Jaipur: प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की गहमागहमी चल रही है. राजस्थान से चार सीटों पर सदस्य चुने जाने हैं, लेकिन इसी बीच सरकार के सूचना और जनसंपर्क मंत्री अशोक चांदना ने ट्विटर पर बम फोड़ दिया है. सरकार के काम का प्रचार करने का जिम्मा संभालने वाले विभाग के मंत्री अशोक चांदना ने एक ट्वीट कर मुख्यमंत्री से अपने आप को पद मुक्त करने का आग्रह किया है. अशोक चांदना ने अपने ट्वीट में लिखा कि उन्हें इस जलालत भरे पद से मुक्त कर दिया जाए.



COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चांदना सिर्फ खुद को पद मुक्त करने की बात कहकर ही नहीं रुके, बल्कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि उनके सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वह ही सभी विभागों के मंत्री हैं. 


मंत्री अशोक चांदना के इस बयान के बाद बीजेपी को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है और मुख्य विपक्षी पार्टी के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी और प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने अशोक चांदना के बयान पर सरकार को आड़े हाथ लिया.


इधर, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ भी सरकार की घेराबंदी करने में जुट गए. राजेंद्र राठौड़ ने लिखा कि कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा, रामलाल मीणा और राजेंद्र बिधूड़ी के बाद अब मंत्री अशोक चांदना का सरकार के मुखिया के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस के डूबते जहाज में कोई भी नहीं रहना चाहता. 



बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने तो अशोक चांदना के बयान को सीधे तौर पर 2023 के विधानसभा चुनाव से जोड़ दिया. पूनिया ने कहा कि 2023 के रुझान आने शुरू हो गए हैं और कांग्रेस का जहाज डूब रहा है. 



अशोक चांदना की तरफ से इस्तीफे की पेशकश के बाद पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी राजस्थान सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में अगर सरकार के मंत्रियों के हाल ऐसे हैं तो आम जनता की सुनवाई कौन करता होगा? देवनानी ने कहा कि मुख्यमंत्री को अब इस डूबती कांग्रेस सरकार से राजस्थान को भी मुक्ति दे देनी चाहिए. पूर्व मंत्री ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मंत्री और विधायकों को भरोसा नहीं रह गया है. 


उधर बीजेपी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने भी सरकार को आड़े हाथ लिया. रामलाल ने कहा कि वह पहले ही सरकार के अधिकारियों के रवैए के खिलाफ आगाह कर चुके थे. रामलाल ने कहा कि गहलोत सरकार के अधिकारियों से पीड़ित मंत्री और विधायकों में अब एक और नाम मंत्री अशोक चांदना के रूप में शुमार हो गया है. उन्होंने कहा कि अधिकारी न तो फोन उठाते हैं और न ही जनहित के कामों में रुचि लेते हैं. रामलाल ने कहा कि अब गहलोत सरकार पर उनके ही मंत्री की तरफ से लगाए गए आरोपों से यह बात साबित भी हो जाती है. 



सरकार के कामकाज का प्रचार करने वाले विभाग यानि सरकार के चेहरे के रूप में समझे जाने वाले डीपीआर के मंत्री की तरफ से इस तरह का बयान आना वाकई शोचनीय है. खेल मंत्री के ट्वीट की आखिरी लाइन में जिस तरह कुलदीप रांका को सभी विभागों का मंत्री होने की बात कही गई है, उससे बात यह भी आ रही है कि अन्य विभागों में भी अधिकारी का दखल इसी तरह है, लेकिन दूसरे मंत्री खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं. 


इधर मंत्री अशोक चांदना का ट्वीट आने के बाद लगातार सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा हो रही है. एक चर्चा पूर्वर्ती बीजेपी सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रमुख सचिव रहे तन्मय कुमार की भी हो रही है. अब तन्मय कुमार और कुलदीप रांका की एक दूसरे के साथ तुलना भी ट्विटर पर शुरू हो गई है. 


यह भी पढ़ेंः अजमेर शरीफ की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा, महाराणा प्रताप सेना ने जारी की तस्वीरें