जयपुर: राजस्थान पुलिस को स्मार्ट एवं चुस्त-दुरूस्त बनाने की कवायद की जा रही है. इसके लिए 12 करोड़ रुपए के आधुनिक उपकरण खरीदे जा रहे हैं जो पुलिसकर्मियों की दक्षता बढाएंगे. इनमें पुलिसकर्मियों की स्मार्ट ट्रेनिंग से लेकर आतंकी चुनौति से निपटने और इंटेलीजेंस को उड़ान भरना सिखाया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने चार करोड़ 35 लाख रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है, जबकि शेष मामले वित्त विभाग को भेजे गए हैं..


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राजस्थान पुलिस पर प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने की भी जिम्मेदारी है. इस कार्य को बखूबी अंजाम देने के लिए पुलिस को अत्याधुनिक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके लिए राजस्थान पुलिस की ओर से कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. इनमे तहत पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग को बेहतर बनाने से लेकर विभिन्न ब्रांचों को मजबूत बनाया जाएगा. 


मौके पर ही सबूत जुटाएगी मोबाइल यूनिट
पुलिस आधुनिकीकरण योजना के  तहत  राजस्थान पुलिस ने 71 मोबाईल इन्वेस्टीगेशन यूनिट्स खरीदी. अब इन्हें आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़दीकरण करने की जरूरत है. गंभीर व संवेदशील घटना के घटना स्थल से सुरक्षित, सुगमतापूर्वक सबूत इकट्ठे कर आधुनिक तकनीक व उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा ताकि इनके माध्यम से उच्च गुणवत्तायुक्त अनुसंधान व विशेष अपराधों के विषय में शोध किया जा सकेगा. इसके लिए पहले चरण में 2 करोड़ 235 लाख रुपए तथा दूसरे चरण में 1 करोड़ 642 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं. इनमें पहले चरण की राशि मंजूर की जा रही है, वहीं दूसरे चरण की राशि का अगले बजट में प्रावधान किया जाएगा.


वाहनों से संदेशों का आदान-प्रदान


 पुलिस विभाग के नए वाहनों में ड्यूटी की आवश्यकताओं को देखते हुए मोबाईल डाटा टर्मिनल लगाए जाएंगे. मोबाईल डाटा टर्मिनल पर पुलिस कन्ट्रोल रूम द्वारा संदेशों काआदान-प्रदान किया जा सकेगा. इससे तत्काल मौके पर पहुंचकर समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी. इन उपकरणों पर 25 लाख रुपए का खर्च आएगा. 


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स्मार्ट क्लासरूम, ट्रेनिंग में दक्षता
वर्तमान में अध्ययन व अध्यापन के तरीकों में काफी परिवर्तन आया है. आधुनिक तकनीक से युक्त एवं प्रशिक्षण सुविधा की दृष्टि से स्मार्ट क्लास रूम से अध्ययन एवं अध्यापन का कार्य उच्च कोटि का होता है. राज्य के सभी ट्रेनिंग संस्थानों के प्रशिक्षणार्थी किसी विशेष विषय पर एक साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं. ऑन लाईन उच्च कोटि की अध्ययन सामग्री उपलब्ध है. अधिकांश विषय विशेषज्ञ पीपीटी के माध्यम से अध्यापन करवाना सुविधाजनक मानते हैं . राजस्थान पुलिस अकादमी जयपुर, राजस्थान पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र जोधपुर,किशनगढ़,  पीटीएस, भरतपुर बीकानेर_ जोधपुर, अलवर ,झालावाड़ ,खैरवाड़ा एवं पीएमडीएस, बीकानेर सहित 10 संस्थानों में स्मार्ट क्लास रूम स्थापित किए जाएंगे. इन पर 52 लाख रुपए का खर्च आएगा. 
 
ट्रेनिंग सेंटर देंगे दक्ष पुलिसकर्मी


वर्तमान में जिला पुलिस प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से पुलिस बल को कानून-व्यवस्था एवं अन्य विधिक ज्ञान से प्रशिक्षित किया जा रहा है. राजस्थान पुलिस प्राथमिकताएं 2022  के तहत जिला प्रशिक्षण केन्द्रों को क्रियाशील कर पुलिस बल को सूचना प्रौद्योगिकी, अन्वेषण, यातायात प्रबन्धन एवं आपदा राहत के क्षेत्र में दक्ष बनाने का लक्ष्य रखा गया है. सुचारू व लक्षित प्रशिक्षण की क्रियान्विति के लिए जिला प्रशिक्षण केन्द्रों को तकनीकी दृष्टि से सुदृढ़ किया जाएगा. इस पर 46 लाख 41 हजार रुपए खर्च हांगे. केंद्रों पर प्रशिक्षण लेने वाले पुलिसकर्मियों को कम्प्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण एवं सीसीटीएनएस का बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र अलवर में एक कम्प्यूटर लैब प्रस्तावित है. इस लैब पर 23 लाख रुपए खर्च होंगे.


सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग अकादमी की सुविधाएं होगी विकसित


उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ पुलिस अकादमियों में शामिल राजस्थान पुलिस अकादमी परिसर क्षेत्रफल लगभग 5.02  किलोमीटर के नियमित रख-रखाव संबंधी कार्यों, प्रशिक्षण के नए ग्राउण्ड तैयार करने, प्रशिक्षण के उपकरण आदि सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने के लिए उपकरण सहित एक छोटे ट्रैक्टर की आवश्यकता है.इसके अलावा भी परिसर में कई अन्य प्रकार की सुविधाएं विकसित की जाएगी. स्मार्ट पोडियम साउण्ड सिस्टम के तहत कट , साउण्ड सिस्टम व अन्य आवश्यक संसाधनों का समावेश एकीकृत रूप किया जाएगा. 


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ड्राइविंग बेहतर तो बदमाशाें का पीछा जल्द


वर्तमान युग में ड्राईविंग संबंधी योग्यता में दक्षता  के लिए ड्राईविंग सिमुलेटर पर सुरक्षित प्रशिक्षण दिया जाना उचित माना जाता है. राजस्थान पुलिस  अकादमी में प्रशिक्षु RPS व उप निरीक्षक पुलिस को ड्राईविंग प्रशिक्षण दिया जाता है. आधुनिक तकनीकी को देखते हुए 3-हल्के वाहन सिमुलेटर की आवश्यकता है ताकि प्रशिक्षुओं को वाहन ड्राईविंग का समुचित अभ्यास कराया जा सके. 


आतंकी व गंभीर घटनाओं की चुनौती से निपटना 


आतंकी व गंभीर घटनाओं की चुनौतियों से सफलतापूर्वक मुकाबला  को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में यह आवश्यक है कि ई.आर.टी. को अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं. इससे जवानों की क्षमता व कौशल में वृद्धि होगी.  इन उपकरणों की सहायता से ई.आर.टी के जवान धैर्य, साहस व दक्षतापूर्वक अपने कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकेंगे | 
ई.आर.टी द्वारा ऑपरेशन के दौरान किसी इमारत के अन्दर छुपाये हुए पीड़ित की मुक्ति अभियान व संदिग्ध, अपराधियों की धरपकड़  करने के लिए बन्द इमारत में दीवार आदि को तोड़कर प्रवेश करने की आवश्यकता होती है. उक्त कार्य के लिए संदर्भित किट का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में ईआरटी की टीम के पास इस तरह का  किट उपलब्ध नहीं है. कमाण्डोज द्वारा बेहतर ऑपरेशनल कार्यवाही करने के लिए इस किट की खरीद की जानी आवश्यक है. इस किट पर अनुमानित 85लाख रुपए का खर्च आएगा. 
 
रिमोट से टारगेट पर निशाना
लक्ष्य को दूर से नियंत्रित करने के लिए गैर घातक इस उपकरण के माध्यम से फायर करके आर्मोरर रोप से टारगेट के पैरों तथा उऊपरी शरीर को बांधा जा सकता है. मॉर्डन सोसायटी में  गैर घातक इस डिवाइस के माध्यम से लक्ष्य नियंत्रित अथवा रेस्क्यू किया जा सकता है. प्रत्येक ई.आर.टी. हेतु एक-एक डिवाइस कुल 9 डिवाइस क्रय करने के लिए 22 लाख 50 हजार रुपए का खर्च होगा. 


ऑपरेशन कमांडो में रोशनी 


कमाण्डो ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशनल व्हीकल पर सवार कमाण्डोज के द्वारा ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में लक्ष्य को चिन्हित किए जाने के दौरान रोशनी के अभाव में लक्ष्य के चिन्हिकरण में कठिनाई होती है. ऐसी स्थिति में अंधेरे के कारण जवानों को शारीरिक क्षति होने की संभावना भी रहती है. ऐसी परिस्थिति में क्षति रहित सफल ऑपरेशन के लिए एडवान्स नाइट विजन ड्राईविंग साईट उपकरण को ऑपरेशनल वाहन के उपर लगाया जाता है जिससे रात्रि में आसानी से लक्ष्य को खोजा जा सकता है. इसमें दो उपकरणाें खरीद का प्रस्तावित है जिन पर 48 लाख रुपए का खर्च आएगा. 


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