Rajasthan- जोधपुर से 108 रथ में 600 किलो घी अयोध्या के लिए होगा रवाना, जिन गायों को था कटना उसी से होगी रामलला की महाआरती
Rajasthan News: रामलला को लेकर आस्था का सैलाब हमेशा रहेगा. जनवरी 2024 रामभक्त के लिए काफी खास रहेगी. क्योंकि रामलला के मंदिर में होने वाली पहली महाआरती और महायज्ञ में जिस घी का इस्तेमाल किया जाएगा, वो जोधपुर से भेजा जाएगा.
Rajasthan News: रामलला को लेकर आस्था का सैलाब हमेशा रहेगा. जनवरी 2024 रामभक्त के लिए काफी खास रहेगी. क्योंकि अयोध्या में रामलला का मंदिर बनकर जनवरी में तैयार हो रहा है. ऐसे में राजस्थान का भी रामलला की सेवा में अपनी भागीदारी देने के लिए तैयार हुआ है.
मंदिर की अखंड ज्योत को प्रज्जवलित किया जाएगा
बताया जा रहा है रामलला के मंदिर में होने वाली पहली महाआरती और महायज्ञ में जिस घी का इस्तेमाल किया जाएगा, वो जोधपुर से भेजा जाएगा. उसी घी से मंदिर की अखंड ज्योत को प्रज्जवलित किया जाएगा. बता दें कि इसके लिए 6 क्विंटल यानी 600 किलो घी अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा.इसमें सबसे खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं बल्कि 108 रथ में भेजा जाएगा, जिनमें 216 बैल होंगे. ये रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगे.
इसमें सबसे बड़ी रोचक बात सामने आई है कि जिन गायों के घी से रामलला के मंदिर की पहली आरती होगी, वो आज जिंदा ही नहीं होतीं, अगर एक संत ने उन्हें बचाया नहीं होता. उन्हीं संत का 20 साल पुराना संकल्प है, जिसकी बदौलत राजस्थान इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने जा रहा है.
एक संत का 20 साल पुराना संकल्प
जोधपुर के बनाड़ के पास जयपुर रोड पर श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गौशाला है. इस गौशाला का संचालन महर्षि संदीपनी महाराज की तरफ किया जा रहा है. इस संकल्प को लेकर महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया कि उन्होंने 20 साल पहले संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए शुद्ध देशी गाय का घी वो लेकर जाएंगे.
कैसे बचाई थी जान
इसी बीच साल 2014 में उन्होंने गायों से भरे एक ट्रक को रुकवाया, जो जोधपुर से गौकशी के लिए ले जा रहा था. ट्रक में करीब 60 गायें थीं. महाराज ने इन गायों को उसी वक्त छुड़वाया और आस-पास की गौशाला में ले गए.वहां इन गायों को रखने से मना कर दिया. अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद गौशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे.
पहले लोगों ने मजाक उड़ाया, फिर दिया सहयोग
इसी दौरान राम मंदिर बनने को लेकर उम्मीद बंधने लगी तो उन्होंने उन 60 गायों का घी एकत्रित करना शुरू कर दिया. महाराज ने बताया कि ये संकल्प भी था कि जितना भी घी होगा, उसे वे बैल पर ले जाएंगे.
संकल्प की गंभीरता का अहसास
महाराज ने बताया कि बिना घी एकत्रित करना जारी रखा. 2016 में लोगों को जब महाराज के संकल्प की गंभीरता का अहसास हुआ तो वे गौशाला आए. उन्होंने देखा कि महाराज ने घी जुटाना शुरू कर दिया है तो वे लोग भी सहयोग करने लगे, जो पहले मजाक उड़ाते थे.
सुरक्षित स्टोरेज के लिए जड़ी-बूटियां
महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरुआत में वे मटकी में घी रख रहे थे. गर्मी की वजह से बार बार घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में दरारें पड़ने लगी. कई बार घी खराब भी हो गया. इस पर किसी दूसरे संत से पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है. ऐसे में वे हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए. इनका रस तैयार कर घी में मिलाया. इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालर एसी के जरिए 16 डिग्री तापमान में रखा. सुरक्षित स्टोरेज का ही नतीजा है कि 9 साल बाद भी ये घी पहले जैसा ही है. यहां अभी करीब 9 स्टील की टंकियों में इन्हें स्टोरेज कर रखा गया है.
गायों की डाइट में हुआ बदलाव
इन गायों की डाइट में भी बदलाव किया गया था. गौशाला में चारे के अलावा दूसरी चीजों पर बैन लगा रखा है. पिछले 9 सालों से गायों को हरा चरा, सूखा चारा और पानी ही दिया जा रहा था. इन तीन चीजों के अलावा बाकी सारी चीजों पर पाबंदी लगा दी , साथ ही गौशाला आने वालों पर साफ हिदायत थी कि गायों को बाहर से लाया गया कुछ न खिलाए. महाराज संदीपनी ने बताया कि यह घी प्राचीन परंपरा के अनुसार तैयार किया गया था. क्योंकि मिलावट से घी जल्दी खराब हो जाता है. इसलिए इस परंपरा के जरिए तैयार हुआ घी जल्दी खराब नहीं होगा.
हर तीन साल में घी को उबाला जाता है
इन सारे प्रयासो के चलते 9 साल में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 पहुंच गई है. इन्हें अधिकांश वे गौवंश है, जो सड़क हादसे का शिकार थे या बीमार थे. गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी.
घी को कैसे रखते है सुरक्षित
घी को जड़ी-बूटियों के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर तीन साल में 1 बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला जाता है. घी के बर्तनों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. यही कारण है कि इतने साल में भी ये घी खराब नहीं हुआ. इसके साथ ही घी को जिस कमरे में रखा जाता है, वह भी साफ सुथरा है और भरपूर वेंटिलेशन है.
अयोध्या की टीम यहां आई थी देखने
महाराज संदीपनी ने बताया कि घी तैयार होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि इसे अयोध्या तक कैसे पहुंचाएं. विहिप प्रांत सहमंत्री महेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि जोधपुर से एक सदस्यों की टीम अयोध्या गई. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के पदाधिकारियों से मिलकर उन्हें महाराज के संकल्प के बारे में बताया. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में भी टीम गई और घी स्टोरेज के बारे में जानकारी दी गई. इसके बाद अयोध्या से एक टीम जोधपुर आई. यहां गौशाला में घी स्टोरेज और पूरी प्रक्रिया समझी. इसके बाद टीम ने सहमति दी. सहमति मिलने के बाद घी को बैलों से आयोध्या ले जाने की रूपरेखा बनाई गई.
कैसे 108 रथ से ये घी पहुंचाया जाएगा अयोध्या
27 नवंबर को 108 रथ जोधपुर से 600 किलो घी लेकर अयोध्या के लिए रवाना होंगे. हर रथ में दो बैल होंगे. यात्रा के दौरान हर रथ के लिए एक ट्रक होगा. एक शहर से दूसरे शहर की दूरी ट्रकों से तय की जाएगी और शहर में पहुंचने के बाद रथयात्रा निकाली जाएगी. उदाहरण के लिए, जैसे जोधपुर से रवाना होकर पाली पहुंचने तक रथ, बैल और 3 सेवादार एक ट्रक में होंगे. पाली पहुंचने के बाद बैलों और ट्रक को रथ से निकालकर शहर में यात्रा निकाली जाएगी. पाली से रवाना होते समय फिर रथ और बैलों को ट्रक में चढ़ा दिया जाएगा.
जोधपुर से अयोध्या की दूरी 1150 किलोमीटर की है. ये दूरी 21 दिनों में पूरी होगी. हर दिन 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी. यात्रा 18 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी.
बाकी दूरी ट्रकों से तय करेंगे
जोधपुर से पाली, अजमेर, ब्यावर, जयपुर, भरतपुर, मथुरा, लखनऊ से होते हुए ये सभी ट्रक अयोध्या पहुंचेंगे. यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख चार से पांच मंदिरों के दर्शन भी करेंगे. ये सिलसिला अयोध्या तक चलेगा. बताया जा रहा है कि लखनऊ शहर में ये यात्रा पांच दिनों तक रहेगी. पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा. इन रथ में राम जन्म से लेकर राजतिलक तक की झांकियां भी शामिल रहेगी.
पूरी यात्रा पर 10 करोड़ का खर्च
हर रथ में 3 लोग सेवा देंगे. एक रथ पर साढ़े तीन लाख रुपए का खर्च आया है. पूरी यात्रा में करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके लिए राम भक्तों से भी सहयोग मांगा गया है. 108 रथ के हिसाब से यात्रा में शामिल होने वाले 324 लोगों को चयन गौशाला में रजिस्ट्रेशन के आधार पर हुआ है. यात्रा जिस दिन, जिस गांव या शहर में होगी, वहां के लोगों और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इन यात्रियों और बैलों के खाने और सोने की व्यवस्था की जाएगी.
महायज्ञ के लिए गांवों से जुटा रहे एक-एक मुट्ठी हवन सामग्रीमंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान महायज्ञ भी होगा. महायज्ञ में भी इसी घी की आहुति दी जाएगी. इसके अलावा यज्ञ सामग्री भी जोधपुर से घी के साथ भेजी जाएगी.
इसके लिए जन्माष्टमी के दिन 7 सितंबर से शुरुआत की जा चुकी है. गांव-गांव से एक-एक मुट्ठी हवन सामग्री एकत्रित की जा रही है. लक्ष्य है कि हवन सामग्री के लिए 1 लाख राम भक्त सहयोग करें.
इसके लिए रोज रात को रथों को 20 किलोमीटर के दायरे में गांव में घुमाया जाता है. नवंबर तक 10 हजार गांवों में ये रथ जाएंगे और राम मंदिर के लिए लोगों से एक मुट्ठी हवन सामग्री का सहयोग लेंगे.
हवन सामग्री के लिए एक रात पहले होती है मुनादी
हवन सामग्री एकत्रित करने में देर हो, इसलिए एक रात पहले ही गांव में मुनादी करवा दी जाती है कि सुबह रथ आएगा. इसके बाद गांव के लोग एक मंदिर में हवन सामग्री को एकत्रित रखते हैं. जहां से रथ तुरंत हवन सामग्री को लेकर अगले गांव के लिए प्रस्थान कर जाता है.
हवन सामग्री में एक मुट्ठी तिल, शक्कर, चावल, जौ, गूगल धूप, कपूर, गोटा (सूखा नारियल), खेजड़ी की पांच लकड़ियां रोली धागे में बांधी जाएगी. ग्रामीण अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी एक सामग्री दान कर रहे हैं. यदि कोई पूरी हवन सामग्री भी दान करना चाहता है तो वह भी कर सकता है.
नवरात्र में हाथ पर प्रज्वलित करते हैं अखंड जोत
महाराज संदीपनी ने बताया कि मैं 22 साल से हर 6 महीने में नवरात्र में नौ दिन तक हाथ के ऊपर अखंड जोत प्रज्जवलित करता हूं. इस अनुष्ठान के दौरान ही संकल्प था कि अयोध्या में राम मंदिर बने और गौ माता की रक्षा हो. अब जनवरी में राम मंदिर का निर्माण होकर कार्य पूरा होने जा रहा है, इसलिए उन्होंने अयोध्या जाने का निश्चय किया. हर घर से हवन सामग्री लेने की शुरुआत की गई जिसमें लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है.
गौशाला में 24 घंटे श्रीमद्भगवत गीता का पाठ
गौशाला में 24 घंटे भगवत गीता का पाठ किया जाता है. महाराज ने बताया कि इसका कारण ये भी कि भगवत गीता सुनने से जो भगवान की कृपा गौ माता के ऊपर बरसती है. उनका मन पवन हो, वो भगवान का चिंतन करते हुए चारा खाए और दूध दें, जिससे अमृत तुल्य घी तैयार हो जाता है.
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