Rajasthan Politics: सचिन पायलट के जयपुर में अनशन के एलान के साथ ही राजस्थान कांग्रेस में खंदक की लड़ाई शुरू हो चुकी है. ऐसा कहना जल्दबाजी नहीं होगी. क्योंकि अशोक गहलोत के खिलाफ एक बार फिर से मुखर हुए सचिन पायलट ने इस बार अनशन का रास्ता अपनाया है. लेकिन राजस्थान विधानसभा 2023 चुनाव के नजदीक होते ही सचिन पायलट का ये कदम, वसुंधरा राजे के भतीजे की राह पर चलने जैसा है. 


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राजस्थान में कांग्रेस में एक बार फिर उथल-पुथल हो चुकी है. सचिन पायलट की गहलोत सरकार के खिलाफ प्रेस कॉंफ्रेस कर चुके हैं. अब कल अनशन की बारी है. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में सात महीने का समय बचा है, लेकिन  भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सचिन अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े हो चुके हैं. 


ऐसे में राजनीतिक गलियारे में ये सवाल है कि क्या सचिन पायलट भी वसुंधरा राजे के भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चले पड़े हैं क्या ? याद दिला दें कि साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही पार्टी की कमलनाथ सरकार के खिलाफत की थी.


और कहा था कि जनता की मांगे पूरी नहीं होने पर वो सड़कों पर उतरेंगे. जिसका कमलनाथ की तरफ से तल्ख जवाब भी सिंधिया को मिला था. ये लड़ाई इस हद तक गयी की 10 मार्च 2020 को सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया और कमलनाथ की सरकार गिर गयी और एमपी में शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभाली.


राजस्थान में कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. पहले सचिन पायलट ने प्रेस कॉंफ्रेस की और फिर अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये और कल अनशन की चेतावनी दी है. पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर भ्रष्टाचार के मामले में  कार्रवाई नहीं की जाती तो वो गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन करेंगे. 


पायलट ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ खान घोटाले के साथ ही ललित मोदी कांड पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी सरकार ने मजबूती से एक्शन बिल्कुल नहीं लिया है.


इधर मामले पर राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कीये प्रेस कॉंफ्रेस उचित नहीं है. पायलट को पार्टी के अंदर ही मुद्दे को उठाना था. रंधावा ने ये भी कहा कि मेरे प्रभारी बनने के बाद पायलट के साथ 20 बैठकें हुई लेकिन भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं उठा.


सचिन पायलट की चिट्ठी और गहलोत के खिलाफ अनशन, क्या विधानसभा चुनाव से पहले अलग होगी राह ?