Jaipur News: पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अध्यक्ष और राज्यपाल कलराज मिश्र ने आमजन से लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए लोक कलाओं और हस्तशिल्प उत्पादों को अपने दैनिक जीवन में अधिकाधिक अपनाने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि बाजारवाद के दौर में लोक कलाकार जीवन से जुड़ी उदात्त परम्पराओं और सांस्कृतिक मूल्यों का पोषण करते हैं, इन्हें प्रोत्साहन देना हम सभी का सामूहिक कर्तव्य है.


दस दिवसीय लोक कला महोत्सव का उद्घाटन


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राज्यपाल मिश्र पणजी स्थित दरिया संगम कला अकादमी संकुल में गोवा सरकार और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय लोक कला महोत्सव ‘लोकोत्सव 2023’ के उद्घाटन समारोह में सोमवार शाम को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज जब सबकुछ यांत्रिक होता जा रहा है, ऐसे समय में लोक कलाकार और शिल्पकार आमजन को लोक संस्कृति से जोड़े रखने के लिए अपनी सुंदर एवं मनमोहक कलाओं के माध्यम से प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं.


राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया उद्घाटन


राज्यपाल ने कहा कि भारत की वास्तविक संस्कृति में भाषा, धर्म, जाति और विचारधारा के भेद स्वतः मिट जाते हैं. उन्होंने कहा कि लोकोत्सव जैसे सांस्कृतिक आयोजन विविधता में एकता की इस भारतीय संस्कृति के प्रसार की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, इनमें लोगों की सामूहिक संस्कृति और संस्कार देखने को मिलते हैं. यही कारण है कि हमारी राष्ट्रीय एकता का इतिहास भी लोक पर्वों और उत्सवों से ही जुड़ा रहा है.


राज्यपाल मिश्र ने लोकोत्सव के भव्य आयोजन के लिए पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र और गोवा सरकार की सराहना भी की. गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने गोवा में आयोजित लोकोत्सव को अनुपम बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से संस्कृति के सरोकारों से हम प्रत्यक्ष जुड़ते हैं. उन्होंने एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत भी लोकोत्सव को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इससे सांस्कृतिक रूप में लोग निकट आते हैं. उन्होंने राज्यपाल  मिश्र का अभिनंदन करते हुए उनके व्यक्तित्व की सराहना की.


 लोकोत्सव से जुड़ी पुस्तिका का लोकार्पण


गोवा सरकार के कला एवम् संस्कृति मंत्री गोविंद एस गौडे ने देश के भिन्न भागों से आए कलाकारों और शिल्पकारों का स्वागत करते हुए दस दिवसीय आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी. आरंभ में लोकोत्सव से जुड़ी पुस्तिका का लोकार्पण किया गया. राजस्थानी कलाकारों ने पधारो म्हारे देस की प्रस्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ किया.


राजस्थानी लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र


लोकोत्सव में भारत की विविवधतापूर्ण संस्कृति लघु रूप में साकार हो रही है. 800 से अधिक शिल्पकार अपने-अपने राज्यों की हस्तकलाओं और उत्पादों का प्रदर्शन करने पणजी पहुंचे हैं. वहीं, 600 लोक कलाकार अपने-अपने राज्यों के लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां इस आयोजन में देंगे. राजस्थानी लोक कलाकारों की मांगणियार लोक गायन, कालबेलिया, भवाई नृत्य, बहुरूपिया व कठपुतली की प्रस्तुतियां लोकोत्सव का विशेष आकर्षण है.


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गोवा के स्थानीय लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों के अलावा ओडिशा के कलाकारों की गोटीपुआ, असमिया कलाकारों के बिहू नृत्य, गुजरात के मेवासी नृत्य, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया छाऊ नृत्य, उत्तर प्रदेश के चरकुला, कर्नाटक के डोलू कुनिथा पारम्परिक नृत्य, महाराष्ट्र के लावणी, गुजरात के सिद्धि धमाल, हरियाणा के घूमर फाग, मणिपुर से आए कलाकारों के पुंग चोलम, ढोल चोलम नृत्य और थांग टा की प्रस्तुतियां इस महोत्सव में देखने को मिलेंगी.


इस अवसर पर गोवा के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल, राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेष अधिकारी श्री गोविंदराम जायसवाल, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता, अधिकारीगण, शिल्पकार, कलाकार और गणमान्यजन उपस्थित रहे.