Rajasthan: आपदा हो या महामारी, राहत और बचाव कार्य के लिए आगे रहने वाले, कानून व्यवस्था या फिर सामाजिक सुरक्षा जैसे हर मामले में प्रभावी भूमिका निभाने वाले होमगार्ड जवानों पर से अब ''पिछलग्गू'' का टैग हटाने की तैयारी है. होमगार्ड स्वयंसेवकों के काम को देखते हुए अब उन्हें सरकारी महकमों में होने वाली भर्तियों को प्राथमिकता मिलेगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इससे न केवल होमगार्ड को 12 महीने रोजगार मिलने का रास्ता खुलेगा, बल्कि उनके लिए परिवार का पालन पोषण करना भी आसान होगा. केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को इस सम्बंध में पत्र लिखा है. इसके साथ ही इस सम्बंध में कार्रवाई शुरू कर दी गई है.


होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा स्वैच्छिक संगठन हैं, जो सरकार के इशारे पर कानून और व्यवस्था के रख रखाव, आपातकाल के दौरान आवश्यक सेवाओं में सरकारी एजेंसियों की बचाव और राहत कार्यों में सहायता करता है. इस संगठन में 18-50 वर्ष के आयु वर्ग के स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए हैं. अलग अलग विषयों में प्रशिक्षित हैं और प्रभावी ढंग से अपनी भूमिका निभा रहे हैं.


यह बात दूसरी है कि जब जरूरत पड़ती है तब इन स्वयंसेवकों को याद किया जाता है, वरना ये रोजगार के लिए इंतजार करते रहते हैं. राजस्थान में होमगार्ड स्वयंसेवक भी 12 महीने रोजगार के लिए आंदोलन तक कर चुके हैं. इसके अलावा विभागों से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को ज्ञापन दे चुके हैं.


 होमगार्ड को रोजगार के लिए न केवल आश्वासन भी मिला, बल्कि सीएम ने बजट में घोषणा भी की. इसके बाद भी हालात ढाक के तीन पात वाले रहे.


अब गृहमंत्रालय से एक बार फिर राज्य सरकारों को होमगार्ड को रोजगार देने के लिए भर्तियों में प्राथमिकता देने के निर्देश देने से होमगार्ड स्वयंसेवकों में उम्मीद बंधी है. दरअसल में पिछले दिनों गृह मंत्रालय (डीजीसीडी) की सलाह पर सरकारी सेवाओं की भर्ती में होमगार्ड और सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों को वरीयता देने की जांच की गई.


इसके बाद निर्णय लिया गया कि होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों भर्तियों में प्राथमिकता दी जाए. इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय में एडीजी सिविल डिफेंस उमेश शर्मा ने राज्यों के मुख्य सचिवों को भर्तियों में होमगार्ड की योग्यता के आधार पर प्राथाममिकता देने के लिए पत्र लिखा है.



- जिन सिविल डिफेंस व होगार्ड्स ने कम से कम 3 वर्ष की सर्विस कर ली है और होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा में बेसिक और रिफ्रेशर कोर्स में ट्रेनिंग कर चुके हैं.
- इन सभी को ''सी'' और ''डी'' पदों पर नियुक्ति के लिए इन वांछनीय योग्यताओं के आधार पर वरीयता दी जा सकती है.
- इस भर्ती में होमगार्ड और सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों को लेने से अतिरिक्त लाभ यह भी है कि वो पहले से ही ट्रेनिंग शुदा हैं। हालांकि इन स्वयंसेवकों पर उन पदों पर भर्ती के लिए निर्धारित आयु, शिक्षा और शारीरिक मानक आदि की आवश्यक योग्यताएं पूरी करनी जरूरी होगी.
- होमगार्ड स्वयंसेवकों को पीटी, निहत्थे युद्ध, भीड़ नियंत्रण, गार्ड ड्यूटी, गश्त, नक्शा पढ़ना, संदेश लेखन हथियार प्रशिक्षण, फील्ड क्राफ्ट रणनीति, लाठी ड्रिल, कानून और व्यवस्था, अग्निशमन में ट्रेंड किया जाता है.
- ये सभी कुछ संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों के सहायक के रूप में सेवा करते हैं, उनका प्रशिक्षण समूह ''सी'' और ''डी'' पदों जैसे कांस्टेबल, फायरमैन, वन रक्षक आदि में उपयोगी हो सकता है.
- नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक जो बचाव, अग्निशमन, प्राथमिक चिकित्सा और हताहत देखभाल, नर्सिंग, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य, संदेशवाहक ड्यूटी आदि में भी प्रशिक्षित हैं, ऐसे में उन्हें नर्सिंग-अटेंडेंट, स्ट्रेचर बियरर, मेडिकल अटेंडेंट, वैक्सीनेटर जैसे पदों पर प्राथमिकता दी जा सकती है.
- केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों से ''सी'' और ''डी'' पदों के लिए भर्ती नियमों की समीक्षा कर संशोधन करने के निर्देश दिए हैं.


प्रदेश में वर्तमान में प्रदेश में होमगार्ड की स्वीकृत नफरी 30 हजार 714 हैं, इनमें 28 हजार के लगभग ऑन रोल अर्थात नामांकित हैं. मौजूदा होमगार्ड स्वयंसेवकों में से साठ प्रतिशत को नियमित ड्यूटी नहीं मिल पा रही है.


नियमित ड्यूटी की मांग को लेकर हाेमगार्ड कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन सरकार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दे रही है. होमगार्ड स्वयंसेवकों को बरसों से इंतजार है कि उन्हें सालभर रोजगार मिले ताकि वो अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक ढंग से कर पाएं.