Rajasthan Politics: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख घोषित हो गई है. राजस्थान में 13 नवंबर को चुनाव होगा और 23 नवंबर को रिजल्ट आएंगे. तारीखों का ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने गणित के हिसाब से जोड़ गुणा बाकी कर रही है. वहीं दूसरी ओर सातों सीटों पर दावेदार जयपुर से दिल्ली तक बड़े नेताओं पर टिकट के लिए डोरे डाल रहे हैं. बात की जाए तो बीजेपी ग्राउंड लेवल पर अपना होमवर्क पहले ही पूरा कर चुकी है. कांग्रेस भी ग्राउंड लेवल पर तैयारी कर रही है.


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भाजपा कांग्रेस नेताओं के अपने-अपने दावे....
विधानसभा की सातों सीटों पर जीत को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अपने-अपने दावे हैं. हालांकि, पूर्व का अनुभव देखा जाए तो उपचुनाव में कांग्रेस का अड्डा भारी रहा है, लेकिन इस बार राजस्थान में और केंद्र में डबल इंजन कि भाजपा सरकार और भाजपा भी सभी सातों सीटों पर जीत का दावा कर रही है. संख्या के लिए हाथ से देखें तो 7 सीटों में भाजपा के पास केवल एक सलूंबर की सीट है, वही खींवसर में आरएलपी और चौरासी में BAP काबिज थी, शेष झुंझुनू, दौसा, देवली उनियारा और रामगढ़ कांग्रेस के कब्जे में थी. ऐसे में माना जा सकता है कि भाजपा एक सीट से भी ज्यादा जीते भी है, तो उसका इजाफा होगा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस चार में से एक भी सीट हारती है तो वह नुकसान में रहेगी.



कांग्रेस में गठबंधन पर असमंजस... बीजेपी का इनकार...
उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने किसी भी तरह के गठबंधन को लेकर साफ इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि हम हमारे दम पर चुनाव लड़ेंगे, प्र्तयशियों के नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दिया है, अब वो जल्द ही निर्णय लेंगे. बीजेपी हरियाणा में मिली जीत से उत्साहित है जबकि कांग्रेस को लगता है कि हरियाणा का फार्मूला राजस्थान में काम नहीं करेगा. वहीं, दूसरी ओर चौरासी और खींवसर में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता असमंजस में है. दरअसल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन सीटों पर गठबंधन किया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह ने कहा कि उपचुनाव को लेकर पार्टी की सभी तैयारी पूरी है. प्रत्याशियों को लेकर अंतिम निर्णय आलाकमान को करना है. गठबंधन को लेकर डोटासरा ने कहा विधानसभा उपचुनाव में समझौता होना या नहीं होना, और किसी दल के साथ समझौता होना या नहीं होना, यह सब बातें पार्टी आलाकमान तय करेगा. आलाकमान गठबंधन पर कोई फैसला लेगा तो हम उस फैसले के साथ जाएंगे. अन्यथा हमारी तैयारी है. हम चुनाव मजबूती से लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी.   



यहां इन दावेदारों की चर्चा


दौसा: 
दौसा सीट पर 2018 और 23 से कांग्रेस से मुरारी लाल मीणा चुनाव जीते थे. भाजपा को इस सीट पर जीतने के लिए उम्मीदवार चयन से लेकर जमीनी स्तर पर पूरी ताकत लगानी होगी. सामान्य वर्ग की सीट होने से भाजपा यहां पर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाती आई है. बीजेपी की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा के साथ ही रतन तिवारी,  पूर्व विधायक शंकर लाल शर्मा का भी नाम चर्चाओं में है. वहीं, कांग्रेस पूर्व मंत्री और सांसद मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता मीणा या बेटी निहारिका मीणा के साथ राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व महासचिव नरेश मीणा और पूर्व विधायक जीआर खटाणा के नाम चर्चा में है.



देवली : 
उनियारा - देवली - उनियारा विधानसभा सीट से कांग्रेस के हरीश मीणा लगातार दो बार विधायक बनते आ रहे हैं. उससे पहले बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर विधायक रहे हैं, बीजेपी ने 2023 के चुनाव में राजेंद्र गुर्जर का टिकट काट के गुर्जर आंदोलन के अगवा रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैसला को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी पूर्व में इसी सीट से विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी को मैदान में उतार सकती है. वहीं, पार्टी पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर को लेकर भी गंभीरता से  विचार कर रही है, हालांकि सीट पर पूर्व सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया, राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, सुनीता बैंसला का नाम भी चर्चा में है. वहीं, कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव  और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर का नाम भी दावेदार के रूप में सामने आ रहा है. 



खींवसर : 
2023 के चुनाव में खींवसर से RLP संयोजक हनुमान बेनीवाल जीते थे. बेनीवाल ने चुनाव से ठीक पहले तक अपने ही करीबी रहे बीजेपी प्रत्याशी रेवंतराम डांगा से महज करीब 2 हजार वोट से जीत पाए.  बीजेपी रेवंतराम डांगा पर ही दांव खेल सकती है, डांगा के साथ पूर्व सांसद सीआर चौधरी और ज्योति मिर्धा के भी नाम चर्चा हैं. RLP हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल या उनकी पत्नी को उतार सकती है, वही गठबंधन नहीं होने पर कांग्रेस हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र मिर्धा और बिंदु चौधरी में से एक को उम्मीदवार बना सकती है.     



झुंझुनूं : 
जाट बाहुल्य झुंझुनू विधानसभा सीट वैसे तो कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, लेकिन बीजेपी हरियाणा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले जाट नेता और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया पर भी दावा खेल सकती है, हालांकि पूनिया माना कर चुके हैं. वहीं 2018 में भाजपा के प्रत्याशी रहे राजेंद्र भामू, 2023 में चुनाव लड़े बबलू चौधरी वहीं हर्षिणी का नाम चर्चा में है. कांग्रेस के मजबूत दावेदार की बात करें तो बृजेन्द्र ओला की पत्नी राजबाला, बेटे अमित ओला और बहु आकांशा ओला का नाम माना जा रहा है.  



चौरासी : 
आदिवासी बाहुल्य सीटों में शामिल चौरासी विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनाव से लगातार भारत आदिवासी पार्टी के नेता राजकुमार रोत जीते आ रहे हैं. बीएपी इस बार पोपट खोखरिया को टिकट दे सकती है, इसके अलावा बीएपी से जुड़े अनिल और  दिनेश को भी मौका मिल सकता है. इसके अलावा 2 बार से हार रही बीजेपी और कांग्रेस इस सीट को फिर से अपने कब्जे में लेने का प्रयास कर रहे है, हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस बीएपी के साथ गठबंधन की संभावना बन रही है. गठबंधन की स्थिति में ये सीट बीएपी अपने पास ही रखने का प्रयास करेगी, वहीं गठबन्धन नहीं होने पर कांग्रेस यहां से पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को फिर से मैदान में उतार सकती है. इसके अलावा भगोरा के परिवार से ही रूपचंद भगोरा या निमिषा भगोरा को भी मौका मिल सकता है. वही बीजेपी से पूर्व मंत्री सुशील कटारा के साथ सीमलवाड़ा के पूर्व प्रधान नानूराम परमार या चिखली क्षेत्र से पूर्व प्रधान महेंद्र बरजोड़ को टिकिट दे सकती है. 



सलूंबर : 
सलूंबर विधानसभा सीट से विधायक अमृत लाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई, यह सीट बीजेपी के लिहाज से मजबूत मानी जा सकती है. इस सीट पर बीजेपी अमृत लाल मीणा के परिवार के सदस्य को उम्मीदवार बना सकती है. इसके साथ अविनाश मीणा की दावेदारी मानी जा सकती है. वहीं कांग्रेस की बात करें तो 4 बार विधायक रह चुके रघुवीर मीणा या उनकी पत्नी बसंती मीणा पर दांव खेल सकती है.    



रामगढ़ : 
रामगढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन के बाद खाली हुई. यह सीट कांग्रेस के लिहाज से मजबूत मानी जा रही है, कांग्रेस इस सीट पर जुबेर खान की पत्नी और पूर्व विधायक साफिया जुबेर खान को प्रत्याशी बना सकती है. इसके खान के बेटे आर्यन जुबेर खान को भी दावेदार माना जा सकता है. जबकि बीजेपी से सुखवंत सिंह, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा और पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल दावेदार माने जा रहे हैं. 



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