Jaipur: साल 2022 के बजट में राजस्थान में पहला कृषि बजट (Agriculture Budget in Rajasthan) पेश किया जा रहा है. राजस्थान में परंपरा रही है कि बजट मुख्यमंत्री ही पेश करते है. नियमों के मुताबिक वित्त मंत्री (Finance Minister) बजट पेश करता है. और ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने वित्त विभाग अपने पास ही रखा. लेकिन जब राजस्थान (Rajasthan Budget 2023) का पहला बजट पेश किया गया था. तो वो उस वक्त के मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल (Tikaram Paliwal) ने ये बजट पेश नहीं किया था. पहला बजट उस वक्त के दिग्गज जाट नेता ने पेश किया था.


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राजस्थान (Rajasthan News) में 23 फरवरी 1952 को पहली विधानसभा का गठन हुआ था. तब राज्य में विधानसभा की 160 सीटें थी. जिसे बाद में 1957 में 176 सीट, 1967 में 184 और 1977 में विधानसभा की सीटें 200 की गई. राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhan Sabha) में 4 अप्रैल 1952 को पहला बजट पेश किया गया था. जो 17.25 करोड़ का था. ये बजट दिग्गज जाट नेता नाथूराम मिर्धा ने पेश किया था. नाथूराम मिर्धा उस वक्त राजस्थान के वित्त मंत्री थे.


इस पहले बजट में वित्त मंत्री के तौर पर नाथूराम मिर्धा (Nathuram Mirdha) ने जनता पर कोई टैक्स (Tax) नहीं लगाया था. बजट की ज्यादातर घोषणाएं सिंचाई, पेयजल और सूखे से निपटने के साथ-साथ कानून व्यवस्था और वित्त प्रबंधन पर केंद्रित थी. बजट पेश करते हुए नाथूराम मिर्धा ने कहा था कि इस वक्त मेरे मन में कई तरह की भावनाएं है. हम जिस एकता के, जिस संयुक्त राजस्थान का सपना संजोए हुए थे. उस एकजुट राजस्थान में जन कल्याण का ये पहला बजट पेश करने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आई है.


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कैसे बनता है राजस्थान का बजट ?
जो बजट फरवरी के आखिर और मार्च के शुरुआत में पेश होता है. उसे बनाने की तैयारी सितंबर-अक्टूबर से ही हो जाती है. इसके लिए सबसे पहले अलग-अलग विभागों को सर्कूलर जारी किया जाता है. ताकि सभी विभाग अपने-अपने आय-व्यय का लेखा जोखा तैयार करने की काम शुरु करे. जब बजट फाइनलाइजेशन कमेटी यानि बीएफसी की बैठक होती है. तो उसमें सभी विभाग मौजूदा खर्च के साथ-साथ आने वाले साल में कितना फंड चाहिए. इसका हिसाब पेश किया जाता था. बजट फाइनलाइजेशन कमेटी जनवरी-फरवरी तक आते-आते अपना काम पूरा कर लेती है. बीएफसी का काम पूरा होने के बाद वित्त विभाग के बजट सेक्शन का काम शुरु होता है.


कैद में रहते है अधिकारी
जब बजट बनाने का काम शुरु होता है तो काफी गोपनीयता बरती जाती है. बजट बनाने में लगे अधिकारी और कर्मचारी सचिवालय से बाहर नहीं जा पाते है. इसे बजट कैद भी कहते है. जिस समय मुख्यमंत्री विधानसभा में बजट पेश करते है. उसके बाद ही ये अधिकारी-कर्मचारी अपने घर जा पाते है.


विधानसभा में पेश होने से दो दिन पहले ही बजट का काम पूरा होता है. मुख्यमंत्री इसे फाइनल रूप देते है. बजट से एक दिन पहले मुख्यमंत्री इस बजट पर हस्ताक्षर करते है. इस वक्त बजट बनाने में शामिल अधिकारियों कर्मचारियों का फोटो सेशन भी होता है. और फिर अगले दिन बजट विधानसभा में पेश किया जाता है. विधानसभा में पेश होने से पहले बजट को कैबिनेट के सामने भी रखा जाता है. और कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही राज्यपाल (Governor) के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है.