Rajasthan Budget: यूं तो बजट किसी भी सरकार के साल भर के खर्चे का लेखा-जोखा होता है, लेकिन बजट में सरकार का नजरिया उसका विकासवादी दृष्टिकोण सरकार की पारदर्शिता और सरकार की अप्रोच भी दिखाता है. अबकी बार भजनलाल सरकार बुधवार को अपना पहला पूर्ण बजट रखने जा रही है. यह मौजूदा सरकार का पहला बजट है. इसलिए सवाल और संभावनाएं दोनों ही इस बजट से पहले चर्चा का विषय है.


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संभावना यह कि, सरकार अपना विकासवादी नजरिया इस बजट में स्थापित कर पाएगी और सवाल यह है कि, क्या सरकार सौगातों की बारिश करेगी? या सख्त वित्तीय अनुशासन का मैसेज जनता में देगी? वित्तीय अनुशासन की बात इसलिए भी हो रही है क्योंकि आमतौर पर कोई भी सरकार अपने पहले साल के बजट में आगामी वर्षों के लिए रेवेन्यू की व्यवस्था करने पर ज्यादा ध्यान देती है.



बजट को लेकर सरकार पर एफआरबीएम एक्ट की बाध्यताएं भी हैं.भले ही कोविड के समय केंद्र सरकार ने एफआरबीएम एक्ट की बाध्यताओं में आंशिक छूट दी हो लेकिन अब एक बार फिर सरकारों के संभलने का वक्त है. राजकोष का पैसा संभलकर खर्च करने वक्त है.



वित्तीय अनुशासन -


वित्तीय अनुशासन की बात करें तो इसके कुछ महत्वपूर्ण लक्षण देखे जा सकते हैं. जिसमें कुछ नये तरह के टैक्स लगाकर सरकार का राजस्व बढ़ाना, मुफ्त में दी जाने वाली सौगातों से बचना- जैसे बिजली, पानी, अनाज जैसी चीजें मुफ्त में देने की घोषणाएं नहीं करना, खर्चों में कटौती करना, घाटे पर नियंत्रण रखना और लोक लुभावन घोषणाएं नहीं करना शामिल है.



इसके साथ ही विकासवादी दृष्टिकोण दिखाते हुए डेवेलपमेन्ट की योजनाएं लाने पर सरकार का फोकस दिखता है.सरकार की प्राथमिकता ऐसे काम होने चाहिए जिससे विकास का नजरिया स्थापित हो सके.ऐसे काम जिससे रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके. शिक्षा,स्वास्थ्य,सड़क तंत्र में बेहतर सुधार हो सके.कृषि उपज बढ़ सके.



जबकि लोकलुभावन बजट की बात करें तो उसमें सरकारें जनता के लिए मुफ्त की सौगातों पर ज्यादा फोकस करती हैं.ऐसी घोषणाओं को आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी जनता के लिए सम्बल का नाम देती है. जबकि विपक्ष में बैठी पार्टी मुफ्त की रेवड़ियों का नाम देती है सत्ता बदलने पर नेताओं का नजरिया ऐसी घोषणाओं के प्रति बदल जाता है. ऐसे में अबकी बार भजनलाल सरकार और उनकी वित्त मन्त्री दीया कुमारी से जनता को भी बड़ी आस है.