Ajmer : अजमेर की सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह (Ajmer Dargah) को लेकर महाराणा प्रताप सेना (Maharana Pratap Sena) ने दावा किया है कि यहां पृथ्वीराज चौहान ( Prithviraj Chauhan ) का बनाया हुआ शिव मंदिर ( Shiv Tample ) था. मंदिर पर दरगाह बनाई गई है. दरगाह की खिड़कियों और दरवाजों में स्वास्तिक के चिन्ह होने का दावा किया है.
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Ajmer : अजमेर की सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह (Ajmer Dargah) को लेकर एक चौकाने वाला दावा सामने आया है. इस दावे के मुताबिक यहां पृथ्वीराज चौहान ( Prithviraj Chauhan ) का बनाया हुआ एकलिंग मंदिर था. जिस पर कब्जा कर दरगाह बनाई गई है.
अजमेर में महाराणा प्रताप सेना (Maharana Pratap Sena) ने फेसबुक पोस्ट पर एक फोटो डाला है. इस फोटो को दरगाह का बताया जा रहा है. और दावा किया जा रहा है कि खिड़की के एक हिस्से पर स्वास्तिक बना हुआ है. इस पोस्ट के जरिए ये सवाल उठाने की कोशिश हो रही है कि अगर ये दरगाह है तो इसके दरवाजों में स्वास्तिक का क्या काम है.
संगठन के अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार (Rajvardhan Singh Parmar) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस जगह का एएसआई से सर्वे कराया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके. दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) में एक पुराना मंदिर है. दरगाह की दीवारों पर हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह भी है. ऐसे में जरुरी है कि इसका सर्वे कराया जाए.
महाराणा प्रताप सेना ने ये भी कहा है कि अगर एक सप्ताह के भीतर इस पर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाता है तो वो केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलेंगे. इसके अलावा सेना के कई लोग अजमेर जाकर भी आगे का रास्ता तय करेंगे और बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा. प्रताप सेना के मुताबिक जरुरत पड़ी तो कोर्ट का रास्ता भी चुना जाएगा.
इधर दरगाह के खादिमों ने महाराणा प्रताप सेना के इस दावे को खारिज किया है. दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान ने सिरे से खारिज किया है. अंजुमन कमेटी का दावा है कि साढ़े आठ बीघा में फैले दरगाह परिसर में उस तरह का कोई हिस्सा नहीं है. जिसकी तस्वीर वायरल कर यह दावा किया जा रहा है कि दरगाह में हिन्दू प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक वाली जालियां लगी हुई है. बड़ी बात ये है कि अंजुमन कमेटी ने दावा किया कि कोई भी कानूनी रास्ते से इस विवाद के निबटारे के लिए दरगाह आना चाहता है तो अंजुमन कमेटी उसका स्वागत करेगी.
अंजुमन कमेटी के सदर सैयद मोईन ने कहा कि अजमेर स्थित दरगाह साढ़े आठ सौ सालों से इसमें आस्था रखने वालो के लिए खुली हुई है. यहां कभी किसी के भी आने पर रोक नही है. लेकिन यदि शरारतन कोई धार्मिक सद्भाव को खराब करने की नियत लेकर आता है. तो फिर सरकार और प्रशासन को इस मामले में दखल देना चाहिए.
इधर अंजुमन कमेटी के सचिव वाहिद अंगारा ने भी कहा कि दरगाह को लेकर इस तरह के विवाद ठीक नही है. अंजुमन खुले दिल से दरगाह में सभी का स्वागत करती है. लेकिन इस तरह के विवाद उत्पन्न करने वालों के खिलाफ भी एक्शन होना चाहिए. क्योंकि दरगाह केवल मुस्लिम आस्थाओं का केंद्र नहीं है, सूफीवाद में विश्वास करने वाले हर धर्म और जाति के करोड़ों लोग हर साल दरगाह आते है
अंजुमन कमेटी के सदर मोईन सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति यदि कोई दावा कर रहा है. और उसकी सत्यता को जांचा जाना जरुरी है. तो कानूनी रूप से आने वाले हर व्यक्ति और एजेंसी का वो स्वागत करेंगे. ASI के सर्वे की संभावना पर कहा कि पिछले साढ़े 8 सौ सालों से यहां हुकुमतों ने सर नवाया है. दरगाह में हर कायदे कानून का पालन होता है. यदि सरकार जरूरी समझे तो निर्णय ले. अंजुमन उस पर कोई आपत्ति व्यक्त नहीं करेगी.
अजमेर की दरगाह से जुड़े इस नये दावे के बाद अजमेर जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है. अजमेर के आला प्रशासनिक अधिकारी लगातार इस मामले पर नजर बनाये हुए है. अजमेर की एडीएम सिटी भावना गर्ग सहित पुलिस अधिकारीयों ने अचानक दरगाह पहुँच कर हालातों का जायजा लिया. ये अलग बात है कि मीडिया से बात करते हुए उन्हौने इस दौरे को दरगाह जियारत का नाम दिया है.
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