JLF 2024: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा- मेरे पिता प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे
Sharmistha Mukherjee statement : जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल में मुखर्जी ने कहा कि मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे, क्यों कि वह उनकी मेंटर थी. उनकी वजह से भी वह सब कुछ बने थे. मेरे पिता कांग्रेस के मौजूदा हालत से काफी परेशान थे.
JLF 2024, Sharmistha Mukherjee statement : गुलाबी नगरी जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में आज पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस को बचाने के लिए परिवारवाद से बाहर निकल कर नेतृत्व की तलाश करनी होगी.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रणव माय फादर ए डोटर रिमेम्बर्स बुक पर सेशन में उन्होंने यह बात कही. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि आजकल लोग किसी भी मुद्दे पर ट्वीट और हेडलाइन पढ़कर सारांश निकल लेते है.
गुलाबी नगरी जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में आज पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस को बचाने के लिए परिवारवाद से बाहर निकल कर नेतृत्व की तलाश करनी होगी.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रणव माय फादर ए डोटर रिमेम्बर्स बुक पर सेशन में उन्होंने यह बात कही. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि आजकल लोग किसी भी मुद्दे पर ट्वीट और हेडलाइन पढ़कर सारांश निकल लेते है. डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारत की इकोनॉमी को बेहतर बनाने में अहम योगदान दिया है. उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए. मेरे पिता उनका काफी सम्मान करते थे.
मुखर्जी ने कहा कि मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे, क्यों कि वह उनकी मेंटर थी. उनकी वजह से भी वह सब कुछ बने थे. मेरे पिता कांग्रेस के मौजूदा हालत से काफी परेशान थे. यह सिर्फ उनके ही नहीं थे, बल्कि आज हर कांग्रेसी नेता के मन के हालात है. मुखर्जी ने कहा कि मेरे पिता की डायरी में काफी कुछ लिखा था. वह हर दिन कौन - कौन से नेताओं से मिल रहे थे. वह कहां जाते थे, क्या सोचते थे सब कुछ उस डायरी में लिखा था.
इंदिरा गांधी के साथ मेरे पिता के रिश्ते काफी अच्छे थे. यहां तक की वह क्या कपड़े पहनेंगे, इसपर भी वह इंदिरा गांधी जी से पूछते थे. यहां तक की जब वह मंत्री बने तो इंदिरा गांधी ने उन्हें धोतीं कुर्ता छोड़कर सूट पहनने के लिए कहा.
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह मेरे पिता को सर बोलकर संबोधित करते थे. मुखर्जी ने कहा कि मैं अब तक नहीं समझ पाई हूं कि ममता बनर्जी ऐसा कौन सा दबाव था जो उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए मेरे पिता की खिलाफत की थी.
एक सवाल के जवाब उन्होंने कहा कि जब मेरे पिता नागपुर गए थे. तब मैं कांग्रेस में सक्रिय थी. मैंने उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का काफी विरोध किया. तब उन्होंने मुझे समझाया था कि वह आरएसएस के कार्यक्रम में कांग्रेस की विचारधारा को बताने गए थे.