Rajasthan News : राजस्थान में धर्मांतरण को रोकने के लिए भजनलाल सरकार नया कानून लाने की तैयारी में हैं. धर्मांतरण यानि की धर्म परिवर्तन करना, ऐसा व्यक्ति खुद की इच्छा से भी करता है और  प्रलोभन या डरा धमकाकर भी धर्म को बदलवा दिया जाता है. वर्तमान में भारत के 8 राज्यों में धार्मिक स्वतंत्रता कानून लागी है, उत्तराखंड,झारखंड,हिमाचल प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा में ये कानून लागू है. 
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आखिर मदन दिलावर ऐसे बयान देते क्यों हैं ?


उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ऐसे विवाह को शून्य घोषित किया गया है जो सिर्फ धर्मांतरण के उद्देश्य से किया गया हो. तामिलनाडू भी ऐसा कानून लाने की कोशिश कर चुका है, लेकिन 2002 में ईसाई अल्पसंख्यकों के विरोध के बाद 2006 में इसे निरस्त कर दिया गया.


वहीं राजस्थान में 2006 में और फिर 2008 में इसी तरह का कानून पारित किया गया था, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल सकी थी. एक बार फिर से भजनलाल सरकार नए सिरे से बिल लाकर धर्मांतरण को रोकने की दिशा में कड़े कदम उठाने की सोच रही है. 


बीजेपी के विधायक और सांसद लगातार लव जिहाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए इस तरह के कानून की मांग कर रहे हैं. आपको बता दें कि पूर्व में वसुंधरा राजे सरकार ने धर्म स्वातंत्रय बिल पारित किया था, लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली थी. विधेयक में किसी व्यक्ति को दूसरा धर्म अपनाने से पहले कलेक्टर से मंजूरी लेने की शर्त थी.



ये ही नहीं कानून के तहत गैर कानूनी धर्मांतरण के मामले में दोषी पाए जाने पर 5 साल की जेल का प्रावधान था. इस विधेयक को लेकर राजस्थान में बहुत विवाद हुआ था. अब राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश कर दिया है. भजनलाल सरकार पुराने विधेयक को निरस्त कर नए सिसे से धर्मांतरण को रोकने के लिए बिल तैयार कर रही है.



याद दिला दें पिछले कुछ दिनों में भीलवाड़ा, राजसमंद और वांगड़ के कुछ मदरसों और ईसाई मिशनरीज पर ऐसी ही गतिविधियों के आरोप लगे थे. जिसको लेकर बीजेपी ने विरोध किया था.