Jaipur: पंचायतीराज अधीनस्थ भर्ती में बेरोजगारों पर 2.19 करोड़ की मार पड़ गई. विभाग में ना तो भर्ती हुई और ना ही आवेदन शुल्क वापिस लिया गया. 2013 में पंचायती राज विभाग ने अधीनस्थ भर्ती निकाली गई, लेकिन ये भर्तियां अब तक पूरी नहीं हो पाई. वहीं 4 साल बाद  2017 में इसे विड्रा कर लिया गया, पर इन भर्तियों के आवेदन फार्म पर लिए  शुल्कों को  अब तक लौटाया नहीं गया है. 


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जेईएन भर्ती का वादा पूरा नहीं हुआ


राजस्थान के बेरोजगार दोहरी मार झेल रहे है. पंचायतीराज विभाग की अधीनस्थ भर्ती 9 साल बाद पूरी नहीं पाई. भर्ती को 2017 में विड्रॉ भी कर लिया गया, लेकिन भर्ती में 2 करोड़ 19 लाख रूपए के आवेदकों को आज तक नहीं मिले. सरकार की तरफ से विड्रो की गई 7 भर्तियों में से केवल प्रशासन ने जेईएन भर्ती को अपने पहले बजट में 2100 पदों को पूरा करने की घोषणा की थी.लेकिन 539 पदों पर ही भर्ती की जा सकी है. तीसरे बजट घोषणा के बाद भी जेईएन भर्ती आज तक पूरी नहीं हुई.


इसके साथ ही  बेरोजगार एकीकृत महासंघ अध्यक्ष उपेन यादव ने इस भर्ती को पूरी करने की मांग की. उन्होंने कहा कि, सरकार ने बेरोजगारों से लखनऊ में मंत्रियों से लिखित समझौता किया, लेकिन अभी तक भर्ती  सरकार ने भर्ती नहीं निकाली.  इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग करते है कि बेरोजगारों से किया हुआ वादा पूरा करे.


पदनाम        पदों की संख्या    आवेदन आए      परीक्षा शुल्क
कनिष्ठ अभियंता    2186   9,421    43,54,436
सहा.कार्यक्रम अधिकारी    249    8,042    37,91,895
कम्प्यूटर अनुदेशक    460   10,433     45,38,645
अकाउंट असिस्टेंट     1870   6,977    28,27,340
कोर्डिनेटर ट्रेनिंग         54   720   3,81,850
कोर्डिनेट आईईसी    54   7,119  28,39,605
कोर्डिनेटर सुपरविजन      50     6,610   32,00,959

सिर्फ 4 लाख ही लौटा सकता है विभाग


आवेदन शुल्क वापिसी लौटाने पर विभाग ने का हैरानी करने वाला जवाब सामने आया है. विभाग ने जवाब दिया है कि राजस्थान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम 1998 संशोधन 2013 में आवेदन शुल्क वापसी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है. शुल्क वापिस नहीं किया जा सकता है. इतना ही नहीं पंचायतीराज विभाग ने नोटशीट में कहा है कि कार्यालय अध्यक्ष को प्रत्येक मामले में 35 हजार,विभागाध्यक्ष को 2 लाख,प्रशासनिक विभाग को मामले में 4 लाख रूपए तक की राशि को वापिस करने की शक्तियां है.आवेदको से प्राप्त शुल्क राशि लौटने के संबंध में पत्रावली में कोई उल्लेख नहीं है. यानि नियमों के मुताबिक अब बेरोजगारों को बिना परीक्षा लिए 2 करोड़ का नुकसान तो झेलना ही पड़ेगा.


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