Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को यह निर्देश दिया है कि वे उन स्ट्रीट वेंडर्स सदस्यों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करें, जिनके पास निगम की ओर से जारी पहचान पत्र नहीं है. अदालत ने गृह सचिव, स्थानीय निकाय सचिव, जेडीए, नगर निगम और डीजीपी से जवाब मांगा है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश नेशनल ह्यूमन राइट एंड सोशल जस्टिस ऑर्गनाइजेशन की जनहित याचिका पर दिया गया है.


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याचिका में अधिवक्ता संजय जोशी ने बताया कि राज्य सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2011 के प्रावधानों को लागू नहीं किया है. इसके अनुसार ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम को स्ट्रीट वेंडर्स को आईडी कार्ड जारी करने का था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.जयपुर शहर में करीब दो लाख स्ट्रीट वेंडर्स में से करीब आठ हजार को ही पहचान पत्र जारी किए गए हैं. जबकि हाईकोर्ट ने 31 जुलाई 2017 को आदेश जारी कर छह माह में पूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद भी एक्ट के प्रावधानों की पालना नहीं हुई है.


इसके अलावा ग्रेटर निगम ने गत 15 मार्च को प्रस्ताव लिया कि वेंडिंग जोन और परिचय पत्र स्थानीय पार्षद की एनओसी के बिना जारी नहीं किए जाएंगे. याचिका में कहा गया कि शहर में 86 वेंडिंग जोन घोषित करने थे, लेकिन अब तक सिर्फ 13 वेंडिंग जोन की घोषित किए गए हैं. याचिका में गुहार की गई है कि एक्ट के प्रावधानों की पालना की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ता संगठन के सदस्यों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा है.