Jaipur: जयपुर के चैम्बर ऑफ कॉमर्स में यूनिफॉर्म सिविल कोड विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया.  इस सेमिनार में  राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी  ने भी शिरकत की. सेमिनार में आए वक्ताओं को सांसद ने संबोधित करते हुए कहा कि,  देश में हर हाल में समान नागरिक संहिता लागू होकर रहेगी. भाजपा के घोषणा पत्र का संकल्प है समान नागरिक संहिता लागू करना . 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानों केस में राइट ऑफ मेंटनेस का निर्णय देते हुए कहा था कि भरणपोषण भत्ता न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम महिला को भी लेने आधिकार है.  इसके बाद तत्कालीन शहाबुद्दीन और  उनके साथियों ने मुस्लिम पर्सनलॉ बोर्ड बना दिया.  उस समय भी समझदार मुस्लमान थे उन्होंने इसका विरोध किया था. 


 केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने शाहबानों केस का स्वागत किया था लेकिन हजारों काजी मुस्लिम विद्वानों ने आंदोलन किया. तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार दबाव में आ गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले केा बदलने के लिए संविधान में संशोधन कर फैसला दिया गया . समान नागरिकता लागू तत्कालीन सरकार राजीव गांधी ने किया.
भाजपा का संकल्प, पूरा होकर रहेगा 


सांसद तिवाड़ी ने कहा कि वर्ष 1951 में कानपुर में जनसंघ की स्थापना की गई थी. तब पहले प्रस्ताव था उसमें एक भारत में समान नागरिक संहिता लागू की जाए.. इसके बाद जनसंघ और भाजपा की सारी यात्रा में एक भी घोषणा पत्र नहीं है, जिसमें समान नागरिकता संहिता लागू करने का संकल्प नहीं लिया गया.  हमारा संकल्प है समान नागरिक संहिता को लागू करने का है. सारे काम करके भारत पांचवी अर्थ व्यवस्था बन गया. जिस दिन मौका आएगा उस दिन समान नागरिक संहिता लागू कर देंगे .


धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए
तिवाड़ी ने कहा कि इसे राज्य स्तरों पर लागू कर दिया जाए. गोवा के कानून को चुनौती दी गई है. यहां समान सिविल कोड लागू रहेगा. उत्तराखंड में भाजपा ने कहा कि लागू कर देंगे. राजस्थान के चुनावी घोषणा पत्र में लागू करने का संकल्प लेना चाहिए. हमारा राज यहां बनने वाला है, पहला कानून समान नागरिका संहिता लागू करना होना चाहिए. युवाओं की भूमिका होगी इसे लागू करने में. समान नागरिक संहिता सभ्य समाज के लिए आवश्यक है. किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.देश में धार्मिक आधार पर राज कभी भी नहीं रहा . सारे इतिहास में केवल सम्राट अशोक ने बोद्ध धर्म को राज्य धर्म घोषित किया. आज उसके चिह्न को ही राष्ट्रीय प्रतीक बना रखा है. अशोक का चिह्न उन्हीं का 1963 में कांग्रेस ने ही बनाया .


मनु स्मृति, न धर्मग्रंथ, न शास्त्र, बल्कि कानून, मनु क्षत्रिय था
सांसद तिवाड़ी ने कहा कि, मनु स्मृति तो धर्मग्रंथ है न शास्त्र है वो कानून है. भारत के सभी विद्वान इकट्ठे हुए और उन्होंने कानून लिखने को कहा. मनु ब्राह्मण नहीं था बल्कि क्षत्रिय था, सबसे पहले मनुस्मृति लिखी गई . मनु स्मृति को 100 साल पहले बदल दिया गया है, फिर 52 स्मृति अंगिरा, कश्यप, नारद अंत में हिंदू याज्ञवल्यक स्मृति आई. मनुस्मृति को पांच हजार साल पहले खत्म का दिया . दूसरी स्मृति सौ साल बाद बनी. इसके बाद धर्म संहिताएं धर्म सूत्र बने उनके आधार पर दंड की व्यवस्था बनी . 2600 वर्ष पहले चाणक्य ने कानून बनाए.


जयपुर जिले की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें