जयपुर: शहरी सरकार के बजट को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. स्थानीय स्वायत्त शासन निदेशालय से नगरीय निकायों को मिले के आदेशों के बाद जयपुर नगर निगम ग्रेटर में अब बजट पेश करने की तैयारी की जा रही है.15 फरवरी से पहले मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर अपने कार्यकाल का दूसरा बजट जल्द पेश कर सरकार को भिजवाने की तैयारियों में जुट गई हैं. संभावना है कि इस बार नगर निगम ग्रेटर का बजट 1 हजार करोड़ रुपए के ज्यादा का पेश हो सकता है.


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जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 15 फरवरी से पहले बैठक कर बजट पास किया जाएगा, जिसकी तैयारियों में अधिकारी जुटे हुए हैं. 15 फरवरी से पहले नगर निगम में बोर्ड की बैठक कर बजट पर चर्चा की जाएगी. बोर्ड में पास बजट को राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में पेश होने वाले बजट से पहले सरकार को भेजना होता है. निगम अधिकारियों के अनुसार, निगम की लेखा शाखा में अलग-अलग मदों के बजट पर चर्चा शुरू हो गई है. निगम अधिकारियों ने अपने सुझाव देना शुरू कर दिया है. हालांकि, अभी अधिकारियों की बजट से पूर्व तैयारी बैठक भी होगी.


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इस बार का बजट शाखाओं के अलावा वार्डों पर केंद्रित रहेगा


इस बार ग्रेटर के विकास का बजट करीब 900 करोड़ रुपए का अनुमानित है. बात यह है कि इस बार का बजट शाखाओं के अलावा वार्डों पर केंद्रित रहेगा. इसके लिए हर वार्ड की जरूरत के हिसाब से प्रस्ताव मांगे जाएंगे. साथ ही कमेटियों के चेयरमैनों से भी उनकी जरूरत के हिसाब से प्रस्ताव लिए जा रहे हैं. दो साल बाद ऐसा होने जा रहा है, जब साधारण सभा की बैठक बुलाकर बजट पर चर्चा की जाएगी. वहीं, बात अगर पिछले बजट की करें तो दोनों नगर निगमों ने विकास के नाम पर 10 फीसदी ही खर्च किया है. उसकी वजह आय की कमी रही.


साधारण सभा की बैठक बुलाने का मामला कोर्ट में 


ग्रेटर निगम ने बजट 889 करोड़ रुपए पारित किया और चालू वित्त वर्ष मैं पिछले 9 महीनों में ग्रेटर निगम को 117.35 करोड़ रुपए की कुल आय हुई. वहीं, हैरिटेज निगम सबसे फिसड्डी निकला है. उसके 881 करोड़ के एवज में गत 9 महीनों में 62.25 करोड़ रुपए की कुल आय हुई है. उधर नगर निगम हैरिटेज बजट पेश करने के लिए बोर्ड बैठक बुलाने के मूड में नजर नहीं आ रहा हैं, क्योंकि दो साल दो माह में नगर निगम हैरिटैज में सिर्फ एक ही बोर्ड की बैठक हुई हैं, जबकि लगातार पार्षद बोर्ड बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं. साधारण सभा की बैठक बुलाने का मामला कोर्ट में भी जा चुका हैं.


नगर निगम में बोर्ड का काफी बड़ा महत्व होता है. इसके लिए नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 51 में स्पष्ट प्रावधान दे रखे हैं. बोर्ड को 60 दिन में तो एक बार बैठक बुलाना आवश्यक होता है. अगर महापौर ऐसा नहीं करते हैं तो उस बोर्ड के एक तिहाई पार्षद साइन करके महापौर और आयुक्त को पत्र लिखकर मांग कर सकते हैं. फिर भी महापौर बैठक नहीं बुलाए तो धारा 51 (3) के तहत आयुक्त का ये कर्तव्य है कि वो 7 दिन में बैठक बुलाए. इस पर भी यदि बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई जाती है तो धारा 39 के तहत राज्य सरकार महापौर के खिलाफ महापौर के खिलाफ कार्रवाई कर नोटिस दे सकती है.


ये है नियम


नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज की शहर की सरकार का बजट पिछली बार सदन में न रखकर सीधे मंजूरी के लिए सरकार को भिजवाया था. ग्रेटर निगम से वित्त वर्ष 2022-23 का करीब 889 करोड़ के बजट को मंजूरी मिली. वहीं हैरिटेज निगम ने करीब 881 करोड़ रुपए के बजट को सरकार से मुहर लगाने भेजा गया. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि बजट को 25 फरवरी तक सरकार को भेजना जरूरी था. बैठक बुलाने के लिए 7 दिन का नोटिस देने के अलावा जयपुर शहर के तमाम विधायकों और सांसद से अनुमति लेनी थी, लेकिन विधानसभा और लोकसभा का सत्र के चलते बोर्ड की बैठक नहीं बुलाई जा सकती थी.


ग्रेटर निगम में वर्ष 2021-22 में कुल 821.60 करोड़ का बजट पास किया और हैरिटेज निगम में 784.60 करोड़ के बजट को बोर्ड बैठक में मंजूरी मिली थी. बात अगर एक निगम की करें तो हेरिटेज-ग्रेटर बनने के बाद विकास का बजट 907 करोड़ रुपए घटाया गया..जब एक ही निगम था तब आखिरी बजट 1857 करोड़ रुपए सालाना रखा गया, जिसमें से 950 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर खर्च किए गए, जबकि दो निगम बनने के बाद विकास का पैसा घटाकर 626 करोड़ रुपए ही रह गया. पिछले साल ग्रेटर निगम में विकास के नाम पर 300 करोड़ का बजट मंजूर किया लेकिन खर्च 45 करोड़ हुआ यानी एक चौथाई भी नहीं.इसी तरह हेरिटेज निगम में विकास के नाम पर 326 करोड़ का बजट मंजूर किया गया और खर्च किया 79.38 करोड़ यानी आधा भी नहीं.


उधर नगर निगम ग्रेटर के बजट सत्र 2023-24 पर भी हर बार की तरह इस बार भी सभा पर विधानसभा सत्र का साया है, जिसके चलते बैठक होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.नियमानुसार निगम को 25 फरवरी तक बजट सरकार को भिजवाना ही पड़ेगा.अगर बैठक नहीं हुई तो बजट सीधे सरकार को भेजा जाएगा. दरअसल 23 जनवरी से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है..विधानसभा या लोकसभा सत्र के बीच में साधारण सभा की बैठक नहीं की जा सकती है.बोर्ड बैठक करनी है तो संबंधित क्षेत्र के विधायक और सांसदों की अनुमति लेनी होगी. पहले भी विधायकों और सांसदों की आपत्ति के चलते नगर निगम की साधारण सभा की बैठक नहीं हो पाई थी.विधानसभा सत्र के बीच बैठक होना मुश्किल नजर आ रहा है.


आर्थिक तंगी से जूझ रही शहरी सरकार 


बहरहाल, शहरी सरकार आर्थिक तंगी से झुझने के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.भारी भरकम बजट पेश कर विकास के सपने दिखाए जाते हैं, लेकिन राजस्व वसूली न होने से विकास कार्य नहीं हो पाते..शहर में लाखों लोग यह आस लगाए बैठे हैं कि एक दिन उनके घर के सामने सड़क बनेगी..उस पर जो पानी भरता है, वो भी रुकेगा. घर के बाहर स्ट्रीट लाइट रात होते ही जल जाएगी, लेकिन अव्यवस्था का आलम यह है कि अधिकारी आय की बैलेंस शीट को ही बिगाड़ बैठे हैं.