Water Crisis In Jaipur: बीसलपुर को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता है, लेकिन जब लाइफलाइन में लीकेज हो जाता है तो यही लाइफलाइन आईसीयू में चली जाती है. बड़ा से बड़ा सिस्टम, बड़ी से बड़ी तकनीक फेल हो जाती है. जलदाय विभाग के इंजीनियर्स हाथ पर हाथ धरे रहते है, क्योंकि लाइफलाइन केवल सिंगल लाइन पर जिंदा है. 


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इस लाइन में समय से ब्रेक नहीं मिलता है, जिसके कारण लीकेज बढ़ता है और समय से मेंटनेंस नहीं हो पाती. जिसका परिणाम ये है कि बीसलपुर परियोजना को बार-बार शटडाउन होना पड़ता है और बार-बार इस सिस्टम पर सवाल उठते है. बीसलपुर लाइन में लीकेज के कारण सप्लाई दो दिन तक बाधित रही, लेकिन शाम को सप्लाई हो जाएगी. मंत्री महेश जोशी ने कहा कि जयपुर की जनता ने इस बार भी धैर्य रखा, आज शाम से नियमित सप्लाई हो जाएगी.


कब-कब आईसीयू में गई लाइफलाइन
1. पहली बार इस साल 29 सितंबर को बीसलपुर परियोजना का शटडाउन हुआ था. नार्थ सर्किल की 80 कॉलोनियों में पानी की सप्लाई नहीं हो पाई थी.
2. 24 अगस्त से भी लाइफलाइन आईसीयू में रही.बीसलपुर इंटेक पंपिंग स्टेशन का वाल्व बदलने और सेंट्रल पार्क में कॉमन हैडर के वाल्व की मरम्मत की गई.
3. फिर 6 मई को वहीं हुआ. पानीपेच के पुराने टैंक को सेंट्रल पाइपलाइन से जोड़ने के लिए 80 कॉलोनियों की पेयजल सप्लाई बाधित हुई.
4. इसके बाद 4 और 5 फरवरी को सुरजपुरा और शहर के पंप हाउसों पर वॉल्व बदलने और पाइपलाइन की मेंटनेंस का काम किया गया.
5.अब टोडारायसिंह के पास पानी का लीकेज हुआ, जिस कारण दो दिन से सप्लाई बाधित हो रही है.


वैकल्पिक तौर पर ये है व्यवस्था
लाइफलाइन पर लोड ज्यादा होने से बार-बार ये आईसीयू में जा रही है. लेकिन इसे आईसीयू से बाहर निकलने का रास्ता निकल सकता है, यदि बीसलपुर से जयपुर तक दूसरी लाइन डाली जाए, जिससे यदि एक लाइन में खराबी आए तो दूसरी लाइन को शुरू किया जा सकता है. वैकल्पिक तौर पर सरकार के पास पानी पिलाने की व्यवस्था रहेगी.


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कोशिश तो की गई लेकिन प्रस्ताव अटक गया
ऐसा नहीं है कि इससे पहले कोशिश नहीं की गई हो. जलदाय विभाग ने दूसरी लाइन का प्रस्ताव डब्लूआरडी विभाग को भेज रखा है, लेकिन इसके लिए जलसंसाधन विभाग को 8 टीएमसी पानी की मात्रा और बढानी होगी. लेकिन जलसंसाधन विभाग के पास इतना पानी रिजर्व नहीं है, जिस कारण इसकी अनुमति आज तक नहीं मिली. सूरजपुरा से जयपुर 96 किलोमीटर की पाइपलाइन है, जिसे जलदाय विभाग ने 2009 में शुरू किया था, लेकिन पिछले 13 साल से जयपुर की लाइफलाइन बार-बार आईसीयू में जाकर अपनी जान बचा रही है.


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