Jaipur News: विदेशियों पर भी चढ़ा गुलाबी नगरी का रंग, देसी गाने पर थिरकी विदेशी मेम
Jaipur Holi: इस वर्ष धुलण्डी पर पिंकसिटी फिर से अपने पुराने रंग में नजर आया. जयपुर में होली की उमंग और तरंग इस कदर छाई कि सुबह से शुरू हुआ रंग-गुलाल और ढप-चंग के साथ गीत-संगीत का दौर शाम तक जारी रहा. बच्चों से लेकर युवाओं औ बुजुर्गों पर होली का खुमार छाया रहा.और साथ ही विदेशी सैलानियों ने भी खूब होली खेली.
Jaipur News: इस बरस रंगों के पर्व यानी धुलण्डी पर पिंकसिटी फिर से अपने पुराने रंग में नजर आया. पुराने रंग से मतलब तीन साल के कोरोना अवधि के पहले वाला जयपुर फिर से पुरानी रंगत में नजर आया. हालांकि इस बार होली महोत्सव के लिए जयपुराइट्स की तैयारी पहले से दिख रही थी. लेकिन धुलंडी वाले दिन तो जैसे पूरा शहर ही घरों से बाहर निकल आया.क्या बच्चे-क्या महिलाएं और क्या बुजुर्ग. युवाओं का तो कहना ही क्या. होली की उमंग और तरंग इस कदर छाई कि सुबह से शुरू हुआ रंग-गुलाल और ढप-चंग के साथ गीत-संगीत का दौर शाम तक जारी रहा.
पिंकसिटी में होलिका दहन होने के साथ ही गुलाल के साथ शुरू हुआ दौर धुलंडी की सुबह होने तक रंगों की पिचकारी से ऊपर उठते हुए रंगों की बौछार तक आ गया. जब लोगों ने पिचकारी से मन न भरने पर लोगों को बाल्टी भर-भर कर रंगों से भिगोया. मन भर कर एक दूसरे के चेहरों को रंगों से पोता. क्या महिलाएं और क्या बच्चे, किसी का भी चेहरा पहचानने में घरवालों को ही मुश्किलें पेश आईं. होलिका दहन के बाद से शुरू हुआ ढप-चंग के साथ गायन का दौर सुबह और जोर पकड़ने लगा. टोलियों में युवा पूरे मोहल्ले में गीत गाते हुए होली में मस्ती करते नजर आए. सड़कों पर खुली गाडि़यों में भी यही गीत गायन करते हुए टोलियां विचरती दिखीं. कहीं कहीं पर डीजे पर भी लोग तेज धुनों पर थिरकते नजर आए.
राजधानी जयपुर में बच्चों पर छाया होली का खुमार
गलियों में छतों पर टंगे लोगों ने युवाओं की टोली पर रंग-पानी की बाल्टियों से खूब रंग उड़ेल कर मस्ती की. चारों ओर बस एक ही गूंज सुनाई दे रही है, बुरा न मानो होली है. हर जगह लोग होली के जश्न में डूबे नजर आए. राजधानी जयपुर में बच्चों से लेकर युवाओं औ बुजुर्गों पर होली का खुमार छाया रहा. हर तरफ रंगों की खूबसूरत छटा नजर आ रही थी. रंगों के इस त्योहार में राजधानी में सद्भाव का रंग घुला. लोगों ने रंगों के त्यौहार की शुरुआत आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में दर्शनों के साथ की.
गोविंद देव जी के दरबार में चंग-ढफ की थाप पर थिरके विदेशी मेहमान
सबसे पहले राधे रानी और ठाकुर जी के साथ गुलाल अबीर लगाकर होली खेली और उसके बाद एक दूसरे के साथ रंगों का त्योहार सेलिब्रेट किया. इस फेस्टिवल में जयपुर ही नहीं अलग-अलग जिलों राज्यों और विदेशी मेहमानों ने भी एक दूसरे को कलर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस बार विदेशी मेहमान भी गोविंद देव जी के दरबार में चंग-ढफ की थाप पर थिरकते हुए नजर आए और ठाकुर जी के साथ होली खेली. लोगों ने एक दूसरे को प्रेम की फुहारों से जमकर भिगोया. लोगों ने घुलंडी पर परस्पर रंग, गुलाल, और अबीर आदि रंगो से होली खेली. इस दौरान सांस्कृतिक और धार्मिक संस्कृति की मिसाल देखने को मिली।
विदेशी सैलानियों ने भी खूब खेली होली खेली
सुबह सुबह युवाओं की कई टोलियों ने चंग ढफ और ढोल नगाड़ों के साथ सड़कों पर खूब मस्ती की. लोग सारे गिले शिकवे भुलाकर एक दूसरे के गले लगे और मिठाई खिलाकर एक दूसरे को बधाई दी. बच्चों में पिचकारी से होली खेलने का उत्साह नजर आया. मंदिरों में होली की छटा दिखी. शहर के होटल्स, रिसोटर्स और गेस्ट हाउसेज में भी होली की धमचक दिखी. विदेशी सैलानियों ने खूब होली खेली. पर्यटकों ने होली खेलने के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखाया. राजधानी घूमने आए विदेशी पर्यटक भी खुद को होली खेलने से अपने आप को रोक नहीं पाए और जम कर होली खेली. बच्चों के साथ साथ युवाओं की टोलियां, युवतियां, महिलाएं और बुजुर्ग भी होली के रंग में रंगे दिखे. धुलंडी और रामा श्यामा की भी रौनक रही.
लोगों के चेहरे रंग अबीर गुलाल से सराबोर नजर आए. बच्चे पिचकारियों में रंग भर कर एक दूसरे पर छोड़ते हुए दिखाई दिए. कई युवक रास्ते में आने जाने वाले लोगों के भी रंग लगा रहे थे। वहीं बुरा न मानो होली है कहते हुए पिचकारी से भी रंग की फुहारें फेंक रहे थे. ठंडी बयार, फागुन की छटा और रंगों का इंद्रधनुष उत्साह में चार चांद लगा रहा था. बच्चों और युवाओं की टोलियां आपस में एक दूसरे के रंग लगाती हुई दिखाई दीं.