Rajasthan News: रेल मंत्रालय द्वारा गठित गुप्त मतदान चुनाव कमेटी की अधिसूचना के अनुसार, रेलवे में ट्रेड यूनियन की मान्यता के चुनाव 4, 5 और 6 दिसंबर को होंगे. चुनाव में वैध नामांकन की सूची जारी होने के बाद नया मोड़ आ गया है. उत्तर पश्चिम रेलवे के रिटर्निंग अधिकारी पीसीपीओ प्रदीप कुमार सिंह ने 11 नवंबर को वैध नामांकन की सूचना जारी की थी. इसमें सिर्फ 4 संगठन नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्प्लॉईज युनियन, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन, उत्तर पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ और उत्तर पश्चिम रेलवे मजदूर संघ को अनुमति दी थी, लेकिन हाईकोर्ट के निर्णय के बाद अब ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन भी लड़ सकेगी. 


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रेल मामलों के जानकार गिरीश चतुर्वेदी ने बताया कि 25 अक्टूबर को नामांकन की अंतिम तिथि तक कुल 6 संगठनों ने नामांकन भरे थे. इसमें ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन के चुनाव लड़ने की पात्रता पूरी नहीं करने के कारण और इंडियन रेलवे एम्प्लॉईज यूनियन के नामांकन संबंधी दस्तावेज अधूरे होने की वजह से दोनों नामांकन वैध नहीं पाए गए. लेकिन अब बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ट्रैक मेंटेनर यूनियन भी उत्तर पश्चिम रेलवे सहित सभी जोनल रेलवे में चुनाव लड़ेगी. ऐसे में कोर्ट के इस निर्णय से चुनाव में नया मोड़ आ गया है.



35 फीसदी मतदान लाना हुआ मुश्किल !
दोनों मान्यता प्राप्त यूनियन के लिए 35-35 फीसदी वोट लाना मुश्किल हुआ. वर्ष 2007 और 2013 के मान्यता के चुनाव में 2 संगठनों को मान्यता मिली. एनडबल्यूआरईयू और यूपीआरएमएस दोनों को मान्यता मिली. 2007 के चुनाव में एनडबल्यूआरईयू को 44.22%, यूपीआरएमएस को 41.21% वोट मिले. 2007 के चुनाव में यूपीआरकेएस को 10.74% मत प्राप्त हुए थे. 2013 के चुनाव में एनडबल्यूआरईयू को 45.81% वोट मिले. यूपीआरएमएस को 40.73% तथा और यूपीआरकेएस को 9.02% मत मिले. दोनों चुनावों में एससी/एसटी एसोसिएशन ने यूपीआरएमएस को समर्थन दिया था. लेकिन इस बार एससी-एसटी एसोसिएशन ने यूपीआरकेएस को समर्थन दिया.



एक तरफ जहां यूनियन अध्यक्ष मनोज परिहार, महामंत्री मुकेश माथुर, कार्यकारी अध्यक्ष मुकेश चतुर्वेदी, मंडल अध्यक्ष केएस अहलावत पूरे जोन में अलग अलग टीम बनाकर प्रचार प्रसार में लगे हैं. वहीं यूपीआरएमएस के अध्यक्ष विनोद मेहता, मंडल अध्यक्ष सौरभ दीक्षित, महेश शर्मा, कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बीएल गंगवाल, संगठन मंत्री सीटीआई समीर शर्मा भी एक-एक कर्मचारी से मिल रहे हैं. पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में बदलाव कर इसे यूपीएस कर दिया गया है. अब पेंशन स्कीम रेलवे के मान्यता चुनावों में अहम भूमिका निभाएगी.



यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाए जाने के दौरान सभी संगठनों ने इसे अच्छा बताते हुए इसकी सराहना की थी, लेकिन अब एनएफआईआर और बीएमएस से जुड़े संगठन ने युवा रेलकर्मियों की प्रतिक्रिया को देखते हुए यूपीएस का विरोध और ओपीएस की बहाली की मांग करने लगे हैं. वहीं एआईआरएफ से जुड़े संगठन एनडब्ल्यूआरईयू ने यूपीएस में सुधार कराने का दावा किया है. कुल मिलाकर देखना होगा कि इस बार कौन से 2 संगठन मान्यता प्राप्त करने में सफल होते हैं.



रिपोर्टर- काशीराम चौधरी


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