Dausa: जैसे-जैसे शीत ऋतु अपने परवान पर चढ़ रही है वैसे-वैसे ही दौसा जिले की लालसोट विधानसभा क्षेत्र में स्थित मोरेल बांध पर प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हालत यह है कि विलुप्त प्रजाति के साइबेरियन पक्षी डेलमेसियन पेलिकन आईयूसीएन को संरक्षण देने में मोरेल बांध अपनी महती भूमिका का निर्वाह कर रहा है.


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मोरेल बांध पर पिछले चार वर्ष से प्रवासी पक्षियों का डेटा संधारण का कार्य कर रहे राजेश पायलट राजकीय महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और बायोडाइवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी राजस्थान के स्टेट कोर्डिनेटर डॉ. सुभाष पहाड़िया ने बताया कि मोरेल बांध पर इन दिनों अन्य पक्षियों के साथ विश्व के सबसे बड़े उड़ने वाले जलीय पक्षी डेलमेसियन पेलिकन जिन्हें सामान्य रूप से हवासील भी कहते है आना शुरू हो गया है. नवम्बर माह में जहां इनकी संख्या, लगभग 80 से 100 की दिखाई दी थी.


डेलमेसियन पेलिकन आईयूसीएन (Siberian Dalmatian birds) की रेड डेटा लिस्ट में इनकी तेजी से कम हो रही संख्या के कारण इन्हें संकटासन्न श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में इनके संरक्षण हेतु यह बांध अपनी महती भूमिका निभा रहा है. ये पक्षी अपने भारी भरकम शरीर और लंबी थैलियुक्त चोंच के कारण बड़े आकर्षक लगते हैं. ये शीतऋतु में जब यूरोप और साइबेरिया में बर्फ गिरती है तो ये पक्षी भारत मे हजारो किलोमीटर की यात्राकर प्रवास पर आते हैं.


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डॉ. पहाड़िया के अनुसार पिछले वर्ष जहां दिसंबर में इनकी संख्या 20 के लगभग थी वहीं इस बार इनकी संख्या 1000 दिखाई दे रही है. इससे यह अनुमान है कि अभी इनकी संख्या में और इजाफा हो सकता है. मोरेल बांध का स्वच्छ जल और वातावरण इन प्रवासी पक्षियों को रास आ रहा है. 


यही कारण है कि बांध पर अब तक यहां पलास गल, ब्लेक हेडेड गल, रूड़ी शेल्डक, ग्रेटर फ्लेमिंगो, नोबबिल्ड डक, स्पूनबिल, रिवर टर्न, व्हिसकर टर्न, ब्लेक टेल्ड गोडविट, रफ,ग्रे हेरोन, परपल हेरॉन, इंडियन स्पोटबिल डक, लिटिल रिंग प्लोवर, आदि लगभग 60 प्रकार के जलीय पक्षी हजारों की संख्या में आगमन हो चुका है.


पक्षीविद डॉ. पहाड़िया के अनुसार जहां राजस्थान के सांभर और केवलादेव पक्षी विहार में इनकी संख्या कम हो रही है वहीं मोरेल बांध में इनकी संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में मोरेल बांध को राज्य वटलैंड कि सूची में संरक्षित करते हुए इसे पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा सकता है.


अगर राजस्थान सरकार प्रवासी पक्षियों की मोरेल बांध पर आवाजाही को देखते हुए इसे राज्य वटलैंड की सूची में शामिल करते हुए संरक्षित करती है तो मोरेल बांध को पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो यकीन मानिए यह पक्षी प्रेमियों के लिये तो कौतूहल का विषय बनेगा ही साथ ही यहां देशी विदेशी पर्यटकों की भी आवाजाही शुरू होगी, जिसके चलते क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे और इलाके का वातावरण भी अच्छा होगा.


Report : Laxmi Avtar Sharma