Rajasthan News: महाराष्ट्र के औरंगाबाद यानी छत्रपति शिवाजी नगर की राजनीति के ''गुरू-शिष्य'' की जोड़ी अब राजस्थान में दिखाई देगी. राजस्थान के नए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की नियुक्ति के बाद यह अनूठा संयोग बना है. हालांकि अब बागड़े संवैधानिक पद पर हैं, वहीं उनकी शिष्या राजस्थान की राजनीतिक पार्टी की प्रदेश सहप्रभारी है. अब राजनीतिक रूप से नहीं लेकिन गुरु शिष्य की जोड़ी राजस्थान में दिखाई देगी.


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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ बीजेपी नेता हरिभाऊ बागड़े को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया है. बागड़े की नियुक्ति के साथ ही राजस्थान के साथ एक संयोग भी जुड़ गया कि औरंगाबाद राजनीति की गुरु शिष्य की जोड़ी राजस्थान में नजर आएगी. इसका कारण यह है कि राज्यपाल बागड़े औरंगाबाद में बीजेपी प्रदेश सह प्रभारी विजया राहटकर के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं. इधर अब बागड़े की नियुक्ति के साथ ही गुरु शिष्य की यह जोड़ी राजस्थान में काम करेगी, हालांकि बागड़े संवैधानिक पद पर हैं, जबकि राहटकर भाजपा की प्रदेश सहप्रभारी के रूप में काम कर रही हैं.



दो साल से प्रदेश सहप्रभारी हैं राहटकर


विजया राहटकर प्रदेश भाजपा में 9 सितंबर 2022 से सह प्रभारी के तौर पर काम कर रही हैं. राहटकर ने विधानसभा चुनाव 2023 प्रदेश सहप्रभारी के रूप में ना केवल सम्पन्न कराए बल्कि बीजेपी की सत्ता प्राप्ति की राह में भूमिका भी निभाई. इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी विजया राहटकर को प्रदेश सह चुनाव प्रभारी जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद नई घोषणा में राहटकर को प्रदेश सहप्रभारी के रूप में बरकरार रखा गया. राजस्थान सहप्रभारी के साथ ही राहटकर बीजेपी में राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी कार्य कर रही हैं. राहटकर ने बागड़े के नियुक्ति पर कहा कि उनका अनुभव राजस्थान के विकास के लिए अच्छा साबित होगा.


राहटकर को राजनीतिक में लेकर आए बागड़े 


जानकारी के अनुसार विजया राहटकर ने महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली थी. उस दौरान औरंगाबाद में निगम चुनाव थे, ऐसे में बागड़े ने राहटकर के ज्वॉइन करने से पहले उन्हें टिकट दिलाया. इसके बाद मेयर बनने में भी सहयोग किया. इससे पहले राहटकर का कोई पॉलिटकल बैकग्राउंड भी नहीं था. इसके बाद राहटकर महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं.



ऐसे में साफ है कि राहटकर ने राजनीति का कखग भी राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से सीखा है. राहटकर इसे लेकर स्वीकार करती भी हैं कि वो अफसर बनने की तैयारी में थी, लेकिन बागड़े ने व्यापक रूप से देश और समाज सेवा के लिए राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद बागड़े ने राजनीति में हर कदम पर प्रेरित भी किया.