जयपुर: राजस्थान में गैस सिलेंडर ब्लास्ट के लगातार हो रहे मामलों के बाद भी तेल कंपनियां और एजेंसियां सतर्कता नहीं बरत रही है. हाल ही में जोधपुर सिलेंडर ब्लास्ट में 10 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, शेरगढ़ के भुंगरा में गैस सिलेंडर फटने से 18 लोगों की मौत हो चुकी है.  इन दोनों हादसों से भी तेल कंपनियों और सरकारी नुमाइंदों ने लोगों में जागरूकता लाने और गैस कंपनियों व एजेंसियों को पाबंद करने जैसा कोई कदम नहीं उठाया हैं. 


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रसोई गैस सिलेण्डर लीकेज से होने वाली हादसों को रोकने के लिए तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने लोहे के सिलेंडर की जगह फाइबर (कंपोजिट) सिलेंडर बाजार में उतारा. कंपोजिट सिलेंडर में तीन लेयर सिक्यूरिटी सिस्टम है.ये फाइबर ग्लास की लेयर से ढंका हुआ है. इसके अंदर ब्लो मोल्ड हाई डेंसिटी पॉलीइथाइलीन (एचडीपीई) की परत है. उसके ऊपर पॉलीमर फाइबर ग्लास की परत है, जबकि बाहरी परत एचडीपीई की है. इसलिए यह फाइबर सिलेंडर मजबूत होगा. 


 आग लगने के बाद भी फाइबर सिलेंडर फटता नहीं


इन सिलेण्डर की खासियत ये है कि ये लीकेज के बाद आग लगने पर भी फटते नहीं, बल्कि पिघल जाते है. यही नहीं ये सिलेण्डर लोहे के सिलेण्डर की तुलना में 60 फीसदी हल्के होते है. यह गैस सिलेंडर पारदर्शी है, इससे गैस की उपलब्धता का पता भी चल जाता है. इतना सबकुछ होने के बावजूद ये कंपोजिट सिलेंडर प्रदेशभर में एक फीसदी कंज्यूमर के घरों की किचन में जगह नहीं बना पाए हैं. लोगों को इन सिलेण्डरों की जानकारी नहीं होने और कंपनी, डीलर्स की तरफ से प्रचार-प्रसार नहीं करने के कारण लोग इसका उपयोग ही नहीं कर रहे हैं.


एक फीसदी ग्राहकों के घरों में भी फाइबर सिलेण्डर की पहुंच नहीं 


दरअसल, वर्तमान में फाइबर के सिलेण्डर केवल IOCL कंपनी ही उपलब्ध करवा रही है.हिन्दुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और भारत पेट्रोलियम (BPCL) इन सिलेण्डरों को अभी अपने ग्राहकों को उपलब्ध नहीं करवा रही है..करीब एक साल पहले IOCL ने राजस्थान में फाइबर सिलेण्डर मार्केट में उतारे, लेकिन तब से अब तक एक फीसदी ग्राहकों के घरों में भी ये सिलेण्डर नहीं पहुंच सके. राजस्थान में तीनों तेल कंपनियों के पौने दो करोड़ के लगभग ग्राहक है, जिनमें से अकेले IOCL के 74.29 लाख ग्राहक है. इन ग्राहकों में से अब तक केवल 7550 ने ही अपने पुराने सिलेण्डर को रिप्लेस करवाकर नए फाइबर के सिलेण्डर उपयोग करने शुरू किए है. ये संख्या IOCL के कुल ग्राहकों की संख्या का एक फीसदी भी नहीं है.


गैस सिलेंडर फटने से हुए बड़े हादसे
16 फरवरी 2018 -अजमेर जिले के ब्यावर में शादी समारोह में गैस सिलेंडर फटने से हादसा हुआ.जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई थी और कई जने घायल हो गए थे.
दिसम्बर 2021 - अजमेर जिले केकड़ी कस्बे के ब्यावर रोड पर वेल्डिंग की शॉप में गैस सिलेंडर फटने से 60 साल के सुलेमान पुत्र मुस्ताक अब्बास लौहार की मौत.
8 अक्टूबर 2022 - जोधपुर के कीर्ति नगर में गैस सिलेंडर फटने से 10 लोगों की मौत.
8 दिसम्बर 2022- जोधपुर के भूंगरा गांव (शेरगढ़) में शादी समारोह में गैस सिलेंडर फटने से हादसा हुआ। जिसमें 18 लोगों की मौत हुई, 36 लोग जिंदगी से संघर्ष कर रहे

IOCL कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक, मौजूदा रसोई गैस सिलेंडर में 14.2 किलोग्राम एलपीजी मिलती है. नए कंपोजिट सिलेंडर में 10 किलोग्राम और 5 किलोग्राम एलपीजी मिलेगी. हालांकि ये एलपीजी प्रचलित बाजार मूल्य के अनुसार ही होगी. इससे उपभोक्ता की जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा.अधिकारियों ने बताया कि 10 किलो एलपीजी के लिए सिक्योरिटी राशि 3,350 रुपए, जबकि 5 किलो एलपीजी के लिए सिक्योरिटी राशि 2,150 रुपए निर्धारित की है.


पुराने लोहे के सिलेंडर (बड़े वाले) के लिए जो सिक्योरिटी राशि 1600 रुपए जमा गैस एजेंसी में जमा है उस राशि को समायोजित करते हुए शेष राशि उपभोक्ता को जमा करवानी होगी.जबकि नया कनेक्शन लेने वाले लोगों को लोहे के सिलेण्डर के लिए सिक्योरिटी राशि 2200 रुपए जमा करवाने होते हैं. ग्राहक चाहे तो अपने साधारण सिलेंडर से कंपोजिट सिलेंडर पर शिफ्ट कर सकता है. इसके लिए उन्हें अपना साधारण LPG सिलेंडर देना होगा और बदले में उन्हें नया कंपोजिट सिलेंडर का कनेक्शन जारी हो जाएगा. कोई नया डॉक्युमेंट नहीं देना पड़ेगा, लेकिन इंडेन कंपोजिट सिलेंडर का नया कनेक्शन लेने के लिए दिया जाने वाला सिक्योरिटी डिपॉजिट, आम सिलेंडर के कनेक्शन की तुलना में ज्यादा रहेगा.


बहरहाल, खाना पकाने के लिए एलपीजी सिलेंडर जितना अधिक सुविधाजनक है. लापरवाही में उससे कहीं अधिक खतरनाक साबित हो सकता है. बीते दिनों हुए हादसों के बाद भी शहरवासी सबक नहीं ले रहे.कहीं पर सीधे रुप से घरेलु गैस सिलेंडर का व्यवसायिक उपयोग हो रहा है तो कहीं पर रिफलिंग कर इसका उपयोग किया जा रहा है. चाय की थडिय़ों व रेस्टोरेंट-होटलों में बेरोक टोक उपयोग हो रहा है, लेकिन रसद विभाग की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही.