Jaipur News: राजस्थान रोडवेज में एक नया संकट खड़ा हो गया है. प्रशासन ने फील्ड में कंडक्टर उतार दिए हैं और टिकट विंडो पर अब रोडवेज स्टाफ नहीं होगा. इसके बजाय, बुकिंग एजेंट बस स्टैंड को संभालेंगे. कई डिपो में बुकिंग एजेंट नियुक्त किए जा रहे हैं और टिकट बुकिंग अब एजेंट के हवाले होगी. रोडवेज यूनियनों ने इस फैसले का विरोध किया है.


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राजस्थान रोडवेज में प्राइवेटाइजेशन की बैक डोर एंट्री हो रही है. अब तक रोडवेज कर्मचारियों से आबाद नजर आने वाले बस स्टैंड अब कर्मचारियों के नहीं होने से सूने नजर आने लगे हैं. बस अड्डों पर आने वाले समय में बुकिंग एजेंटों की चहल-पहल रहेगी. इसे लेकर रोडवेज में विरोध शुरू हो गया है. 


सिरोही डिपो के मुख्य प्रबंधक द्वारा 12 नवंबर को एक विज्ञप्ति जारी की गई है. इसमें सिरोही के केन्द्रीय बस स्टैंड सहित विभिन्न उपनगरीय बस अड्डों पर बुकिंग एजेंट लगाने के लिए आवेदन मांगे गए हैं. जहां कभी रोडवेज की टिकट खिड़कियों से टिकट काटे जाते रहे हैं, अब वहां पर प्राइवेट व्यक्ति रोडवेज बसों के टिकट जारी करते दिखेंगे. ये प्राइवेट व्यक्ति रोडवेज प्रशासन द्वारा अनुबंध पर लगाए जा रहे हैं और इन्हें बुकिंग एजेंट कहा जा रहा है. 


बड़ी बात यह है कि रोडवेज के बस अड्डे अब कर्मचारियों की कमी के चलते सूने नजर आने लगे हैं. रोडवेज प्रशासन ने अपने सभी डिपो में टिकट खिड़कियों पर लगे कर्मचारियों को फील्ड में भेज दिया है. इसके पीछे रोडवेज प्रशासन द्वारा कर्मचारियों की कमी की बात कही जा रही है. परिचालकों की कमी होने और अनुबंधित बस सारथी कम संख्या में आने के चलते टिकट खिड़कियों पर लगे परिचालकों को फील्ड में भेजा जा रहा है. 


इस कारण प्रदेश के कई बस अड्डों पर टिकट खिड़कियां बंद हो गई हैं. उदयपुर, सिरोही, भीलवाड़ा, कोटा, जोधपुर, पाली सहित कई जिलों में टिकट विंडो बंद हो चुकी हैं. ऐसे में अब बुकिंग एजेंटों के जरिए टिकट बुकिंग कराई जा रही है.


रोडवेज में क्यों खड़ा हुआ यह संकट ?
राजस्थान रोडवेज में इन दिनों स्टाफ की कमी है, जिसके कारण परिचालकों की कमी हो गई है. परिचालक के कुल 7017 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 3150 पद रिक्त चल रहे हैं. इस समस्या का समाधान करने के लिए, डिपो स्तर पर बस सारथी अनुबंध पर लिए जा रहे हैं. रोडवेज एमडी के निर्देश पर इन्हें रूटों पर चलाया जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप, बुकिंग विंडो खाली हो गई हैं और बुकिंग एजेंट लगाए जा रहे हैं. हिंडौन, सिरोही, भीलवाड़ा ने बुकिंग एजेंट के आदेश निकाले हैं और अन्य डिपो में भी इसी तरह बुकिंग एजेंट लगाने की कवायद जारी है.


बस अड्डों पर स्टाफ की कमी सामने आने पर अभी रोडवेज के आधा दर्जन डिपो के मुख्य प्रबंधकों ने टिकट काटने के लिए बुकिंग एजेंट लगाना शुरू किया है. बुकिंग एजेंट लगाए जाने का रोडवेज के श्रमिक संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है. भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फैडरेशन द्वारा इसका विरोध शुरू कर दिया गया है. फैडरेशन पदाधिकारियों का कहना है कि बस अड्डों के निजीकरण का यह प्रयास गलत है. ऐसा किया गया तो फैडरेशन द्वारा बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा.


रोडवेज कर्मचारियों को इस मामले में एक डर यह भी है कि यदि आने वाले समय में इसी तरह रोडवेज बस अड्डों से कर्मचारी फील्ड में भेजे जाते रहे तो बस अड्डों पर रोडवेज कार्मिकों की संख्या बहुत कम रह जाएगी. ऐसे में यदि आने वाले समय में बस अड्डों पर प्राइवेट बसों को संचालित करने की अनुमति दी जाती है तो बस अड्डों पर कर्मचारी नहीं होने से उसका विरोध भी नहीं हो सकेगा. देखना होगा कि रोडवेज प्रशासन इस गतिरोध को कब खत्म करेगा?


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