Jaipur : पूरे देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने हाहाकार मचा रखा है. कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में अपना ऐसा रूप दिखाया कि तमाम चिकित्सा व्यवस्था भी चरमरा गई. प्रदेश के तमाम अस्पतालों में चिकित्सा इंतजाम आज नाकाफी साबित हो गए. इतना ही नहीं इस बार ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ा वह किसी से छिपा हुआ नहीं है. अस्पतालों में ऑक्सीजन की मारामारी मची है.


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मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिलने के चलते लोगों की मौत हो रही है. कोरोना काल मे सबसे ज्यादा लोगों को तनाव दिया तो वह है ऑक्सीमीटर (Oximeter). ऑक्सीमीटर वह इक्विपमेंट है, जिससे ऑक्सीजन के लेवल को मापा जाता है. लेकिन यदि ऑक्सीमीटर की रीडिंग पर ही सवाल खड़ा हो जाए तो समझा जा सकता है कि हम बेवजह ऑक्सीजन लेवल कम होने का तनाव झेल रहे थे और हम तनाव लेकर बेवजह अस्पताल में जाकर भर्ती हो रहे हैं. 


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एक ही व्यक्ति की एक ही अंगुली में तीन अलग-अलग कंपनियों के ऑक्सीमीटर लगाएं और तीनों ही ऑक्सीमीटरों में रीडिंग (Oxygen level) अलग-अलग दर्ज हुई है. जब हमने पहली बार ऑक्सीमीटर लगाया तो रीडिंग 89 दर्ज हुई. दूसरी बार हमने लगाया तो 98 दर्ज हुई और जब तीसरी बार लगाया तो 99 दर्ज हुई है. एक ही व्यक्ति की तीनों अलग-अलग रीडिंग आना इस बात को साबित करता है की ऑक्सीमीटर की रीडिंग पर भरोसा किया जाना गलत है. घर घर में अब रखे यह ऑक्सीमीटर लोगों के लिए सिरदर्द बन गए हैं. इनकी गलत रीडिंग के चलते लोग मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं.


चिकित्सको की माने तो 90 से नीचे आक्सीजन का स्तर आते ही स्थिति चिंताजनक हो जाती है.ऐसे में ये ऑक्सीमीटर स्वस्थ व्यक्ति की रीडिंग 89 दर्शा रहा है, दूसरा ऑक्सीमीटर 98 बता रहा है. ऐसे में कौनसी रीडिंग सही मानी जाए और कौनसी गलत? 


ज़ी मीडिया संवाददाता प्रदीप सोनी ने ऑक्सीमीटर की रीडिंग को लेकर पूरी पड़ताल की और पड़ताल में यह सच सामने आया ऑक्सी मीटर की रीडिंग सही नहीं है. यानी ऑक्सीमीटर की रीडिंग ऑक्सीमीटर पर सवाल खड़े कर रही है. चिकित्सकों की मानें तो ऑक्सीमीटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है इसमें दर्शाई गई ऑक्सीजन लेवल की रीडिंग गलत आ सकती है. यानी घर में रखा ऑक्सीमीटर से यदि आप अपने ऑक्सीजन का लेवल माफ रहे हैं और यदि वह आपका ऑक्सीजन लेवल कम बता रहा है तो आप घबराएं नहीं आप धैर्य बनाकर रखें. यदि ऐसा होता है तो आपको सबसे पहले अपने नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. ताकि आपके लक्षण देखकर चिकित्सक आपको बता सके कि आपको ऑक्सीजन देने की दरकार है या फिर आप घर आइसोलेट होकर ठीक हो सकते हैं. डॉ. मुकेश शर्मा बताते हैं कि मानसिक तनाव लेने से भी ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है.


रिपोर्ट : प्रदीप सोनी 


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