Jaipur: राजस्थान में ओबीसी की 10 जातियों ने एक बार फिर से सरकार के खिलाफ संग्राम छेड़ दिया है. सरकार ने इसी साल बजट में समाज के लिए 20 करोड़ की घोषणा की. इसके बाद मंथन भी हुआ,लेकिन अब तक योजनाएं बनाने में विभाग विफल रहा.सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा बनाई जाने वाली योजनाएं कागजों में सिमट गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार ने मिरासी समुदाय की जातियों को आर्थिक सामाजिक संबल प्रदान करने 20 करोड़ की की थी,जिसके बाद सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में राजस्थान मिरासी समुदाय के प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक हुई.मिरासी ढाढी समाज विकास संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष स्वरूप सिंवल का कहना है कि प्रतिनिधि मंडल के द्वारा मिरासी समुदाय ने अपने सुझाव विभाग को दिए जिस पर लगभग मुद्दों पर सहमति जताई गई,जिसमें जयपुर में छात्रावास, छात्रावास में पुस्तकालय, मिरासी समुदाय के छात्रों को अनुसूचित जाति के छात्रों के समान समस्त प्रकार की छात्रवृत्ति, स्कूटी वितरण योजना, महिला सशक्तिकरण के लिए योजनाओं पर सहमति बनी.


यह भी पढ़ें-राहुल गांधी के ईडी में पेशी के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, सीएम गहलोत को पुलिस ने हिरासत में लिया


इसके अलावा महाविद्यालय में प्रवेश के लिए मिरासी समुदाय के छात्रों की मेरिट अनुसूचित जाति के छात्रों के मेरिट के समकक्ष करने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (NFSA) में सम्मिलित करने के लिए पृथक से प्रयास किए जाएंगे,लेकिन अब तक एक भी योजना समुदाय के लिए लागू नहीं हुई.


10 जातियां, जिनको मिलना है हक
मिरासी, मांगणियार, ढाढी, लंगा, दमामी, मीर, नगारची, राणा, बायती और बारोट. 2 साल पहले इन्हीं जातियों की सामाजिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक और आर्थिक वस्तुस्थिति जानने के लिए राज्य पिछडा वर्ग आयोग ने सर्वे की कार्रवाई को शुरू किया था. लेकिन दूसरी जातियों के विरोध के कारण ये सर्वे फाइलों में ही बंद हो गया. 2019 में कई जिलों से इन जातियों की रिपोर्ट भी मांगी गई थी. इसके बाद सरकार ने बजट में इस समुदाय के लिए योजनाएं बनाने की घोषणा की. हालांकि समाज अभी भी आरक्षण की लड़ाई लड़ता रहेगा.