Artificial Womb : अब मशीन पैदा करेगी बच्चे, मम्मी पापा बनने का सपना बिना दर्द के होगा पूरा
Artificial Womb: दुनिया में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को लेकर बहस छिड़ी हुई है, फेसबुक, एपल, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल सहित दुनिया की बड़ी से बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के काम में लगी हैं. ऐसे में जो खबर आज हम आपको बताने जा रहे है वो आपको चौंका देगी, अब मशीन के जरिए अपना बच्चा पैदा कर सकेंगे.
Artificial Womb: जिंदगी में मम्मी पापा बनना हर लड़के और लड़की की ख्वाहिश होती है, लेकिन कई बार किन्ही कारणों से जब जब ये सब नहीं हो पता तो उसका दुःख जीवनभर रहता है. आज तकनिकी जिस तरह से विकसित हो रही है उस समय में पैरेंट्स बनने का सपना धीरे धीरे साकार होता नजर आरहा है. आज दुनिया में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को लेकर बहस छिड़ी हुई है, उसे देखते हुए अब हो हुआ है वो होना निश्चित था. फेसबुक, एपल, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल सहित दुनिया की बड़ी से बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के काम में लगी हैं. ऐसे में जो खबर आज हम आपको बताने जा रहे है वो आपको चौंका देगी. आपको बात दें की अब बच्चे को मां की कोख में पालने का चक्कर खत्म होने वाला है. ऐसे में जो महिलाएं चाहती है की वो लेबर पेन के दर्द से ना गुजरे वो लोग मशीन के जरिए अपना बच्चा पैदा कर सकेंगे. चौंक गए ना आप भी आपको बता दें की बच्चे को आर्टिफिशियल गर्भाशय में पाला जाएगा और भ्रूण से लेकर पैदा होने तक की पूरी देखरेख मशीन के जरिए होगी. जो पति-पत्नी किन्हीं वजहों से माता-पिता नहीं बन पाते हैं. उनके लिए यह एक अच्छी खबर है.
ये है आर्टिफिशियल कोख बनाने वाली कंपनी
एक्टोलाइफ नाम की कंपनी ने आर्टिफिशियल कोख से बच्चा पैदा करने का दावा किया है. इसमें महिलाओं को गर्भवती होने की जरुरत नहीं पड़ेगी, न ही डिलिवरी के समय होने वाले लेबर पेन को बर्दाश्त करना होगा. दावा कंपनी का तो यह भी है कि किस तरह का बच्चा आपको चाहिए, उसके अनुरूप आप बदलाव कर सकते हैं.
कैसे पैदा होंगे बच्चे?
ऐसे में जो महिलाएं चाहती है की वो लेबर पेन के दर्द से ना गुजरे वो लोग मशीन के जरिए अपना बच्चा पैदा कर सकेंगे. आपको बता दें की इस दौरान बच्चे को आर्टिफिशियल गर्भाशय में पाला जाएगा और भ्रूण से लेकर उसके पैदा होने तक की पूरी देखरेख मशीन के जरिए ही होगी. इस बात की पूरी जानकारी देने के लिए कंपनी ने बाकायदा एक वीडियो जारी करके बताया है कि अब ऐसा करना मुमकिन है. अगर किसी महिला के शरीर में यूट्रस (बच्चेदानी) नहीं है या किसी गंभीर बीमारी के चलते इसे निकलवाना पड़ा है तो ऐसे में अब वह इस टेक्निक से मां बन सकेंगी. साथ ही अगर किसी पुरुष को इनफर्टिलिटी की समस्या है और कोई महिला मां नहीं बन पा रही तो इस तकनीक का सहारा लिया जा सकता है. आपको बता दें की इसका तकनीक का पूरा नाम है आर्टिफिशियल गर्भाशय फैसिलिटी. एक्टोलाइफ कंपनी का कहना है कि यह दुनिया की पहली आर्टिफिशियल कोख की तरह काम करेगा.
इन्फेक्शन फ्री होता है बच्चों का जन्म
इस जानकारी को साझा करते हुए कंपनी ने ये दावा किया है कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए बच्चा इन्फेक्शन फ्री जन्म ले सकेगा. इस टेक्नोलॉजी पर नजर रखने के लिए एक्टोलाइफ के पास हाई इक्विपमेंट वाली 75 लैब हैं. हर लैब में 400 ग्रोथ पॉड्स हैं, जहां गर्भ में पल रहे बच्चे की तरह ही बच्चे पल सकते हैं. ऐसे में हर पॉड्स को बिल्कुल उसी तरह डिजाइन किया गया है, जैसा कि मां के पेट में यूट्रस (गर्भाशय) होता है. इन पोड्स को आर्टिफिशियल यूट्रस इसीलिए कहा गया है क्योंकि यह बिल्कुल मां के पेट जैसा अनुभव बच्चों को कराता है.
क्या है ग्रोथ पॉड्स?
ग्रोथ पॉड्स मशीन से जुड़ी एक बच्चेदानी है. ग्रोथ पोड के भीतर बच्चे के वाइटल साइन- यानी उसकी स्किन, धड़कन, टेंपरेटर, हर्टबीट, ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर, ब्रीथिंग रेट, दिल, दिमाग, किडनी, लिवर और शरीर के बाकी अंगों को रियल टाइम मॉनिटर करने के लिए कई सेंसर लगाए गए हैं. इसके जरिए आप पल -पल बच्चे से जुड़ी सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं. इसके साथ ही पैरेंट्स को रियल टाइम अनुभव कराने के लिए एक एप तैयार की गई है, जिसमें वह हर चीज लाइव देख सकते हैं कि आखिर बच्चे की ग्रोथ कैसे और किस तरह हो रही है.
घर पर पलेगा भ्रूण
इस टेक्नोलॉजी की सबसे खास बात यह है की अगर आप बार-बार लैब के चक्कर लगाने से बचना चाहते हैं या आपको लगता है कि आप बार-बार लैब जाकर विजिट नहीं कर सकते है तो आप अपने घर पर अपना पॉड रख सकते हैं. एक्टोलाइफ कम्पनी इस बात की सुविधा दीं रही है की आप अपना पोड घर पर ले जाएं. ऐसी स्थति में आप अपने बच्चे को अपने घर में अपने बैडरूम में ग्रो करते देख सकते हैं जो अपने आप में काफी खूबसूरत अहसास होगा।आपको बता दें की टेस्ट होने के बाद ही बच्चा आर्टिफिशियल गर्भ में इंप्लाट किया जाता है, इसलिए किसी भी तरह के बर्थ कॉप्लिकेशन यानी जन्म के समय की बीमारी के चांस नहीं रहते हैं.
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