Sammed Shikharji : जैन धर्म के तीर्थस्थल पारसनाथ सम्मेद शिखरजी (Parasnath Sammed Shikharji) के मामले में केंद्र ने एक समिति का गठन कर दिया है. इस समिति में जैन समुदाय के दो सदस्य और स्थानीय जनजातीय समुदाय से
 भी एक सदस्य को शामिल होगा.


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केंद्र ने राज्य सरकार को 2019 की अधिसूचना पर कार्रवाई करने के भी निर्देश भी दिए हैं. इसके साथ ही अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाने के भी निर्देश दे दिए गए हैं. केंद्र ने कहा है कि झारखंड के गिरिडीह में जैन धर्म के तीर्थस्थल से पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई  जाती है. इसके अलावा झारखंड सरकार को तत्काल प्रभाव से जरूरी कदम उठाने को कहा गया है. ये भी पढ़ें :सर्दी हो या गर्मी कभी स्नान नहीं करते जैन साधु-साध्वी, जानें कैसा होता है जीवन


केंद्र सरकार ने क्या कहा 
 सम्मेद शिखरजी पर्वत जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थान है. ये मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ समूचे देश के लिए इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता है और इसे बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है.


पर्वत, वन संपदा और पशु-पक्षियों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ पर प्रतिबंध
भारत सरकार के वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) रोहित तिवारी की ओर से झारखंड के वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते को भेजे गए पत्र में इस आदेश को सुनिश्चित करने के निर्देश है. पत्र में कहा गया है कि पर्वत, वन संपदा और पशु-पक्षियों से छेड़छाड़ पर प्रतिबंध लगाई जाए और पारसनाथ पर्वत पर अनावश्यक कैपिंग, ट्र्रैकिंग आदि गतिविधियों पर पूरी तरह रोक को सुनिश्चित कर दिया जाए. साथ ही राज्य सरकार की तरफ से इस मामले में 21 दिसंबर को जारी किए गए प्रतिबंधों को भी कड़ाई से लागू किया जाए. 2019 में पारसनाथ क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने को लेकर जारी अधिसूचना में शामिल पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाते हुए इससे संबंधित कोई भी काम नहीं होगा.



केंद्र ने राज्य सरकार को मामले में गठित होने वाली निगरानी समिति में जैन समाज के दो सदस्यों और स्थानीय जनजाति समुदाय के एक सदस्य को भी स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने को कहा है, ताकि उनकी उचित भागीदारी हो सके.
 पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत ये निगरानी समिति इको सेंसेटिव जोन की अधिसूचना के प्रविधानों को सख्ती से अनुपालन कराने को लेकर बनेगी.


क्या है मामला?
जैन समाज वर्ष 2019 में केंद्र - राज्य सरकार द्वारा जारी एक-एक अधिसूचना का विरोध कर रहा है. केंद्र ने दो अगस्त 2019 को अधिसूचना जारी कर पारसनाथ के एक भाग को इको सेंसेटिव जोन के रूप में घोषित कर दिया था, 
जिससे इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता था. वहीं, राज्य सरकार ने 22 फरवरी 2019 को अधिसूचना जारी कर पारसनाथ को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित कर दिया था. जैन समाज का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र 
घोषित होने से वहां मांस-मदिरा को उपयोग होगा. जबकि राज्य सरकार का कहना है कि वहां छोटी-मोटी सुविधाएं बहाल करने के लिए पर्यटन क्षेत्र घोषित करना जरूरी था.


सम्मेद शिखरजी पर्वत ये सब वर्जित
पालतू जानवर
अनधिकृत कैंपिंग 
ट्रैकिंग
तेज संगीत 
लाउडस्पीकर 
पवित्र स्थल, स्मारक, मंदिर, झीलें, चट्टाने, गुफाएं, पौधों एवं जानवरों को नुकसान 


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