Rajasthan Holi 2024: बुरा ना मानो होली है...राजस्थान में सियासी रंगों के डूबी नजर आई राजनीतिक पार्टियां
Rajasthan Holi 2024: त्यौहार का मौसम है और फाल्गुनी बयार में हर कोई रंग में डूबा हुआ है. कहीं चंग की थाप है, तो कहीं रंग और भांग का जोर दिख रहा है.
Rajasthan Holi 2024: त्यौहार का मौसम है और फाल्गुनी बयार में हर कोई रंग में डूबा हुआ है. कहीं चंग की थाप है, तो कहीं रंग और भांग का जोर दिख रहा है. ऐसे में हमारे खबरनवीस भी माहौल से अछूते नहीं रहे और उनकी कलम को भी कुछ अलग ही रंग चढ़ता दिखा है.
चूरू
होली की बयार की सबसे पहली खबर उस जिले से दिख रही है, जो अपने सबसे सर्द और सबसे गर्म मौसम के लिए जाना जाता है. चूरू में तस्वीर कुछ अलग ही दिख रही है. होली के माहौल में भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ और अबकी बार कांग्रेस के टिकट पर मैदान में दिख रहे राहुल कसवां के बीच सुलह की खबर है. बताया जा रहा है की भांग घुटने लगी तो दोनों नेताओं के बीच दोस्ती भी घुटती दिखाई दी. उधर राजेंद्र राठौड़ ने कहा है कि वह कभी भी राहुल का विरोध नहीं करेंगे तो इधर कसवां परिवार ने भी कह दिया है कि राठौड़ चाहे तो फिर से तारानगर से चुनाव लड़ लें, उन्हें परिवार की तरफ से भी पूरा समर्थन मिलेगा.
राहुल कसवां और राजेंद्र राठौड़ के बीच होली की इस ठिठोली की खबर सुनकर देवेंद्र झाझड़िया ने भी अपना भला उठा लियाहै. सुबह-शाम प्रैक्टिस करते हुए अब झाझड़िया उन लोगों पर निशाना साधने में जुटे हैं, जिन्होंने उनको राजनीति के ट्रैक पर आने की सलाह दी थी.
बीकानेर
चूरू में घुट रहे दोस्ती के इस चूरमे की खबर बीकानेर की भुजिया तक पहुंच गई है. इसके चलते अर्जुनराम मेघवाल और गोविंदराम मेघवाल के चटपटे रिश्तों में भी चूरमे की मिठास घुलती दिख रही है. भांग की दुकान से सीधे बीकानेर कवरेज करने पहुंचे तो पता चला कि अर्जुन ने गोविंद को कह दिया है कि आप तो हमेशा से ही सारथी और मार्गदर्शक रहे हो. तो अब दोनों में टकराव किस बात का? हालांकि पिछली जिला परिषद के चुनाव में रवि को अस्ताचल की तरफ भेजने को लेकर बात आई, तो दोनों ने बड़ा मन दिखाकर हाथ मिला लिया. चक्रधारी ने भी पार्थ को अपने विराट स्वरूप के दर्शन दे दिए. बात यहां तक आ गई कि दोनों का? मूल विचार तो एक ही पार्टी से जुड़ा है, फिर आपसी संघर्ष किस लिए किया जाए?
उधर दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को बीकानेर में रसगुल्ले और भुजिया के इस मेल की खबर लगी, तो उन्होंने भी गणित दुरुस्त कर ली है और अब यहां अपना विराटरूप दिखाने की तैयारी कर ली है.
जोधपुर
भुजिया और रसगुल्ले के इस मेल का असर किसी और कढ़ाही पर भी दिख रहा है. सूर्यनगरी में सूरज का ताप तेज है. इस तेज ताव से ही जोधपुरी मावे की कचोरी और मिर्ची बड़ा दोनों तैयार हो रहे हैं. बाबू जो अभी तक हाथी के किसी हाबू की तरह लड़ा हुआ था, वह अब सिंह नहीं रहा. थोड़ा नरम पड़ गया है क्योंकि जांभोजी के अनुयायी साथ आते दिख रहे हैं. जीव रक्षा की बात हो रही है और जीव रक्षा की बात हो तो फिर गज हो या इंद्र, सबको बचाना जिम्मेदारी हो जाती है. इसी का असर यहां के चुनाव में दिख रहा है. धोलों में धूल ना हो इस बात का ध्यान रखा जा रहा है. यही कारण है कि देवर की जगह जीजी को धोका जा रहा है लेकिन करण ने भी पूरा प्राण लिया है. वचन दे दिया गया है कि जोधपुर के भांजे की पूरी रक्षा की जाएगी. इसी बीच किसी ने मामा-भानजे के आपी रिश्ते की कहावत बोलते हुए कह दिया, कड़े ना होवे आपणा, कर देखो व्यवहार. उधर बना जी ने आंख फेरी, तो आवाज आई, बुरा ना मानो होली है.
जालौर
जोधपुर के ताप का असर पिछली बार भी हुआ था और उस असर के चलते अबकी बार समझौते की पालना हो रही है. वैभव सिहर उठा हैं लेकिन राम नामधारी लुंबा ने कह दिया है कि वे जब भारत मां के वैभव को अमर रखते हैं, तो अबकी बार भी वैभव को अमर रखने की ही बात की जाएगी. कमल के लुंबा की तरफ से राम का आशीर्वाद वैभव को मिल गया है. दोनों की दोस्ती होली के रंग चढ़ने के बाद नया असर दिखा सकती है.
हो सकता है कि धरती से 6 इंच ऊपर चलने वाला अपना रथ छोड़कर वैभव अब लुंबाराम की मोटरसाइकिल पर सवार हो जाएं. दोनों साथ-साथ चुनाव प्रचार करने की योजना बना रहे हैं, जिससे तेल-पानी का खर्चा बचाया जा सके. पिछले दिनों प्रवासियों के बीच जनसंपर्क और धन संपर्क के लिए पहुंचे नेताओं को चंदा मामा का प्यार भी अलग-अलग मात्रा में मिला है.
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