Jaipur: त्यौहारी सीजन चल रहा है, हर तरफ खुशियां है. अब दिवाली का भी समय है. बता दें कि जयपुर के जामडोली विमंदित गृह में भी इस बार खुशियां आई है. दूसरी और अपना घर आश्रम (वृद्ध आश्रम) की एक वृद्धा अपने पति की अस्तिया तक नहीं ला पाई. दीवाली पर जामडोली कैम्पस की खबर आपको बताते हैं की कही खुशी, कही गम.


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यह खबर है 18 साल के नाथू उर्फ आकाश की, इस दीवाली आकाश साढ़े 3 साल बाद विमन्दित गृह से अपने घर लौट गए हैं. यूपी के रहने वाले आकाश चरस-गांजे का नशा करते थे. परिवार ने रोकने की कोशिश की, लेकिन नशे की लत ने आकाश को अपने घर वालो से दूर कर दिया. डिप्रेशन में आकर आकाश घर छोड़कर चला गया और रास्ता भटक गया. जब आकाश घर से निकला तो उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. घूमते-घूमते वो जयपुर आ गया. 


किसी तरह आकाश जामडोली विमंदित गृह तक पहुंचा और उसकी यहा अच्छे से देखभाल होने लगी. यहा के माहौल ने आकाश की मानसिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ने लगा. कुछ समय पहने उसने अपने घर वालो को  सुल्तानपुर के तमर बाजार में होने का जिक्र किया. इसके बाद MR होम की टीम इसके परिवार को ढूंढने में लगी. 


बता दें कि जैसे-तैसे परिवार के नंबर मिले और आकाश के पिता से संपर्क हुआ. फिर क्या था रातोरात उसके माता-पिता उसे लेने जामडोली विमंदित गृह आ गए. अब सरकारी कागजी कार्रवाई के बाद आकाश अपने घर लौट गया है और अब वहीं दीवाली मनाएगा. घर जाने से पहले आकाश ने कहा कि वो परिवार के साथ सालों से दिवाली मनाना चाहता था. 


जामडोली के विमंदित गृह से तो इस बार खुशियां अपार आई, लेकिन अपना घर आश्रम में अपने परिवार से दूर रह रही शारदा देवी पति का अस्ति कलश भी नहीं ला पाई. 70 साल की शारदा देवी की अब अंतिम इच्छा यही है कि उनके पति का अस्ति कलश उनके पास हो और वो पूरे विधि-विधान के साथ उन्हें विसर्जित करें. शारदा देवी बताती हैं कि दिवाली के बाद उनकी धर्म की बेटी अस्ति कलश और उनके कीमती सामान देने आएगी.


साथ ही शारदा देवी इस दीवाली अपना घर आश्रम में तो मना रही है, लेकिन उनका मन वहीं है. शारदा देवी 1 साल पहले आश्रम में आई थी, लेकिन जब यहा आई तो उनके पति का अस्ति कलश नहीं ला पाई, क्योंकि उनकी उनके पति की अस्थियों का विसर्जन कौन करता  है, अब उन्हें यही इंतजार है कि कब अस्थि कलश उनके पास आएगा.


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