Mystery Lord Ganesha: राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक ऐसी तपो भूमि है जिसके बारे में हर कोई जानना चाहेगा. यहां के लोग और साधु संत बताते हैं कि इसी जगह पर ही गौरी मैया ने तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया और यहां पर ही भगवान गणेशजी की उत्पत्ति हुई. जब भगवान शिवजी ने माता पार्वती को गुफा के अंदर से देखा तो उनकी आंखों के निशान आज भी गुफा पर मौजूद है. इतना ही नहीं यहां पर वह कुंड भी है जिसमें माता पार्वती स्नान किया करती थीं. 


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कुंड की गहराई पाताल लोक तक 


इस कुंड की गहराई पाताल लोक तक की बताई जा रही है. और इतना ही नहीं गुफा को जब बाहर से देखा जाता है तो भगवान गणेशजी के मुख की आकृति दिखाई देती है. बता दें कि राजसमंद जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर गौरीधाम घने जंगलों के बीच में बसा हुआ है. जहां पर जी मीडिया की टीम पहुंची और यहां के बारे में लोगों और साधुओं से जाना. यहां पर लोगों व साधुओं के द्वारा बताया गया कि यह वही गुफा है जहां पर गौरी मैया यानि माता पार्वती ने तपस्या करके भगवान शिव को पाया था. इस जगह बहुत से साधु संतों ने तपस्या की है. इसके बाद टीम जंगल के रास्ते होते हुए गुफा और गौरी कुंड की ओर गए.



गुफा में बने गौरी मैया के मंदिर पहुंचे. जब गुफा को गौर से देखा गया तो गुफा की आकृति भगवान गणेशजी के मुख यानि सिर के नुमा दिखाई दी. तो वहीं यहां पर गुफा के बाहर गुफा की सेवा करने वाले मोहन भील से मुलाकात हुई. इसके बाद सागरगिरी महाराज से विस्तार से चर्चा हुई. जिन्होंने इस तपो भूमि के बारे में बताया. सागरगिरी महाराज ने बताया कि कैलाश पर्वत पर भगवान ​शिव और माता पार्वती विराजमान थे. उस दौरान किसी बात को लेकर माता पार्वती नाराज हुईं और इसी जगह गौरीधाम आ गईं. काफी समय बाद जब माता पार्वती पुन: कैलाश पर्वत नहीं पहुंची तो भगवान शिव ने नन्दीजी को माता पार्वती का पता लगाने के लिए भेजा था. 


खों के निशान आज भी गौरीधाम की गुफा में मौजूद 


तब जाकर माता पार्वती यानि गौरी मैया का यहां होने का पता चला. इसके बाद तपस्या करने के दौरान भगवान शिव ने जब माता पार्वती को देखा था वह आंखों के निशान आज भी गौरीधाम की गुफा में मौजूद है. माता पार्वती जिस कुंड में स्नान किया करती थीं इस कुंड के बारे में भी जिक्र हुआ जिसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है. इस गौरी कुंड की गहराई पाताल तोड़ तक की बताई जा रही है. बताया यह भी गया है कि यह वहीं जगह है जहां पर माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपने मेल से भगवान गणेशजी उत्पत्ति की थी और कुंड में स्नान करने के दौरान बाहर गणेशजी को सुरक्षा के लिए कहा गया था. 


इस दौरान भगवान शिव और भगवान गणेशजी में युद्ध हुआ और इसी जगह पर गणेशजी का सिर धड़ से अलग हुआ था. इसके बाद गणेशजी की आवाज सुनकर माता पार्वती कुंड से बाहर आईं और पुत्र को पुन: जीवित करने के बात कही. इस दौरान गणेशजी के लगाने के लिए सबसे पहले जो सिर मिला यानि हाथी का सिर वह लगाया गया. बता दें कि जंगल के बीच में बसे इस गौरीधाम में दूरदूर से लोग आते हैं. तो वहीं इस दौरान गुफा के बाहर रखवाली करने वाले मोहन भील ने बताया कि कई बार यहां पर असामाजिक तत्व भी आ जाते हैं जिनकी वजह से काफी परेशानी होती है.


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