Indian Army, world news: मंगलवार की सुबह पुंछ जिले के सुरंकोट तहसील में भारतीय सेना (Indian Army) और जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu and Kashmir Police) के विशेष ऑपरेशन्स ग्रुप ने चार आतंकवादियों को गोली गोलियों ने भून दिया. इन आतंकियों के दस्तावेजों से पता चला है कि ये चार जिहादी लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Toiba) संगठन के पाकिस्तानी नागरिक थे. राजौरी-पुंछ सेक्टर के लाइन ऑफ कंट्रोल (Loc) के करीब सिंदराह गांव में इंडियन फोर्सेज ने चार हथियारबंद आतंकवादियों को मार गिराया.


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आतंकियों से मिले जरूरी दस्तावेज


इस आतंकवादियों से मिले कागजातों के अनुसार, उनके नाम महमूद अहमद, अब्दुल हमीद, मोहम्मद शरीफ है, जबकि चौथे का नाम अज्ञात है. लेकिन उसे खर्शीदाबाद क्षेत्र से संबंधित बताया जा रहा है, जो लाइन ऑफ कंट्रोल पार कश्मीर में स्थित है. 



लश्कर-ए-तैयबा से था आतंकियों का संबंध


बताया जा रहा है कि ये चारों पाकिस्तान के कोटली और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार सियालकोट (Sialkot) के बीच संचालित होने वाले सज्जाद जट्ट के नेतृत्व में 12 लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Toiba) आतंकवादियों शामिल के संगठन में से थे.  इस सभी की उम्र 23-25 के बीच बताई जा रही है, जो जिहाद के अनुभवी वेटरन्स हैं, और संभवतः लश्कर के पश्चिमी मुकाबले पाकिस्तान की पश्चिमी फ्रंट में अफगानिस्तान में भी शामिल हो चुके हैं.  बताया जा रहा है कि राजौरी-पुंछ सेक्टर में पिछले 18 महीने से यह 12 सदस्य वाला गुट काम कर रहा है, जो खुर्शीदाबाद के दक्षिण से पीर पंजाल (Pir Panjal) और दक्षिण कश्मीर के क्षेत्र से आतंकवादियों को अभिक्रमण और प्रत्युत्थान के लिए रक्षा देते हैं. 


जी-20 इवेंट को टारगेट करना चाहते थे जिहादी


बताया जाता है कि ये लोग राजौरी-पुंछ सेक्टर के पीछे घने जंगलों वाले क्षेत्र का लाभ उठाते हुए, ashkar-e-Toiba ने इस क्षेत्र में अपने राजद्रोही और हिंसा का कहर फैला रखा है. 2020 से लेकर अबतक इन्होंने लगभग 24 नागरिक और सैन्य जवानों को अपना निशाना बनाया है. इन्हीं ने 20 अप्रैल और 5 मई को पुंछ सेक्टर में हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसका उद्देश्य मई 24 को कश्मीर में पर्यटन पर जी-20 इवेंट को बिगाड़ना था. 


ये है आतंकियों का मुख्य उद्देश्य


मारे गए चार आतंकवादियों की पहचान स्पष्ट रूप से दिखाती है, कि पाकिस्तान में आतंक की कारखाना जिंदा और सक्रिय है, जिसका उद्देश्य भारत के कश्मीर घाटी और जम्मू के पीछे क्षेत्र को टार्गेट करना है. इसी कारण से नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने पाकिस्तान के साथ किसी भी संरचित या अनौपचारिक संवाद को तब तक रद्द कर दिया है, जब तक इस्लामिक गणराज्य में आतंकवाद की कारखाने बंद नहीं हो जाते. 


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