लंपी डिजीज से लड़ाई नहीं, पशुपालन विभाग अपने भवनों के रंगरोगन में व्यस्त, 9 करोड़ का फंड जारी
राजस्थान में लंपी स्किन डिजीज का दायरा 15 से ज्यादा ज़िलों में फैल गया है. इस पूरे मामले में अब तक 3644 गायों की मौत हो चुकी है, 80 हजार गायें बीमार हैं. इसके बाद भी जिम्मेदारों का व्यवहार ऐसा है कि मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
Jaipur: वाह रे सिस्टम...तुम्हारे राज्य में मैं लंपी डिजीज नामक शैतानी वायरस से दम तोड़ रही हूं. मानो मेरे कौम के सामने जान बचाने का खतरा पैदा हो गया हो, वैसे ही जैसे इंसानी कौम के सामने कोरोना ने खतरा पैदा किया था. इस बीमारी से मेरे शरीर में गांठें पड़ रही हैं. इन गांठों के चलते गर्भपात, बांझपन, निमोनिया और लंगड़ेपन जैसी गंभीर बीमारियों से मैं ग्रसित हूं. मेरे शरीर में बेइंतहा दर्द है.
जख्मों का अंबार है. एक नहीं दो नहीं सैकड़ों दर्द भरे जख्म हैं. शायद माह भर से ज्यादा का समय बीत जानें के बाद भी मेरा इलाज सरकारी सिस्टम की बैठकों तक ही सीमित रह गया. अभी तक न मुझे इलाज मिला है, न ही समाधान. फिर भी मौत सामने खड़ी होने के बाद भी मैं जीने की उम्मीद नहीं छोड़ रही हूं. ये पीड़ा किसी एक गौवंश की नहीं बल्कि राजस्थान में लंपी डिजीज से पीड़ित हजारों गौवंश की है.
राजस्थान में लंपी स्किन डिजीज बीमारी का दायरा 15 से ज्यादा ज़िलों में फैल गया है. इस पूरे मामले में अब तक 3644 गायों की मौत हो चुकी है, 80 हजार गायें बीमार हैं. इसके बाद भी जिम्मेदारों का व्यवहार ऐसा है कि मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
इस बीमारी से निपटने के लिए केंद्रीय टीम भी सक्रिय हुई.दौरे से ठीक पहले राजस्थान के पशुपालन विभाग में भी बैठक की औपचारिकता निभाई गई. पशुपालन मंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मंत्री ने सख्ती दिखाई. फिर तत्काल टीम बनाकर पशुपालकों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए.
जिस दौर में गौवंशों को लंपी डिजीज से बचाने के लिये इलाज की जरूरत है, उस दौर में पशुपालन विभाग के कार्यालयों और पशुचिकित्सा संस्थाओं के भवनों की मरम्मत के लिये 9.43 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करना क्या सही कदम है? खैर, इन तमाम सवालों के बीच समाधान और गौवंश का बचाव जरूरी है. इस बुरे दौर में इन कार्यालयों और पशुचिकित्सा संस्थाओं के रंगरोगन, साज-सज्जा से ज्यादा ये पैसा इलाज की खोज में व्यय किया जाये तो बेहतर होगा.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पशुपालन विभाग के कार्यालयों और पशुचिकित्सा संस्थाओं के भवनों की मरम्मत और रंग सफेदी के लिए 9.43 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की है. पशुचिकित्सा संस्थाओं में बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय, प्रथम श्रेणी पशुचिकित्सालय, पशु चिकित्सालय, उपकेंद्र आदि शामिल होंगे.
इन सभी संस्थाओं के भवनों की मरम्मत, रंग / सफेदी का कार्य इस राशि से किया जा सकेगा. खास बात यह है कि गहलोत सरकार के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई है. इस घोषणा की अनुपालना में यह वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है. यह राशि बिल्डिंग इन्फ्रा मेंटिनेंस फंड के अंतर्गत उपलब्ध करवाई जाएगी.
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