सूरज मैदान पर भव्य भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का तीसरा दिन,कलयुग में प्रभु नाम से बढ़कर और कुछ नहीं-जया किशोरी
जया किशोरी ने कहा कि कलयुग में ईश्वर नाम से बढ़कर और कुछ नहीं है. ईश्वर का नाम लेने से कष्टों का निवारण होता है. साथ ही हृदयरूपी कमल खिल जाता है.
Jaipur: विश्व विख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी ने अपनी मधर वाणी से श्री मन्न नारायण,भज श्री मन्न नारायण तेरी लीला सबसे प्यारी,तेरी महिमा सबसे न्यारी...अपना हरि है ठाठ-बाट वाला...जैसे भजनों की पंक्तियां गाना शुरू की,त्योहि भक्तों की समूह भक्ति और आस्था की मस्ती में झूमता नजर आया.
कुछ ऐसी ही आंखों का सुकून पहुंचाने वाला मन भावन दृष्य आदर्श नगर के सूरज मैदान पर चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दौरान देखने को मिला. इस अवसर पर आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी ने अजामिल की कथा,विश्व रूप चरित्र,गयासुर की कथा और भक्त प्रहलाद की कथा सुनाकर खचाखच भरे पांडाल में बैठे श्रद्धालुओं के मन को आल्हादित कर दिया.
कल कथा प्रसंग के तहत भगवान श्रीकृष्णका जन्मोत्सव नंदोत्सव के रूप मं मनाया जाएगा. जया किशोरी ने कहा कि कलयुग में ईश्वर नाम से बढ़कर और कुछ नहीं है. ईश्वर का नाम लेने से कष्टों का निवारण होता है. साथ ही हृदयरूपी कमल खिल जाता है.
भक्त के भाव को केवल ईश्वर ही समझ सकते है. इसीलिए जीव को अपना दुख संसार के सामन नहीं केवल प्रभु के सामने ही प्रकट करना चाहिए. प्रभु पालनहार है,वे शरण में आए भक्तों के दुख हर लेते है. भक्त प्रहलाद प्रसंग पर बोलते हुए आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किषोरी ने कहा कि भगवान का परम भक्त प्रहलाद जिसे उसके पिता हिरण्यकषिपु अति भयंकर कष्ट दिए,यहां तक कि प्रहलाद को हिरण्यकषिपु ने विष पिलाया, हाथी से कुचलवाया,अग्नि में जलाया,इस तरह की कई यातनाएं दी,परंतु प्रहलाद को हर जगह अपने प्रभु के दर्शन करते और उन्हें कहीं भी पीड़ा का अहसास नहीं होता.
उन्हें विश्वास था कि हमारे प्रभु सर्वत्र विराजमान रहते है,इसीलिए प्रभु भक्त के पूर्ण विष्वास को देखकर खंभ से प्रकट होकर यह दिखा दिया कि भक्त की इच्छा को पूर्ण करने के लिए वे कहीं भी और किसी भी रूप में प्रकट हो जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिसके उपर प्रभु का हाथ हो,उसका कोई भी बालबांका नहीं कर सकता.
हम सभी को अपने जीवन में भक्त प्रहलाद जैसी भक्ति करनी चाहिए,जीवन में कितना भी संकट या विपत्ति ही क्यों ना आएं,कभी भी धर्म का मार्ग और भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा चाहिए. जीवन में सदैव निष्काम भाव से भक्ति करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जीवन में जब भी बोलो,सदैव सोच समझकर बोलो और प्रेम से बोलो,हित-मित और प्रिय वचन बोलो,ऐसे वचन नहीं बोलो,जिससे किसी का अहित हो. इस मौके पर पांडाल में बैठे श्रद्धालुओं ने झांकी के माध्यम से भक्त प्रहलाद के दर्शन किए.