Jaipur News: जलदाय विभाग के 192 इंजीनियर केमिस्ट को प्रमोशन मिल गया है, लेकिन इनमें कई इंजीनियर ऐसे हैं, जिनके क्षेत्राधिकार में जल जीवन मिशन के कार्यों में गड़बडियां हुईं, फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ. इस पर विभागीय जांच के साथ ही सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, एसीबी की जांच भी चल रही है. इनकी जांच कर कारण बताओ नोटिस, चार्जशीट दिया जाना है, लेकिन कार्रवाई की जगह विभाग ने डीओपी, आरपीएससी के साथ संयुक्त डीपीसी कर प्रमोशन का फायदा दे दिया.


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डीपीसी की सिफारिश पर मिला प्रमोशन 
डीपीसी की सिफारिश पर चार चीफ इंजीनियर, 21 एडिशनल चीफ इंजीनियर, 43 अधीक्षण अभियंता, 118 एक्सईएन बनाए गए हैं. वहीं, एक चीफ केमिस्ट, तीन अधीक्षण केमिस्ट, 2 सीनियर केमिस्ट बनाए गए हैं. कर्मचारी संगठनों की दलील है कि जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी की भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के दावों की पोल खुल गई.


अनारक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग को मिला प्रमोशन
अनारक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग को प्रमोशन के मामले में कुछ इंजीनियरों ने विभाग के समक्ष विरोध किया. उनका कहना है कि विभाग की डीपीसी में मूल वरिष्ठता में वरिष्ठ होने के कारण एसटी, एससी के 45 इंजीनियरों को अनारक्षित पदों पर प्रमोशन दिया गया है. एसटी-एसटी के आरक्षित पदों पर भी इसी वर्ग के इंजीनियरों को प्रमोशन दिया गया है.


प्रमोशन के बाद ये बने चीफ इंजीनियर 
प्रमोशन के बाद हुकमचंद वर्मा, देवराज सोलंकी, केडी गुप्ता व महेश जांगिड़ चीफ इंजीनियर बने हैं. वहीं, डीपीसी में सिविल संवर्ग से ताराचंद कुलदीप, जगदीश प्रसाद जोरवाल, मोहनलाल मीणा, झूंथाराम नायक, अजय सिंह राठौड़, जगदीश प्रसाद शर्मा, पारितोष गुप्ता, सुरेंद्र शर्मा, राकेश कुमार मुदगल, आशीष गुप्ता, निरिल कुमार, देवकी नंदन व्यास, भवानी सिंह शेखावत, मुकेश कुमार बंसल, नितिन जैन, सुधीर बंसल, जगदीश चंद्र व्यास और मैकेनिकल संवर्ग से गोपेश गर्ग, प्रद्युम्न कुमार बाघला, भगवान सहाय जाजू, कैलाश चंद मीणा को एडिशनल चीफ इंजीनियर बनाया गया है.


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