गहलोत-पायलट गुट के सिर फुटव्वल के बीच मंत्री-विधायकों ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ खोला मोर्चा
Rajasthan Politics : राजस्थान में एक बार फिर अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच सिर फुटव्वल बढ़ गया है, दोनों गुटों के बीच बयानबाजी के साथ-साथ अब ट्विटर वॉर छिड़ गया है. सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और प्रताप सिंह खाचरियावास ने अब ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
Rajasthan Politics : राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही कि अब सरकार के मंत्री विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार ने ब्यूरोक्रेसी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. सरकार के मंत्री और कांग्रेस के आक्रामक नेता प्रतापसिंह ने अधिकारियों की ACR भरने का अधिकार माँगते के बाद अब मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी इस बात का समर्थन किया है संयम लोढ़ा ने आज ट्वीट करते हुए लिखा कि नागरिकों के प्रति प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिये यह उचित होगा कि विभाग में कार्यरत आईएएस अधिकारियों की एसीआर विभाग के मंत्री द्वारा लिखी जाए. प्रताप सिंह की मांग पूरी तरह जनहित में है.
कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने भी खाचरियावास का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा कि "प्रताप खाचरियावास राजस्थान सरकार के वह कैबिनेट मंत्री हैं. जो हमेशा गरीब की आवाज उठाते हैं. आज उन्होंने गरीब के साथ होते शोषण और राजस्थान के अंदर नौकरशाही किस कदर हावी है, इसका पटाक्षेप किया. लेकिन उससे भी ज्यादा उन्होंने पावर के विकेंद्रीकरण की जो बात कही, वह काबिले तारीफ हैं.
क्या होती है एसीआर
वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट उनके कार्य, आचरण, चरित्र और क्षमताओं के प्रदर्शन का आकलन करने के उद्देश्य से लिखी जाती है. अधिकारी के कार्य व्यवहार का गोपनीय प्रतिवेदन ही ACR है. एक महत्त्वपूर्ण राजकीय दस्तावेज है. IAS अधिकारियों के प्रमोशन और वेतन श्रंखला में भी प्रगति में ACR की बड़ी भूमिका होती है. राजस्थान में आईएएस अधिकारियों की ACR भरने का अधिकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है.
इससे पहले कल कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर माँग की कि मंत्रियों को आईएएस अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार दिया जाना चाहिए. राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कल कहा था कि राजस्थान में 46 हजार मैट्रिक टन गेहूं खराब हो गया. इसके बाद मैंने अधिकारियों की मीटिंग बुलाई और उन्हें आदेश दिया कि मैं तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करूंगा. जो अधिकारी जनता का गेहूं लैप्स करवा दें उनके खिलाफ जांच के लिए मैंने सीएम गहलोत को पत्र लिखा है और जांच होगी. उन्होंने आगे कहा अगर कोई अधिकारी सरकार की अवमानना कर रहा है तो उसके खिलाफ जांच होगी तब ही लोकतंत्र सिस्टम लागू होगा. मैंने सीएम को पत्र लिखा है कि आप सभी के एसीआर मत लिखिए. हमें ये अधिकार दीजिए. जब आप मंत्रियों को अधिकार दोगे तब ही अधिकारी सुधरेगा. जब आईएएस अधिकारी बात ही नहीं मानेगा तो आप जनता के काम कैसे करवाएंगे.
दरअसल प्रतापसिंह खाचरियावास का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है. ऐसे में अपनी ही सरकार में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों के काम पर उंगली उठाना, कई तरह के सवाल खड़ा करता है. लेकिन यह पहला मौक़ा नहीं है जब सरकार के ख़िलाफ़ मंत्रियों ने सवाल उठाए हैं इससे पहले राजेंद्र गुढ़ा सहित कई विधायक मंत्री भी सरकार के लापरवाह तंत्र की शिकायत मुख्यमंत्री से कर चुके हैं. ऐसे में यह फ़ैसला मुख्यमंत्री को करना है कि मंत्रियों की सुनवाई करते हुए उन्हें एसीआर भरने का अधिकार दें या फिर सरकारी सिस्टम को ठीक करने के लिए सख़्त फ़ैसले लें.
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