राजस्थान के 31फीसदी मनरेगा श्रमिकों का ही बीमा, 12 जिलों में ट्रैक रिकार्ड 20 प्रतिशत से भी कम
पत्राचार पर पत्राचार के बाद भी प्रदेश में नरेगा श्रमिकों को दुर्घटना पर 2 लाख रुपए दिलाने वाली योजना में 31 फीसदी ही काम हो पाया है. अकेले जयपुर में करीब 65 प्रतिशत श्रमिक रजिस्टर्ड होने बाकी हैं. सिर्फ 34.32% का रजिस्ट्रेशन हुआ है.
Narega in Rajasthan: पत्राचार पर पत्राचार के बाद भी प्रदेश में नरेगा श्रमिकों को दुर्घटना पर 2 लाख रुपए दिलाने वाली योजना में 31 फीसदी ही काम हो पाया है. अकेले जयपुर में करीब 65 प्रतिशत श्रमिक रजिस्टर्ड होने बाकी हैं. सिर्फ 34.32% का रजिस्ट्रेशन हुआ है. जिला परिषद की ओर से इन श्रमिकों को न तो कभी इस बारे में बताया गया और न ही कभी ई श्रम पोर्टल पर पंजीकरण की जानकारी दी गई.
मनरेगा श्रमिकों को दुर्घटना पर 2 लाख रुपए दिलाने वाली योजना प्रचार-प्रसार के अभाव में दम तोडती हुई नजर आ रही हैं. प्रदेशभर में 31 फीसदी ही मनरेगा श्रमिक ही ई श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं. जिला परिषद की ओर से इन श्रमिकों को न तो कभी इस बारे में बताया गया और न ही कभी ई श्रम पोर्टल पर पंजीकरण की जानकारी दी गई. चौंकाने वाली बात ये भी है कि ऐसा करने वालों में अकेला जयपुर ही नहीं है. 21 जिले तो ऐसे हैं जहां लापरवाही के चलते 30 प्रतिशत भी श्रमिक योजना से नहीं जुड पाए हैं.
असंगठित और मनरेगा श्रमिकों के लिए केंद्र की दुर्घटना बीमा योजना के तहत 2 लाख रुपए दिए जाते हैं. यह राशि तब मिलती है, जब श्रमिक का नाम ई श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो. जयपुर में 3 लाख 30 हजार 578 मनरेगा श्रमिक हैं. इनमें से केवल 1 लाख 13 हजार 442 ही ई श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं. प्रदेशभर की स्थिति पर नजर डाले तो 1 करोड 35 लाख 75 हजार 371 में से 42 लाख 6 हजार 398 मनरेगा श्रमिक रजिस्टर्ड हैं. की कुल एक्टिव वर्कस का 30.99 फीसदी हैं
टॉप फाइव
कोटा::::::::::73.56 प्रतिशत
भीलवाडा::::::::::70.16प्रतिशत
बीकानेर::::::::::69.34प्रतिशत
हनुमानगढ::::::::::65.98प्रतिशत
अलवर::::::::::56.55 प्रतिशत
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बॉटम फाइव
डूंगरपुर::::::::::10.13 प्रतिशत
जोधपुर::::::::::13.11 प्रतिशत
बारां:::::::::::::::15.22 प्रतिशत
प्रतापगढ::::::15.35 प्रतिशत
बूंदी::::::::::::::::15.59 प्रतिशत
मनरेगा आयुक्त और सरकार की ओर से पिछले 25 माह में 5 आदेश ई श्रम पोर्टल पर मनरेगा श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन के लिए जारी किए गए हैं. .ये आदेश 8 दिसंबर 2021, 24 मार्च 2022, 17 मई 2022, 22 अगस्त 2022 और 11 नवंबर 2022 को जारी हुए थे. ..परियोजना निदेशक व उपसचिव मनरेगा राजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि 12 जिले ऐसे हैं. जिनका ट्रैक रिकार्ड 20 प्रतिशत से भी कम है. इसे लेकर सभी को निर्देश दिए हैं. अब तक अंतिम रिपोर्ट में सबसे अधिक प्रतिशत कोटा का है, जहां 73.56 प्रतिशत श्रमिक रजिस्टर्ड हैं. डूंगरपुर में सबसे कम 10.13 प्रतिशत काम हो पाया है. जयपुर 34.32 प्रतिशत के साथ 22वें स्थान पर हैं...विशेषकर आदिवासी जिलों में आदिवासी समाज की भागीदारी मनरेगा योजना में 80 फीसदी भागीदारी रहती है. लेकिन इन्हीं जिलों में ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की भागीदारी में फिसड्डी है. जैसे डूंगरपुर जिला 10.13 प्रतिशत, प्रतापगढ़ 15.35 प्रतिशत, बांसवाड़ा 39.94 प्रतिशत है. ऐसे में इन्हें लाभ नहीं मिल पाता.
बहरहाल, अफसरों की उदासीनता का कारण है की मजदूरी करने वाले मनरेगा श्रमिकों को को दुर्घटना पर 2 लाख रुपए दिलाने वाली योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन हो तो इसकी संख्या में इजाफा हो सकता हैं. लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में ना तो श्रमिकों को इसकी जानकारी है ना ही अफसर इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
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