Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन में विधायकों की कम सिटिंग पर चिंता जताई है.बिरला ने प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित किया.उन्होंने कहा कि आजकल विधानसभा में कई बार तो ऐसे हालात होते हैं कि किसी–किसी बहस के समय तो केवल 20 -25 सदस्य ही रहते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 बिरला ने कहा कि आपको जनता ने बड़ी उम्मीद से भेजा है और उस जिम्मेदारी को समझना होगा.बिरला बोले कि सदन में नहीं बैठेंगे,तो कुछ सीख भी नहीं पाएंगे.


बिरला ने कहा कि सदन में विधायकों की अनुपस्थति और कम सिटिंग चिंता का विषय है. बिरला ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत,पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और राजेंद्र राठौड़ वो नेता रहे हैं,जो सदन में 10 से 12 घंटे बैठते थे.सदन में विधायक समय देगा तब ही सदन की कार्यवाही को समझ सकेगा.


सौभाग्य है कि सदस्य बनने का मौका मिला 


ओम बिरला ने कहा कि राजाओं के राज के समय भी लोकतांत्रिक व्यवस्था थी,सौभाग्य है कि आप सबको इस विधानसभा का सदस्य बनने का अवसर मिला.दुनिया को अचंभित करता है कि इतने बड़े देश में लोकतांत्रिक प्रणाली है.यहां पंचायत से लेकर दिल्ली तक की व्यवस्था लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलती है,चुनाव प्रक्रिया है. 


जनता ने आप को सदन में चुन कर भेजा है, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने विधानसभा के विकास की, लोगों की आकांक्षा और अपेक्षा की तार्किक बात करें. बिड़ला ने कहा कि सत्ता हो या विपक्ष,सहमति और असहमति हो सकती है, लेकिन विपक्ष अगर कोई मुद्दा उठता है तो उसे सरकार को भी सकारात्मक तौर पर लेना चाहिए.


बिरला ने कहा कि कई बार न जनता को पता, न विधायकों को पता कि कानून बनने का असर क्या होगा ? जबकि उसका बहुत असर पड़ता है. इसलिए कानून बनाते समय और नियम बनाते समय विशेष ध्यान देना चाहिए.


कानून बनाते समय जितनी सार्थक चर्चा होगी, उतना ही बेहतर नतीजा आएगा. ओम बिड़ला ने मुख्यमंत्री को लेकर कहा कि भजन लाल शर्मा का लंबा संगठनात्मक अनुभव है और उस कार्यप्रणाली का फायदा सबको मिलेगा.


ये भी पढ़ें- घनश्याम तिवारी ने किया 'पर्ची' का जिक्र तो लोगों ने कर दिया वसुंधरा राजे को ट्रोल! जानें क्या दशकों पुराना कनेक्शन