Jaipur news : राजधानी जयपुर में जवाहर कला केन्द्र की ओर से अक्टूबर उमंग: लोक संस्कृति संग थीम पर आयोजित दशहरा नाट्य उत्सव की शुक्रवार को शुरुआत हुई .दशहरा नाट्य उत्सव के तीसरे दिन मंच पर सीता हरण से लेकर लंका दहन तक के प्रसंग मंचित हुए. रावण का षड्यंत्र, जटायु का बलिदान, शबरी की श्रद्धा, राम- सुग्रीव की मित्रता और समुद्र पार जाकर हनुमान द्वारा लंका दहन, प्रभावी संवादों के साथ ऐसे ही दृश्य मध्यवर्ती में सजे मंच पर देखने को मिले.


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 नारी की गरीमा और शक्ति का बखान
 ''राम से बैर लेने की सोचो भी मत, इसी में तुम्हारी भलाई है'', सीता की सुंदरता का बखान सुनकर अपने षड्यंत्र में मारीच को शामिल करने पहुंचे रावण को मारीच ने कुछ इस तरह चेताया . रावण ने एक ना सुनी और मारीच को स्वर्ण मृग बना भेज दिया सीता के समक्ष. ''ओ दुष्ट खड़ा रह खबरदार, स्वामी अब आने वाले हैं, जो धनुष तोड़कर लाए हैं वो ही मेरे रखवाले हैं'' रावण को चेतावनी देते सीता के शब्दों ने नारी की गरीमा और शक्ति का बखान किया.


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 मार्ग में रावण का सामना होता है जटायु से. संगीत और नृत्य के संयोजन से रावण-जटायु युद्ध को आकर्षक तरीके से दर्शाया गया. सीता की खोज में निकले राम व लक्ष्मण जब जटायु के पास पहुंचते हैं तो वह दोनों का मार्ग प्रशस्त करता है.जटायु के बताए मार्ग पर निकले रघुवंशियों ने शबरी के चखे हुए बेर खाकर उसकी श्रद्धा को स्वीकार किया. ''पृथ्वी पर कोई न ऊंचा है न कोई नीचा है, सब समान हैं'', इन संवादों के जरिए राम ने समाज को समानता का संदेश दिया.