्टवेयर नर्सिगकर्मियों को रास नहीं आ रहा है. पूरी तरह ऑनलाइन आइएचएमएस सॉफ्टवेयर पर काम करने को लेकर नर्सिंगकर्मियों ने अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय के बाहर सोमवार सुबह नारेबाजी कर विरोध जताया.


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राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के बैनर तले एकत्रित हुए नर्सिगकमियों ने एसएमएस अस्पताल को नए सॉफ्टवेयर आइएचएमएस (इंडीग्रेटेड हैल्थ मैनेजमेंट सिस्टम) से जोड़ने के बाद तय की गई नर्सिंगकर्मियों की जिम्मेदारियों को लेकर विरोध जताया ​है. इससे पहले एसएमएस आरोग्य सॉफ्टवेयर पर काम कर रहा था, जिसमें बार बार सर्वर डाउन होने और अधिक समय लगने से मरीजों को लंबी कतारों को जूझना पड़ रहा था. 


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अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को बार-बार कतार में लगने की समस्या से मु​क्त करने के लिए एसएमएस में 13 साल पुराने आरोग्य की जगह आइएचएमएस सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रेशन से लेकर मरीजों के डिस्चार्ज से लेकर दवा देने का काम शुरू किया. जिससे मरीजों को सुविधा हो.


इसी बदलाव को लेकर नर्सिंगकर्मियों के काम भी नए सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन ही करने को लेकर जिम्मेदारियां तय की गई, जिसमें अस्पताल से मरीज को डिस्चार्ज, दवाइयों के इंडेंन, रिपोर्ट बनाना, रेकॉर्ड निर्धारण, एडमिशन और पेशेंट रिसीव करने जैसे काम नर्सिंग कर्मियों को अपनी एसएसओ आईडी से लॉगिन कर तुरंत ही आइएचएमएस पर रेकॉर्ड मेंटेन करने के निर्देश दिए हैं लेकिन अब नर्सिंगकर्मी अपनी एसएसओ आईडी से अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं करना चाहते हैं. शुरुआती दौर में तो नर्सिंगकर्मियों ने इससे जुड़े काम किए लेकिन अब वह इसे करने से कतरा रहे हैं. क्योकि इसमें सभी काम कौन से समय में हो रहे हैं, इसका रिकॉर्ड रहेगा. 


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नर्सिंगकर्मी संगठन के नेताओं ने इस सिस्टम का यह कहकर विरोध जताया है कि डॉक्टर्स, रेजीडेंट और अन्य को इस काम से पूरी तरह छूट दे दी गई है और किन्हीं भी गलती या देरी पर वह ही जिम्मेदार होंगे जबकि नए आइएचएमएस सॉफ्टवेयर से रोजाना हजारों मरीजों को फायदा होगा. एक क्लिक पर मरीज का रेकॉर्ड डॉक्टर से लेकर फार्मासिस्ट और रजिस्ट्रेशन काउंटर पर होगा. 


देश में एम्स से लेकर डिस्पेंसरी तक पर आइएचएमएस साफ्टवेयर पर यह सभी काम किए जा रहे है लेकिन एसएमएस के कर्मचारी इसका विरोध जता रहे हैं. जबकि जयपुर के ही एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े अन्य अस्पतालों में आइएचएमएस पर इसी तरह पहले से काम हो रहा है.