Jaipur: जन्म, मृत्यु और विवाह पंजीयन के सैकड़ों आवेदन जन-आधार कार्ड की अनिवार्यता में उलझ गए हैं. ऑनलाइन प्रक्रिया में जन आधार कार्ड आवश्यक रुप से अपलोड करने की व्यवस्था के कारण प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहे हैं. हाल ही में प्रारंभ हुई नई व्यवस्था से उन आवेदकों को अधिक परेशानी हो रही है, जिनके प्रदेशों में जन आधार कार्ड की व्यवस्था नहीं है. नगर निगम में ऐसी फाइलों का ढेर लगना शुरू हो गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजस्थान के मूल निवासियों को राज्य सरकार की योजनाओं का सीधे लाभ देने के उदेश्य से शुरू की 'जन-आधार' योजना अब लोगों के लिए परेशानी बन गई. अप्रैल में सरकार ने प्रदेश में सभी निकायों, पंचायतों में जन्म, मृत्यु व विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए इसे अनिवार्य कर दिया था लेकिन अब यही ऑर्डर लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. खासकर उनके लिए जो दूसरे राज्यों से यहां आए हैं. 


यह भी पढ़ें- खबर का असर: OBC की 10 जातियों के लिए खुशखबरी, महीने भर में लागू होंगी 20 करोड़ की योजनाएं!


जयपुर नगर निगम की बात करें तो यहां बड़ी संख्या में लोगों के आवेदन अब अटक गए है. दरअसल जनआधार कार्ड उन्हीं लोगों का बन रहा है, जो राजस्थान के मूल निवासी है. जन्म, मृत्यु और मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए भी सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया. अब सरकार के ये आदेश उन लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं, जो दूसरे राज्य से मैरिज करके यहां आए हैं. लड़का राजस्थान का और लड़की किसी दूसरे राज्य की होने से लड़की का जनआधार कार्ड नहीं बन पा रहा. इस कारण मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा. इसी तरह कोई मरीज या व्यक्ति जो दूसरे राज्य का है और इलाज के दौरान या दुर्घटना में राजस्थान के किसी शहर या हॉस्पिटल में मौत हो गई है तो ऐसे व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र बनने में भी बाधा आ रही है. वहीं केन्द्रीय सर्विस से कुछ समय के लिए ट्रांसफर होकर आए व्यक्तियों के लिए भी ये आदेश परेशानी का कारण बन गए हैं.


यूं समझे मामले


केस-1- जयपुर की रहने वाली किरण पंवार की शादी गुजरात निवासी रांगी हरीश से हुई है. किरण और उनके पति की शादी जयपुर में हुई इसलिए उन्होंने मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए जयपुर नगर निगम में आवेदन किया है. आवेदन में वर पक्ष का जनआधार नहीं होने के कारण विवाह रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका.


केस-2- जयपुर निवासी वैभव अग्रवाल की शादी लुधियाना निवासी सरस्वती अरोड़ा से हुई है. उन्होंने जयपुर नगर निगम में मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है, लेकिन उनका ये आवेदन अब वधु के जनआधार कार्ड नहीं होने के कारण अटक गया है.


क्या कहना है जयपुर नगर निगम के जन्म-मृत्यु के रजिस्ट्रार का
जयपुर नगर निगम के जन्म-मृत्यु के रजिस्ट्रार प्रदीप पारीक का कहना है कि जनआधार को लेकर इस तरह की समस्याएं आ रही हैं. इसके लिए हमने मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) एवं ज्वाइंट सेक्रेट्री आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय राजस्थान को पत्र भी लिखा है. इसमें उन लोगों के लिए बड़ी समस्या आ रही है, जिनका अभी तक जनआधार नहीं बना है और पूर्व में परिवार के ही किसी सदस्य की मृत्यु हो गई है. ऐसे मृत व्यक्ति का अब जनआधार में नाम नहीं जोड़ा जा सकता. इस कारण अब उस मृत व्यक्ति के परिजनों को उसका प्रमाण पत्र जारी करने में समस्या आ रही है.
पारीक ने बताया कि 5 वर्ष से जन्म-मृत्यु और विवाह पंजीयन में आधार अनिवार्य था. 15 जून से आधार के साथ जनआधार भी जरूरी कर दिया गया....इसमें एक ओर समस्या का सामना करना पड रहा हैं. आधार कार्ड से अलग जनआधार में पहले नाम के बाद ‘प्रसाद’, ‘कुमार’ जैसे उपनाम लगा दिया गया. उपनाम बदलने के साथ सरनेम भी बदल दिए गए. इसके बाद लोगों के लिए संकट खड़ा हो गया. लोगों को अब पहले जनआधार को आधार कार्ड के अनुसार नाम परिवर्तन के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. इस आदेश से निकायों में विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में जन आधार की अनिवार्यता लागू होने से दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया पर एकाएक ब्रेक लग गया है.


प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहे 
बहरहाल, पहचान पोर्टल से जन्म, मृत्यु और विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जन आधार कार्ड की अनिवार्यता के कारण सैंकड़ों आवेदन अटक गए हैं. नगर निगम से जिन आवेदक परिवारों के पास जन आधार कार्ड है, उनको प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं और जिनके पास जन आधार कार्ड नहीं है, उनको प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहे हैं. इस उलझी प्रक्रिया से सैंकड़ों आवेदन के निस्तारण को लेकर एक तरफ आवदेनकर्ता परेशान है तो वहीं नगर निगम के अफसर भी इस समस्या से जूझ रहे हैं.


यह भी पढे़ं- पिता के नाम बेटी का एक ऐसा ख़त, जिसे पढ़कर किसी भी बाप की आंखों में आंसू आ जाएं


अपने जिले की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.