Rajasthan by election 2024: विधानसभा की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की बिसात बिछ चुकी है. चुनावी मैदान में रण की तस्वीर साफ हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी ने सभी सात सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. किसी का कोई गठबंधन अबकी बार नहीं दिख रहा. 


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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी और भारतीय आदिवासी पार्टी यानी बीएपी अपनी–अपनी सीट को बचाने के लिए मैदान में उतरी दिख रही हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या अबकी बार का उपचुनाव कोई अलग नतीजे लेकर आएगा? या फिर इस बार भी उपचुनाव में जनता का झुकाव पहले की तरह सत्ता की तरफ हो सकता है.



प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के दिन नजदीक है. 13 नवंबर को होने वाली वोटिंग के लिए पार्टियों ने अपने–अपने चेहरे सामने कर दिए हैं. 25 अक्टूबर नामांकन की आखिरी तारीख है. इस बीच बीजेपी के प्रत्याशियों ने चार सीटों पर नामांकन दाखिल कर दिए हैं। इन नामांकन रैलियों में नेताओं के बयानों की धार दिख रही है. सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के साथ सरकार के मुखिया सीएम भजनलाल शर्मा के शब्द बाणों का मुंह कांग्रेस की तरफ दिख रहा है.



 कांग्रेस के प्रत्याशियों ने भी झुंझुनू और रामगढ़ में नामांकन दाखिल कर दिया है. दौसा और देवली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में शुक्रवार को पर्चा भरा जाएगा. पीसीसी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के साथ ही नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी नामांकन सभा में शामिल होंगे. 



इससे पहले अलवर के रामगढ़ में जुबेर खान के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन खान का नामांकन दाखिल करने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने अपने तल्ख तेवर दिखा दिए. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि, इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी सरकार को उसके 10 महीने के कामकाज पर आइना दिखा देगी.



वैसे तो इस उपचुनाव का दायरा बहुत सीमित है और इससे प्रदेश में कोई सत्ता परिवर्तन नहीं होने वाला, लेकिन मुख्य चुनाव के नतीजे को देखें तो इन सात में से चार सीट कांग्रेस के पास थी, जबकि बीजेपी, बीएपी और आरएलपी के पास एक-एक सीट थी. ऐसे में जो भी पार्टी अपनी सीट में इजाफा करेगी वह आने वाले कुछ समय तक अपने विरोधी को खुलकर जवाब देने का मौका नहीं देगी.