Jaipur: राजधानी में बुधवार को शिक्षकों के जरिए व्याख्याता पदों को लेकर विरोध  का मामला सामने आया है.  मामला 3 अगस्त 2021 में शिक्षा विभाग  के जरिए  व्याख्याता पदों पर होने वाली पदोन्नति के सेवा नियमों में करीब 52 साल के बाद संशोधन करते हुए, व्याख्याता पदों पर यूजी-पीजी समान विषय की अनिवार्यता का है. जिसमें संशोधन किया गया था, जिसके बाद शिक्षकों में इस संशोधन का विरोध भी देखने को मिला. 


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इसके लिए 24 मई से 10 जून तक  शिक्षकों ने बीकानेर निदेशालय के बाहर धरना  भी दिया था. तो वहीं30 से 7 मई तक जयपुर के शिक्षा संकुल में भी धरना दिया गया, जिसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से डीपीसी पर रोक लगाते हुए, शिक्षकों को उचित समाधान का आश्वासन दिया गया,लेकिन करीब 15 दिन बीत जाने के बाद भी इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं  हुए. जिस पर एक बार फिर से शिक्षा संकुल के मेन गेट पर 27 जून से वरिष्ठ अध्यापकों के जरिए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया गया.


गौरतलब है की, शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा सेवा नियमों में किए गए बदलाव के बाद विज्ञान और मैथ विषय के करीब 24 हजार से ज्यादा वरिष्ठ अध्यापक तो प्रभावित हुए ही हैं साथ ही कला वर्ग के भी करीब 10 हजार शिक्षकों की संख्या ऐसी है जिन्होंने यूजी और पीजी अलग अलग विषयों से की है. 


बता दें कि, प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी स्कूलों में से करीब 2 हजार स्कूल ही विज्ञान संकाय के है.साथ ही पिछले 4 साल में करीब साढ़े 4 हजार सरकारी स्कूलों को सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में बदला गया है, जिसमें भी महज 18 स्कूल ही विज्ञान संकाय की है,ऐसे में इन 18 स्कूलों में विज्ञान संकाय के करीब 54 पद ही होंगे,जिनमें से भी 27 पदों पर आरपीएससी की ओर से सीधी भर्ती और 27 पद डीपीसी से भरी जाएगी. ऐसे में अब शिक्षकों ने इस नियम को वापस लेने की मांग तेज कर दी है. राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ (रेस्टा) के बैनर तले दिए जा रहे.


 इस धरने में शिक्षकों का कहना है कि, "शिक्षा विभाग के जरिए जो नियम लागू किया गया है, उससे करीब 35 हजार से ज्यादा शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं,जिनमें करीब 24 हजार से ज्यादा शिक्षक विज्ञान और मैथ संकाय से हैं तो वहीं करीब 10 हजार शिक्षक कला वर्ग से है. नियम के चलते पिछले कई दिनों हुई डीपीसी से करीब 10 हजार से ज्यादा शिक्षक डीपीसी से बाहर हो गए हैं,,, इस नियम का असर दूरगामी देखने को मिल सकता है,,,इसलिए सरकार को जल्द से जल्द इस नियम को वापस लेने के आदेश देने चाहिए,जब तक नियम वापस नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा".


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