Jaipur: निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा विधानसभा में निजी क्षेत्र में एससी-एसटी को आरक्षण के बिल पर बोल रहे थे. बोलने के दौरान लोढ़ा ने की कुछ महापुरुषों की प्रतिमा लगाने की बात कह दी. इसपर बीजेपी विधायक अनिता भदेल ने सभापति जेपी चंदेलिया से कहा कि यदि एक सदस्य बिल से इतर बोलें, तो सबके लिए यह व्यवस्था होनी चाहिए. सभी सदस्यों को बोलने के लिए बराबर स्वतंत्रता दी जाए.


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इस पर संयम लोढ़ा बोले- अजमेर से आने वाली सदस्य ने जब अंबेडकर और नेहरू पर टिप्पणी की थी तब किसी ने कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा था कि नेहरू ने अंबेडकर को हरा दिया. जबकि सच यह है कि अंबेडकर पहले संविधान निर्मात्री सभा में नहीं थे. संयम बोले, गांधीजी ने उन्हें देश का सम्मान बताया और नेहरू को कहा कि अंबेडकर को संविधान निर्मात्री सभा में लिया जाए. इस दौरान अनीता भदेल और संयम लोढ़ा में नोकझोंक हो गई. संयम ने भदेल से कहा, आप बैठ जाइए. इस पर बीजेपी विधायक अनिता भदेल के समर्थन में खड़े हो गए. अनिता भदेल के समर्थन में चंद्रभान सिंह आक्या आ गए.


आक्या ने संयम लोढ़ा पर महिला विधायक को धमकाने का आरोप लगाया. फिर मदन दिलावर बोले कि यहीं पर एट्रोसिटी की जा रही है. बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़, रामलाल शर्मा, जोगेश्वर गर्ग, सुमित गोदारा, वासुदेव देवनानी, मदन दिलावर, अभिनेष महर्षि समेत कई विधायक भदेल के समर्थन में उतर गए. वासुदेव देवनानी ने संयम लोढ़ा से कहा कि आपको इतिहास पढ़ना चाहिए. श्यामाप्रसाद मुखर्जी लाए थे अंबेडकर को संविधान निर्मात्री सभा में.


संयम लोढ़ा के समर्थन में कांग्रेस के विधायक भी बोलने लगे. इसी बीच विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ कहा- एक गुलाम मानसिकता वाला व्यक्ति और क्या बोल सकता है? उससे कोई ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती. इस पर संयम लोढ़ा ने भी दिखाए तल्ख तेवर. पलटकर लोढ़ा बोले - "तुम्हारी तरह लोगों को जिंदा जलाने वाले लोगों का साथ देने वाला आदमी नहीं हूं मैं. लोढ़ा बोले, तुमने औरतों को जिंदा जलाने वालों का समर्थन किया था."


इस बीच आसन पर बैठे सभापति जेपी चंदेलिया ने हाउस को उसको ऑर्डर में लाने की कोशिश की. कहा- बिल से हटकर कोई विधायक नहीं बोलेगा. सभापति के बोलने के बाद कुछ देर बाद ऑर्डर में दिखा हाउस. संयम लोढ़ा बोले, कांग्रेस ने भीमराव अंबेडकर को कानून मंत्री बनाया. महात्मा गांधी के कहने से ही उन्हें संविधान निर्मात्री सभा में शामिल किया गया. 


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संयम लोढ़ा ने दिए सुझाव
नई कॉलोनी काटने पर 25 फीसदी प्लॉट एससी-एसटी के लिए रखने के प्रावधान हों. एससी - एसटी के अधिकारी को तबादला होने पर नई जगह मकान किराये पर लेने में परेशानी होती है. सुमित गोदारा बोले - इस समस्या पर सरकार क्या कर रही है? संयम लोढ़ा बोले, एससी-एसटी के लिए ना कोई फैक्ट्री है, ना प्रतिष्ठान. उनका सपना साकार करने का एकमात्र जरिया शिक्षा है. संयम लोढ़ाने कहा कि या तो एससी-एसटी के बच्चे पढ़ लिखकर आपकी तरह आईएएस बन जाएं, क्योंकि बैंक, दूसरे सरकारी संस्थान और वित्तीय संस्थानों का तो निजीकरण किया जा रहा है. निजी क्षेत्र में उनके लिए कोई आरक्षण नहीं है. संयम आसंदी की तरफ इशारा कर रहे थे क्योंकि सभापति जेपी चंदेलिया भी आईएएस रह चुके हैं. संयम लोढ़ा ने निजी क्षेत्र में 30 फीसदी आरक्षण के प्रावधान करने का सुझाव दिया.